वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बाल मज़दूरी

भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को, टिकाऊ विकास लक्ष्यों का नया पैरोकार चुना गया है.
© Kailash Satyarthi

क्योंकि हर बच्चे की अहमियत है...

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, दुनिया की अनमोल वैश्विक परिसम्पत्तियों की रक्षा और साझा आकांक्षाओं को पूरा करने की ख़ातिर, तत्काल कार्रवाई का आहवान करते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के नए पैरोकारों के नामों की घोषणा की है. ये सभी पैरोकार, जलवायु कार्रवाई, डिजिटल विभाजन, लैंगिक समानता और बाल अधिकारों के मुद्दों पर सक्रिय होंगे. इनमें से एक हैं, भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता, कैलाश सत्यार्थी. उनके साथ एक वीडियो साक्षात्कार...

कोविड-19 के कारण ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों को, बाल श्रम की ओर धकेले जाने का ख़तरा बढ़ गया है.
UN Photo/Martine Perret

बाल श्रम उन्मूलन के प्रयासों को गहरा झटका

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दो दशकों में पहली बार, दुनिया भर में बाल मज़दूरी के शिकार बच्चों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ तक पहुँच गई है. पिछले चार वर्षों में इस आँकड़े में 84 लाख की वृद्धि हुई है., अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा जारी इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप, वर्ष 2022 के अन्त तक, वैश्विक स्तर पर, 90 लाख अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिये जाने का ख़तरा है...

म्याँमार में बाल श्रमिक.
ILO/Marcel Crozet

बाल मज़ूदरी के बदतरीन रूपों के ख़िलाफ़ सन्धि पर सार्वभौमिक मोहर

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी – अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सभी 187 सदस्य देशों ने दासता, देह व्यापार और तस्करी सहित बाल मज़दूरी के ख़राब रूपों से बच्चों की रक्षा करने वाली सन्धि को पारित कर दिया है. मंगलवार को प्रशान्त क्षेत्र के एक द्वीपीय देश टोन्गा ने इस सन्धि पर अपनी मोहर लगा दी और ऐसा करने वाला वो आख़िरी देश था.