ग़ाज़ा: अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की तैनाती के लिए, सुरक्षा परिषद की स्वीकृति पर ज़ोर
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी में स्थिति में किसी भी प्रकार के बदलाव के दौरान उसकी पश्चिमी तट के साथ एकता और इसराइल व फ़लस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान को बरक़रार रखा जाना होगा. उन्होंने ग़ाज़ा में स्थिरीकरण बल की तैनाती की सम्भावना पर कहा कि सुरक्षा परिषद की स्वीकृति से ही इसे आगे बढ़ाना होगा.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने क़तर की राजधानी दोहा में आयोजित द्वितीय विश्व सामाजिक विकास सम्मेलन के दौरान एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए यह बात कही.
ग़ाज़ा पट्टी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की 20 सूत्री योजना के सिलसिले में इसराइल के साथ समन्वय पर महासचिव गुटेरेश से सवाल किया गया था. संयुक्त राज्य अमेरिका, अरब देशों व अन्तरराष्ट्रीय साझेदारों द्वारा तैयार की गई इस योजना के तहत एक अस्थाई, अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल तैनात करने का प्रस्ताव है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनी आबादी के लिए मानवीय सहायता के स्तर को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सक्रियता से प्रयास कर रहा है. उन्होंने बताया कि अमेरिका की मदद से इसराइल द्वारा लगाए गए कुछ अवरोधों को हटाना सम्भव हुआ है. कुछ मुश्किलें अब भी हैं.
“हम सक्रियता से इस सिद्धान्त का समर्थन कर रहे हैं कि संघर्षविराम को जारी रखना होगा, कि हर पक्ष को इसका अनुपालन करना होगा और जिस तरह से भी अगले चरण को लाया जाए, उसमें ग़ाज़ा व पश्चिमी तट के बीच सम्बन्ध रखना होगा.”
यूएन प्रमुख ने कहा कि इसके ज़रिए दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में क़दम बढ़ाने और एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने की आवश्यकता है.
महासचिव के अनुसार, अमेरिका अन्य देशों के साथ ग़ाज़ा पर सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जा रहा है, हालांकि यूएन सचिवालय इस चर्चा का हिस्सा नहीं है.
“हमारा मानना है कि ग़ाज़ा में जो कोई भी निकाय बनाया जाए, उसके पास सुरक्षा परिषद के अधिदेश की वैधानिकता होनी चाहिए.”
उनके अनुसार, इस संक्रमण काल में एक ऐसी स्थिति की ओर बढ़ना होगा, जहाँ ग़ाज़ा और पश्चिमी तट एक साथ हों और फ़लस्तीनी प्राधिकरण अपने पूर्ण प्रशासनिक अधिकार का इस्तेमाल कर सके.
मानवीय सहायता प्रयास
ग़ाज़ा में खाद्य सामग्री की उपलब्धता धीरे-धीरे बेहतर हो रही है, मगर मानवीय सहायता की आपूर्ति को निरन्तर जारी रखे जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. यूएन मानवतावादी एजेंसियों ने राहत सामान पहुँचाने के लिए मार्ग तक पहुँच बढ़ाने और वित्तीय समर्थन जारी रखने की अपील भी की है.
पिछले महीने, लाखों लोगों ने उत्तरी ग़ाज़ा में लौटना शुरू किया, जहाँ इस वर्ष अगस्त महीने के अन्त में अकाल की घोषणा कर दी गई थी. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रवक्ता अबीर ऐतेफ़ा ने बताया कि इस इलाक़े में लौटने वाले फ़लस्तीनियों को सीमित स्तर पर ही भोजन सहायता उपलब्ध है.
यहाँ अनेक लोगों ने लौटने के बाद देखा कि उनके घर बर्बाद हो चुके हैं, जबकि ग़ाज़ा के दक्षिणी हिस्से में रहने वाले वाले विस्थापित टैंट में रह रहे हैं और उनके पास भोजन व अन्य सेवाएँ सुलभ नहीं हैं.
