वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

आदिवासी समुदाय

मई 2016 में आदिवासी मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र स्थायी फोरम के पंद्रहवें सत्र के उद्घाटन समारोह के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में एकत्रित हुए प्रतिभागी
UN Photo/Rick Bajornas

साक्षात्कार: प्रकृति के साथ सामंजस्य के लिए, आदिवासी लोगों का पारम्परिक ज्ञान अहम

जलवायु संकट के विरुद्ध लड़ाई में आदिवासी लोगों द्वारा सदियों से सहेज कर रखे गए ज्ञान की एक अहम भूमिका है. न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 17 अप्रैल से आदिवासी मुद्दों पर यूएन का स्थाई फ़ोरम' आरम्भ हुआ है, जिसमें उन उदाहरणों को रेखांकित किया जा रहा है, जिनसे वृहद समाज भी सीख ले सकता है.

मैक्सिको के सैंटियागो डी क्वेरेटारो की गलियों में गुड़िया बेचती, मैक्सिको के आदिवासी समूह की एक महिला.
Unsplash/Bernardo Ramonfaur

अन्तरराष्ट्रीय दशक के ज़रिये, आदिवासी भाषाओं को सहेज कर रखने के प्रयास

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को ‘आदिवासी भाषाओं के अन्तरराष्ट्रीय दशक’ की शुरुआत की है, जिसके ज़रिये इन भाषाओं को लुप्त होने से बचाने के प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा.

कॉप27 सम्मेलन के दौरान नागरिक समाज संगठनों ने आमजन की ओर से एक घोषणापत्र प्रस्तुत किया.
UNIC Tokyo/ Momoko Sato

कॉप27 समापन के निकट, अहम मुद्दों पर मतभेद बरक़रार, यूएन प्रमुख ने लगाई वादा पूर्ति की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को ध्यान दिलाया कि वार्षिक जलवायु सम्मेलन - कॉप27 समाप्त होने में एक ही दिन शेष बचा है, मगर ‘हानि व क्षति’ समेत अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर देशों में अब भी  मतभेद बरक़रार हैं. उन्होंने सभी पक्षों से मौजूदा क्षण की महत्ता को समझते हुए, मानवता के समक्ष मौजूद विशालतम चुनौती के वास्तविक समाधानों पर सहमति बनाने का आहवान किया है.  

रिपोर्ट के अनुसार बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था में प्रकृति के योगदान को अक्सर कम करके आंका जाता है.
Unsplash/Aaron Burden

अल्पकालिक मुनाफ़े के बजाय, प्रकृति के मूल्य पर ध्यान दिये जाने पर बल

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक नई रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि राजनैतिक व आर्थिक निर्णयों में जिस प्रकार से प्रकृति के मूल्य का कमतर आकलन किया जाता है, वह मौजूदा जैवविविधता संकट का एक मुख्य कारक है. रिपोर्ट के अनुसार प्रकृति के योगदान को प्राकृतिक जगत पर आधारित नीतिगत निर्णयों में भी परिलक्षित किया जाना होगा. 

कॉप26 सम्मेलन सभागार में सीरिया की एक शरणार्थी लड़की को दर्शाती अमाल नामक कठपुतली और समोआ की जलवायु कार्यकर्ता ब्रियेना फ़्रुएन.
UN News/Laura Quinones

कॉप26: जलवायु संकट से सर्वाधिक प्रभावितों में महिलाएँ, चुकाती हैं एक बड़ी क़ीमत

स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन के दौरान मंगलवार को, जलवायु परिवर्तन से महिलाओं पर होने वाले असर व जलवायु कार्रवाई में उनकी ज़रूरतों को समाहित किये जाने के मुद्दे पर चर्चा हुई. प्राकृतिक संसाधनों की देखरेख में महिलाओं व लड़कियों के ज्ञान की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है, और उनमें निवेश के ज़रिये, पूर्ण समुदायों तक लाभ पहुँचाया जा सकता है. इस बीच, एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि कॉप26 में विश्व नेताओं की घोषणाओं के बावजूद, दुनिया विनाशकारी तापमान वृद्धि की ओर बढ़ रही है.

पेरू के पुएर्तो माल्दोनादो में एक जंगल.
CIFOR/Marco Simola

प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण जीवन और जैवविविधता संरक्षण के लिये संकल्प

चीन के कुनमिंग में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन’ (कॉप15) के उच्चस्तरीय खण्ड के समापन पर कुनमिंग घोषणापत्र को पारित किया गया है. इस घोषणापत्र में सम्बद्ध पक्षों ने एक कारगर वैश्विक फ़्रेमवर्क को विकसित, पारित और लागू करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक जैवविविधता को पुनर्बहाली मार्ग पर वापिस लाना है. 

कोस्टा रीका के ग्रामीण इलाक़े में एक महिला जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में मदद के लिये पादप रोपण कर रही है.
UNDP Costa Rica

जलवायु कार्रवाई में आदिवासी समुदायों की भागीदारी को प्रोत्साहन

हर वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाने वाला ‘विश्व के आदिवासी लोगों के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस’, जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से मुक़ाबला करने की कार्रवाई में इन समुदायों के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किये जाने का भी एक अवसर है.  

कोलम्बिया के तारापेका इलाक़े में आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों से भी कोविड-19 की वैक्सीन का टीकाकरण शुरू किये जाने से पहले परामर्श किया गया.
OPS Colombia/Karen González Abr

आदिवासी समुदायों के साथ एक नए सामाजिक अनुबन्ध की पुकार 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार, 9 अगस्त, को ‘विश्व के आदिवासी लोगों के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर, इन समुदायों की पीड़ाओं की पहचान करने, विषमताओं का अन्त करने और उनके ज्ञान व बुद्धिमता की पहचान करते हुए, एक नए सामाजिक अनुबन्ध की पुकार लगाई है.  

अर्चना सोरेंग उन सात युवाओं में से हैं जिन्हें दुनिया भर से महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के पर्यावरण पर युवा सलाहकारों के समूह में शामिल किया गया है.
UN India/Archana Soreng

अर्चना सोरेंग का, प्रकृति-आधारित समाधानों में, आदिवासी युवाओं के हितों पर ज़ोर

​भारत की युवा जलवायु कार्यकर्ता अर्चना सोरेंग ने सचेत किया है कि जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने में, प्रकृति-आधारित समाधान अपनाए जाते समय आदिवासी समुदायों और युवाओं के हितों का ध्यान रखा जाना होगा, और प्रकृति व आमजन के लिये, न्याय व कल्याण को प्राथमिकता देनी होगी. पर्यावरण पर यूएन महासचिव के युवा सलाहकारों के समूह में शामिल अर्चना सोरेंग ने, गुरुवार को आयोजित जलवायु शिखर बैठक के दौरान एक सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि आदिवासी जन, केवल प्रकृति का हिस्सा भर नहीं हैं, बल्कि प्रकृति ही हैं.

कोलंबिया में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने आदिवासी जनसमूहों की ख़ैरियत का पता लगाने के लिए एक टीम रवाना की है.
PAHO/Karen González Abril

कोविड-19: आदिवासी समुदायों में संक्रमण बढ़ने से बढ़ी चिन्ता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वैसे तो कोविड-19 से हर इन्सान प्रभावित हुआ है लेकिन विश्व के निर्धनतम और निर्बलतम लोगों के लिये इस महामारी का जोखिम ज़्यादा है. वायरस से सबसे अधिक प्रभावितों में आदिवासी समुदाय, विशेषत: अमेरिका क्षेत्र के आदिवासी लोग भी हैं जहाँ अब यह महामारी तेज़ रफ़्तार से फैल रही है. यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को बताया कि 6 जुलाई तक अमेरिका क्षेत्र में 70 हज़ार आदिवासी लोगों के संक्रमित होने और दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौतें होने की पुष्टि हुई थी.