आदिवासी

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के ओकापी रिज़र्व में वन्यजीवन.
© FAO/Thomas Nicolon

कॉप27: जैवविविधता की रक्षा, दरअसल पेरिस समझौते की रक्षा है

अनेक वर्षों से जलवायु संकट और जैवविविधता संकट को अलग-अलग मुद्दों के रूप में देखा जाता रहा है, मगर वास्तविकता यह है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का कोई भी व्यावहारिक उपाय, प्रकृति की रक्षा और तात्कालिक पुनर्बहाली के बिना सम्भव नहीं है. मिस्र के शर्म अल-शेख़ में बुधवार को इनकी अहमियत को रेखांकित किया गया.

भारत: 84 वर्षीय मानवाधिकार पैरोकार स्टैन स्वामी को अक्टूबर 2020 में, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों में हिरासत में लिया गया था. (फ़ाइल फ़िटो)
Unsplash/R.D. Smith

'स्टैन स्वामी की हिरासत में मौत, भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक धब्बा'

संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार विशेषज्ञ मैरी लॉलॉर ने बृहस्पतिवार को कहा है कि भारत में एक मानवाधिकार पैरोकार फ़ादर स्टैन स्वामी की मृत्यु सरकारी हिरासत में होना, देश के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर हमेशा के लिये एक धब्बा रहेगा.

कम्बोडिया के एक प्राइमरी स्कूल में, बहुभाषाई शिक्षा पाठ्यक्रम, बच्चों को, उनकी ख़मेर राष्ट्र भाषा सीखने के साथ-साथ, उनकी आदिवासी भाषा सीखने का मौक़ा देता है. (नवम्बर 2018).
© UNICEF/Antoine Raab

मातृ भाषा दिवस: समावेशी भावना के जश्न का अवसर

संयुक्त राष्ट्र की शैक्षिक और सांस्कृतिक एजेंसी – यूनेस्को ने दुनिया भर में लोगों को, विश्व भर में, स्कूलों में, और दैनिक जीवन में, बहुभाषावाद को समर्थन देकर, विविधता को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित किया है. यही विषय, रविवार, 21 फ़रवरी को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस की मुख्य थीम है.

कोविड-19 के कारण तालाबंदी के दौरान दूर-दराज़ के इलाक़ों में बैंक सेवाएँ पहुँचाने में सलामी शशांकर योगदान दे रही हैं.
Kalinga Institute of Social Sciences, Odisha.

कोरोनावायरस: संकट काल में ज़रूरतमन्दों की सहायता का संकल्प

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण यह वर्ष दुनिया भर में मानवीय राहत कार्यों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. अनेक  प्रकार की सेवाओं तक पहुँच ना हो पाने और तालाबंदी से प्रभावित लोगों की मदद के लिए स्थानीय समुदाय, नागरिक समाज और गैर-सरकारी संगठन आगे आए हैं. बुधवार, 19 अगस्त को, विश्व मानवीय दिवस पर भारत के पूर्वी राज्य ओडिषा उन सहायताकर्मियों की चुनिंदा कहानियाँ जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की मदद से महामारी के दौरान लोगों की सहायता के लिये हाथ आगे बढ़ाया.

मलेशिया में आदिवासी समुदाय इस दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश में प्राकृतिक वातावरण के काफ़ी पुराने समय से संरक्षक रहे हैं.
Sarawak Biodiversity Centre

कोविड-19 के दौर में आदिवासी लोगों की सहनशीलता की तरफ़ ध्यान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में दुनिया भर में रह रहे लगभग 47 करोड़ 60 लाख आदिवासी लोगों कों शामिल करना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना  बहुत ज़रूरी है. 

रूस में इज़होर नामक आदिवासी जनसमूह के लोगों ने अपनी भाषा और परंपरा को सहेजकर रखा है.
Photo: Dmitry Kharakka-Zaitsev

आदिवासी जनसमूह की भाषा और संस्कृति को सहेजने की ज़रूरत

नौ अगस्त को हर वर्ष दुनिया भर के आदिवासी जनसमूह लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. दुनिया भर में इस समय आदिवासी जनसमूह के लोगों की संख्या लगभग 37 करोड़ है जो 90 देशों में रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस के अवसर पर आदिवासी जनसमूह के लोगों की पहचान और भाषाओं को सहेजकर रखने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.

विएतनाम में आदिवासियों के एक समुदाय के बच्चे पढ़ाई करते हुए.
UNICEF/UNI10236/Estey

आदि भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने की अपील

विश्व भर में आज सात हज़ार से ज़्यादा आदि भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन हर 10 में से चार भाषाओं पर विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सदियों पुरानी बोलियों को विलुप्त होने से बचाने और भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखने की पुकार लगाई है.