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आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस

इण्डोनेशिया में लड़कियाँ स्मार्टफ़ोन का इसतेमाल करते हुए.
UNICEF/Vania Santoso

टैक्नॉलॉजी क्रान्ति के अनेक लाभ, मगर विषमताओं की रोकथाम ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने कहा है कि विकासशील देशों को, कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने में अहम औज़ार साबित होने वाली अभूतपूर्व टैक्नॉलॉजी को अपनाना होगा, लेकिन इसके अभाव में, डिजिटलीकरण के दौर में उन्हें पहले से कहीं व्यापक स्तर पर विषमताओं का सामना करना पड़ेगा. व्यापार एवँ विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन (UNCTAD) द्वारा गुरुवार को जारी एक नई रिपोर्ट में डिजिटल समाधानों के बढ़ते इस्तेमाल और उनके प्रभाव की पड़ताल की गई है.  

संयुक्त राष्ट्र आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से सम्बन्धित नियामकों को तैयार कर रहा है.
ITU T

पूर्वाग्रह, नस्लवाद और झूठ: आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस के अवान्छित नतीजों से निपटने की दरकार

वैश्विक महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस (एआई) का इस्तेमाल करने वाले ऐसे शक्तिशाली डिजिटल औज़ारों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनमें दुनिया को बेहतर बनाने की सम्भावना है. लेकिन दैनिक जीवन में एआई की बढ़ती दखल से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि इस टैक्नॉलॉजी के ग़लत इस्तेमाल से गम्भीर नुक़सान भी हो सकता है. इसी आशंका के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र ने एआई के लिये एक मज़बूत अन्तरराष्ट्रीय नियामन की पुकार लगाई है. 
 

अमेरिका में साइंस एंड इंजीनियरिंग मेले में नासा का एक रोबोट.
NASA/Aubrey Gemignani

पेटेंट आवेदनों में बढ़ोत्तरी तकनीकी क्षेत्र में छलांग का संकेत

आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस (एआई) या कृत्रिम बुद्धिमता से चलने वाली मशीनों और यंत्रों के लिए पेटेंट आवेदनों में पिछले पांच सालों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है. संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में ये नई खोजें तकनीक की दुनिया से बाहर रोज़मर्रा के जीवन में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं.