Bangladesh

बांग्लादेश: लाखों बाढ़ प्रभावित बच्चों को भोजन, स्वच्छ पानी और सुरक्षा की आवश्यकता
UNICEF Bangladesh

बांग्लादेश: बाढ़ प्रभावित लाखों बच्चों को भोजन, स्वच्छ पानी और सुरक्षा

जब घर में बाढ़ का पानी घुस आया तो दस वर्षीय बरशा और उसके परिवार को, जल्दबाज़ी में सब कुछ छोड़कर एक शरणस्थल में आसरा लेना पड़ा. बांग्लादेश के बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में से एक, सिलहट के गोवेनघाट में एक तंग आश्रय ने बढ़ती बाढ़ के पानी से बचाया, लेकिन, बरशा को पास में कोई नलकूप या ट्यूब-वैल न होने की वजह से, कई दिनों तक साफ़ पानी नसीब नहीं हुआ.

एक युवा बांग्लादेशी ट्रक चालक
World Bank/Scott Wallace

बांग्लादेश और भारत में परिवहन सम्पर्क - आय वृद्धि का सम्भावित स्रोत

विश्व बैन्क (World Bank) विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण एशिया में स्थित, विभिन्न देशों के बीच मज़बूत परिवहन सम्पर्क स्थापित करने से ना सिर्फ़ सभी देशों को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय लोगों की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी. इस विषय पर, विश्व बैन्क में दक्षिण एशिया के लिये क्षेत्रीय एकीकरण निदेशक सेसिल फ्रुमेन,  परिवहन से जुड़े मामलों के लिये वरिष्ठ अर्थशास्त्री मातिआस हरेरा डप्पे, और निजी क्षेत्र विकास के लिये मुख्य विशेषज्ञ चार्ल्स कुनाका का संयुक्त ब्लॉग...

बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में कुछ बच्चे अनौपचारिक शिक्षा हासिल करते हुए
Credit English (NAMS)

रोहिंज्या शरणार्थियों को जबरन वापस न भेजने के बांग्‍लादेश के वक्‍तव्‍य का स्‍वागत

संयुक्‍त राष्‍ट्र बाल कोष, यूनिसेफ ने बांग्‍लादेश सरकार की तरफ़ से इस पुष्टि का स्‍वागत किया कि रोहिंग्‍या शरणार्थियों को उनकी इच्‍छा के बिना म्‍यांमार वापस नहीं भेजा जाएगा जहां से उनके अधिकारों का उल्‍लंघन जारी रहने की खबरें आ रही हैं. 

एक महिला रोहिंज्या शरणार्थी चार में से जीवित बचे अपने दो बच्चों के साथ बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर में - 22 अक्तूबर 2018
© UNHCR/Chris Melzer

रोहिंज्या लोगों की वापसी सुरक्षित और उनकी मर्ज़ी से हो

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के लिए शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि म्याँमार से सुरक्षा के लिए भागने को मजबूर होकर बांग्लादेश पहुँचे रोहिंज्या शरणार्थियों की स्वदेश वापसी उनकी इच्छानुसार ही होनी चाहिए. फिलिपो ग्रैंडी ने कहा कि म्याँमार में रोहिंज्या लोगों के मूल निवास स्थानों पर अब भी हालात सुरक्षित नहीं हैं जिससे कि उनकी सम्मानजक और टिकाऊ तरीक़े से वापसी हो सके.