वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बचपन

ग्वाटेमाला में एक महिला अपनी पुत्री को स्तनपान कराते हुए, जबकि उनके पति पुत्र को संभालते हुए.
© UNICEF/UN0590878/Willocq

स्तनपान: जीवन आरम्भ के लिये अभूतपूर्व रूप से अहम

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी – विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूएन बाल कोष – यूनीसेफ़ के प्रमुखों ने सोमवार को कहा है कि नवजात शिशुओं को माँ का दूध पिलाने के साथ, नवजीवन की शुरुआत करना, अभूतपूर्व रूप से महत्वपूर्ण है.

इथियोपिया में एक महिला अपने एक वर्ष के बच्चे के साथ जो गम्भीर कुपोषण का शिकार है.
© UNICEF/Ismail Taxta

वैश्विक भुखमरी संकट, प्रति मिनट, एक बच्चे को धकेल रहा है गम्भीर कुपोषण में

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा है कि वैश्विक भुखमरी संकट, हर एक मिनट में एक बच्चे को गम्भीर कुपोषण में धकेल रहा है जिससे उन बच्चों के अस्तित्व के लिये जोखिम बढ़ रहा है. यूएन बाल एजेंसी की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब कुछ देशों के नेता, जी7 सम्मेलन के लिये तैयारियाँ कर रहे हैं.

यूनीसेफ़ द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि बच्चे और युवजन, पुरानी पीढ़ियों की तुलना में, ज़्यादा आशावादी और वैश्विक नज़रिया रखते हैं.
© UNICEF/Raphael Pouget

बुज़ुर्गों की तुलना में, युवजन में ज़्यादा नज़र आती है 21वीं सदी की भावना

एक पीढ़ीगत सर्वेक्षण में सामने आया है कि कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, उम्र दराज़ लोगों की तुलना में, ऐसे बच्चों और युवाओं की संख्या 50 प्रतिशत ज़्यादा है जो आज भी मानते हैं कि दुनिया एक बेहतर जगह बन रही है. इस महत्वपूर्ण सर्वेक्षण के नतीजे गुरूवार को प्रकाशित हुए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के बाल्ख़ प्रान्त में खेतों में कामकाज करते हुए कुछ किशोर.
World Bank/Ghullam Abbas Farzami

'2025 तक बाल श्रम उन्मूलन के लिये, अभी ठोस कार्रवाई ज़रूरी'

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के प्रमुख क्यू डोंग्यू ने मंगलवार को कहा है कि अगर बाल मज़दूरी को वर्ष 2025 तक ख़त्म करना है तो कारगर कार्रवाई और मज़बूत नेतृत्व की ज़रूरत है. उन्होंने बाल श्रम पर वैश्विक समाधान फ़ोरम के उदघाटन के दौरान ये बात कही है.

केनया की राजधानी नैरोबी की एक अनौपचारिक बस्ती में, फ़ेस मास्क पहने हुए एक बच्चा.
© UNICEF/Alissa Everett

नज़रअन्दाज़ होता रहा है बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य, कोविड ने किया है आग में घी का काम

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने बुधवार को आगाह करते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी ने बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाला है, और ये नकारात्मक प्रभाव, उनके जीवन में अनेक वर्षों तक रह सकते हैं.

एक बच्ची, सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में संघर्ष से सुरक्षित बच निकलने के बाद, इराक़ में पोलियो और खसरा से बचाने वाले टीके लगवाते हुए.
© UNICEF/Anmar Rfaat

महामारी का एक और असर, बाल टीकाकरण में गिरावट

संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिये बचपने में किये जाने वाले टीकाकरण को दरकिनार कर दिया है और वर्ष 2020 के दौरान दुनिया भर में लगभग 2 करोड़ 30 लाख बच्चे नियमित टीकाकरण से वंचित रह गए.

ताइज़ शहर के अल गमालिया इलाक़े में दो बच्चे अपने घर वापिस लौटे हैं. 2017 में उन्हें अपने परिवार के साथ जान बचाने के लिये भागना पड़ा था.
UNOCHA/Giles Clarke

सशस्त्र संघर्षों का बच्चों पर विनाशकारी असर - यूएन की नई रिपोर्ट

बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2020 में 19 हज़ार से ज़्यादा लड़के-लड़कियों को सीधे तौर पर, एक या उससे अधिक अधिकार हनन के गम्भीर मामलों की पीड़ा झेलनी पड़ी है.  

ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिये लम्बे समय से प्रयास जारी हैं.
© UNICEF/Rehab El-Dalil

ऑटिज़्म: महामारी से उबरने के प्रयास, समावेश बढ़ाने का एक मौक़ा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार, 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस पर कहा है कि ऐसे में जबकि तमाम देश कोविड-19 महामारी से बाहर आने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं तो, एक ऐसी समावेशी व सभी के लिये सुलभ दुनिया बनाना बहुत अहम है जिसमें तमाम लोगों के योगदान को पहचान व मान्यता मिले, जिनमें विकलांगता वाले लोगों को पहचान भी शामिल हो.

दक्षिण सूडान में, बच्चों को सशस्त्र समूहों के चंगुल से छुड़ाने के लिये हुए एक समारोह के दौरान, एक बाल सैनिक, लकड़ी के एक गट्ठे पर बैठा हुआ (2018). कोविड-19 महामारी के कारण सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों की भर्ती किये जाने का जोखिम और भी ज़्यादा बढ़ गया है
UNICEF/Sebastian Rich

कोविड के कारण, बच्चों को संघर्षों में इस्तेमाल करने के ख़तरे को मिला ईंधन

संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि बच्चों के कोरोनावायरस महामारी के प्रभाव के कारण, सशस्त्र गुटों और सशस्त्र बलों के हत्थे चढ़ जाने का जोखिम और भी ज़्यादा बढ़ गया है. शुक्रवार, 12 फ़रवरी को मनाए जाने वाले, 'बाल सैनिकों के इस्तेमाल के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस' पर, ये चिन्ता व्यक्त की गई है.

मैड्रिड, स्पेन में 4 साल के रूबेन और उसकी छोटी बहन खेल रहे हैं, जबकि उनकी माँ, डैनियल काम में जुटी हैं.
© UNICEF/Sergio Robles

धनी देश बच्चों को कोविड-19 के दुष्परिणामों से बचाने में सहयोग करें

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) द्वारा गुरुवार को प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनिया के सबसे धनी देशों में बच्चे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, मोटापे और सामाजिक व शैक्षणिक कौशल की कमी से जूझ रहे हैं.