अबीर ऐतेफ़ा ने काहिरा से जानकारी देते हुए बताया कि नाज़ुक हालात में युद्धविराम लागू हुए साढ़े तीन सप्ताह बीत चुके हैं. यूएन खाद्य कार्यक्रम ने 10 लाख लोगों तक भोजन पैकेट पहुँचाएँ हैं, हालांकि उनका लक्ष्य 16 लाख लोगों तक पहुँचना था, जोकि ग़ाज़ा में भूख संकट को टालने के लिए व्यापक प्रयासों का हिस्सा है.
“आपूर्ति अब भी बहुत सीमित है. इसलिए हर परिवार को घटी हुई मात्रा में खाद्य रसद मिल पा रही है, जोकि एक पैकेट है और यह 10 दिनों के लिए पर्याप्त भोजन है.”
WFP प्रवक्ता ने बताया कि आवश्यक स्तर पर राहत अभियान जारी रखने के लिए और अधिक सीमा चौकियों को खोला जाना होगा और ग़ाज़ा में अहम सड़कों तक पहुँच भी ज़रूरी है.
सीमा चौकियाँ अब भी बन्द
मानवीय सहायता में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने बताया कि 12 सितम्बर के बाद से अब तक, सीधे तौर पर सीमा चौकियों के ज़रिए कोई खाद्य सहायता क़ाफ़िला उत्तरी इलाक़े में नहीं पहुँचा है.
“हमारे पास अब भी केवल दो सीमा चौकियाँ हैं, जिनके ज़रिए कामकाज हो रहा है,” मध्य ग़ाज़ा में किस्सुफ़िम और दक्षिणी इलाक़े में केरेम शलोम.
WFP के अनुसार, इससे बाज़ारों में स्थिरता लाने और आम नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में सहायता मुहैया करा पाने की क्षमता पर असर हुआ है.
यूएन खाद्य एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि WFP-समर्थित 17 बेकरी से सात लाख से अधिक लोगों को ताज़ा ब्रैड दी गई है और लक्ष्य इन सक्रिय बेकरी की संख्या बढ़ाकर 25 तक पहुँचाना है.
ये मदद मायने रखती है
WFP की संचार अधिकारी नूर हम्माद ने ग़ाज़ा से बताया कि ग़ाज़ा में भयावह स्थिति को देखा जा सकता है, मगर लोगों के चेहरे पर बन्दूकों के शान्त हो जाने की राहत भी है. मगर यह आशंका भी है कि ये चुप्पी जारी रहेगी भी या नहीं.
उन्होंने कहा कि ग़ाज़ावासियों ने पिछले दो वर्ष के हिंसक टकराव से हुए विध्वंस को किसी भूकम्प से हुई बर्बादी के समान बताया है.
नूर हम्माद ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में उन्होंने अनेक सहायता वितरण केन्द्रों का जायज़ा लिया है और लोगों ने उन्हें एक ही बात कही है. उन्हें मिल रही सहायता मायने रखती है.
कई महीनों तक छिटपुट भोजन, एक दिन में एक बार ही भोजन करने और ऐसे ही लम्बा समय गुज़ारने के बाद फ़लस्तीनी आबादी को ताज़ा ब्रैड, भोजन पैकेट, नक़दी, पोषण व अन्य समर्थन हासिल हो रहे हैं.
नूर हम्माद ने बताया कि स्थानीय दुकानों में खाद्य सामग्री वापिस तो आ रही है, लेकिन उसकी क़ीमतें आम परिवारों की पहुँच से बाहर हैं. उदाहरण के लिए, एक सेब की क़ीमत, दो वर्ष पहले एक किलो सेब की क़ीमत के बराबर है. पिछले दो वर्षों से जारी युद्ध के कारण आम लोगों के संसाधन ख़त्म हो चुके हैं.