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बाल श्रम

फ़रवरी में आए भूकम्प (फ़ाइल) के बाद तुर्कीये और सीरिया में बाल श्रम बढ़ने की आशंका है.
© UNICEF

तुर्कीये-सीरिया भूकम्प के 100 दिन बाद भी, लाखों बच्चे गम्भीर स्थिति में

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बुधवार को बताया कि तुर्कीये और सीरिया में आए घातक भूकम्प के 100 दिनों के बाद भी, दोनों देशों में 60 लाख से अधिक लड़के और लड़कियाँ, अनगिनत मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बच्चा, लकड़ियों का बण्डल एकत्र करके ले जा रहा है.
© UNICEF/Roger LeMoyne

बाल श्रम 'अस्वीकार्य', उन्मूलन के लिये दूरगामी कार्रवाई का आहवान

बाल श्रम के मुद्दे पर पिछले कुछ दशकों में हालात में बेहतरी दर्ज किये जाने के बावजूद, करोड़ों बच्चे अब भी बाल मज़दूरी के दंश से पीड़ित हैं, और कोविड-19 महामारी के कारण यह समस्या गहराने का जोखिम बढ़ा है. वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, दक्षिण अफ़्रीका के डरबन शहर में आयोजित पाँचवे वैश्विक सम्मेलन में बाल श्रम उन्मूलन के लिये तत्काल ठोस उपायों की पुकार लगाई गई है. 

अफ़ग़ानिस्तान के बाल्ख़ प्रान्त में खेतों में कामकाज करते हुए कुछ किशोर.
World Bank/Ghullam Abbas Farzami

'2025 तक बाल श्रम उन्मूलन के लिये, अभी ठोस कार्रवाई ज़रूरी'

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के प्रमुख क्यू डोंग्यू ने मंगलवार को कहा है कि अगर बाल मज़दूरी को वर्ष 2025 तक ख़त्म करना है तो कारगर कार्रवाई और मज़बूत नेतृत्व की ज़रूरत है. उन्होंने बाल श्रम पर वैश्विक समाधान फ़ोरम के उदघाटन के दौरान ये बात कही है.

कोविड-19 के कारण ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को, बाल श्रम की ओर धकेले जाने का ख़तरा बढ़ गया है.
UN Photo/Martine Perret

बाल श्रम उन्मूलन के प्रयासों को गहरा झटका

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दो दशकों में पहली बार, दुनिया भर में बाल मज़दूरी के शिकार बच्चों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ तक पहुँच गई है. पिछले चार वर्षों में इस आँकड़े में 84 लाख की वृद्धि हुई है., अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा जारी इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप, वर्ष 2022 के अन्त तक, वैश्विक स्तर पर, 90 लाख अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिये जाने का ख़तरा है...

कोविड-19 के कारण ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों का स्कूल छोड़कर, बाल श्रम की ओर धकेले जाने का ख़तरा बढ़ गया है.
UN Photo/Martine Perret

बच्चों का भविष्य बचाने के लिये तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता

भारत में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की निदेशक, डागमार वॉल्टर ने ज़ोर देकर कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दूरगामी प्रभावों से बच्चों की रक्षा करने और बाल मज़दूरी के क्षेत्र में हुई प्रगति को व्यर्थ होने से बचाने के लिये तत्काल कार्रवाई की ज़रूरत है.  

फ़लस्तीन के ग़ाज़ा सिटी के पास मलबा इकट्टा करता एक 13 वर्षीय बच्चा. ये मलबा वो खच्चर पर लादकर बेचने के लिए बाज़ार ले जाता है.
© UNICEF/Eyas El Baba

बाल श्रम के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करने के लिये संगीत प्रतियोगिता

बाल श्रम के ख़िलाफ़ लोगों को जागरूक बनाने के प्रयासों की आवाज़ बुलन्द करने के लिये, संगीत का सहारा लिया जा रहा है. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानि आईएलओ ने, इस सिलसिले में, एक संगीत प्रतियोगित का आयोजन किया है. 

बहुत सारे बच्चों को परिवार की आमदनी के लिए कामकाज करना पड़ता है जिससे वो स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. (2017)
© UNICEF/Frank Dejongh

बाल श्रम के बदतरीन रूपों के ख़िलाफ़ सन्धि पर सार्वभौमिक मोहर

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानि आईएलओ के सभी 187 सदस्य देशों ने दासता, देह व्यापार और तस्करी सहित बाल मज़दूरी के ख़राब रूपों से बच्चों की रक्षा करने वाली सन्धि की सार्वभौमिक पुष्टि कर दी है. वर्ष 2021 को बाल मज़दूरी के अन्त के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाए जाने की तैयारी है और इस दिशा में प्रगति के लिये यूएन एजेंसी जागरूकता प्रसार के प्रयासों में जुटी है.  एक रिपोर्ट...