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सामाजिक विकास के प्रयासों को मज़बूत करने के इरादे के साथ, 'दोहा घोषणापत्र' पारित

क़तर की राजधानी दोहा में सामाजिक विकास के लिए द्वितीय विश्व सम्मेलन का उदघाटन सत्र.
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क़तर की राजधानी दोहा में सामाजिक विकास के लिए द्वितीय विश्व सम्मेलन का उदघाटन सत्र.

सामाजिक विकास के प्रयासों को मज़बूत करने के इरादे के साथ, 'दोहा घोषणापत्र' पारित

विभु मिश्र, दोहा
एसडीजी

विश्व नेताओं ने, दुनिया भर में बढ़ते भूराजनैतिक तनावों और गहराती सामाजिक दरारों की पृष्ठभूमि में, न्यायसंगत और समावेशी व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए नए सिरे से संकल्प व्यक्त किया है. क़तर की राजधानी दोहा में सामाजिक विकास के लिए द्वितीय विश्व शिखर बैठक के दौरान इसी सिलसिले में एक राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया गया है.

यह घोषणापत्र, देशों की सरकारों द्वारा व्यक्त की गई एक साझा प्रतिबद्धता का परिचायक है, जोकि निर्धनता, उपयुक्त एवं शिष्ट कामकाज, भेदभाव के विरुद्ध लड़ाई, सामाजिक संरक्षा में विस्तार और मानवाधिकारों की रक्षा पर लक्षित है.

इस घोषणापत्र में स्पष्ट किया गया है कि सामाजिक विकास केवल एक नैतिक अनिवार्यता नहीं है, बल्कि यह शान्ति, स्थिरता और सतत प्रगति के लिए एक पूर्व शर्त भी है.

दोहा शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए 40 से अधिक राष्ट्र अध्यक्षों, सरकार प्रमुखों, 170 से अधिक मंत्रियों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के शीर्ष अधिकारियों, युवा प्रतिनिधियों, नागरिक समाज कार्यकर्ताओं, और विशेषज्ञों समेत 14 हज़ार से अधिक हितधारक एकत्र हुए हैं.

दोहा के नेशनल कन्वेंशन सेंटर में प्रतिनिधि जहाँ बैठकों के दौर में जुटे है, वहीं आयोजन स्थल छात्रों, कार्यकर्ताओं और सामुदायिक नेताओं की गतिविधियों से व्यस्त नज़र आ रहा है. 

उनकी भागेदारी दर्शाती है कि सामाजिक विकास के दायित्व को पूरा करने के लिए सरकारों से इतर अन्य हितधारकों को अपने साथ लेकर चलना भी अहम है.

दोहा में सामाजिक विकास के लिए द्वितीय विश्व सम्मेलन में 14 हज़ार से अधिक प्रतिभागी जुटे हैं.
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दोहा में सामाजिक विकास के लिए द्वितीय विश्व सम्मेलन में 14 हज़ार से अधिक प्रतिभागी जुटे हैं.

दोहा राजनैतिक घोषणापत्र

इस घोषणापत्र में 1995 कोपेनहेगन घोषणापत्र व टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा के प्रति नेताओं के संकल्प को नए सिरे से व्यक्त किया गया है.

इसके अनुसार, सामाजिक विकास तीन अहम स्तम्भों पर खड़ा है, जो एक दूसरे को मज़बूती देते हैं: निर्धनता उन्मूलन, पूर्ण व उत्पादक रोज़गार और सर्वजन के लिए शिष्ट कामकाज, और सामाजिक समावेशन.

मंगलवार को पारित इस घोषणापत्र में सामाजिक न्याय को शान्ति, सुरक्षा व मानवाधिकारों से जोड़ते हुए किसी को भी पीछे न छूटने देने का संकल्प लिया गया है. साथ ही, पेरिस जलवायु समझौते के तहत महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई पर बल दिया गया है और वित्तीय संसाधनों को इन संकल्पों के केन्द्र में रखा गया है.

किसी को भी पीछे नहीं छूटने देने का वादा

यूएन महासभा की अध्यक्ष ऐनालेना बेयरबॉक ने ज़ोर देकर कहा कि किसी को भी पीछे न छूटने देने के लिए यह ज़रूरी है कि दोहा घोषणापत्र के अनुरूप, अन्तिम दूरी भी तय की जाए.

उन्होंने कोपेनहेगन के बाद से अब तक हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व भर में बेरोज़गारी और अत्यधिक निर्धनता में कमी आई है, मगर विषमताएँ बरक़रार हैं. विशेष रूप से महिलाओं व युवजन के लिए.

महासभा प्रमुख के अनुसार, केवल आर्थिक प्रगति के ज़रिए ढाँचागत विषमताओं को दूर कर पाना पर्याप्त नहीं है. जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकी दबाव और हिंसक टकराव के कारण सामाजिक निर्बलताएँ और गहरी हो रही हैं.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने निर्धनता व भूख को दूर करने और शिक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु सहनसक्षमता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के इरादे से समग्र, आपस में गुंथे हुए समाधानों की अपील की है.

दोहा में आयोजित सामाजिक विकास शिखर बैठक के पहले दिन एक अहम घोषणापत्र को पारित किया गया है.
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दोहा में आयोजित सामाजिक विकास शिखर बैठक के पहले दिन एक अहम घोषणापत्र को पारित किया गया है.

विकास के लिए मज़बूत उपाय

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया कि सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति बहुत धीमी है और बहुत से क्षेत्रों में प्रगति या तो अवरुद्ध है या फिर उसकी दिशा पलट रही है.

उन्होंने कहा कि दोहा राजनैतिक घोषणापत्र, विकास के लिए एक वैक्सीन की एक अतिरिक्त ख़ुराक के समान है. यह ‘आम लोगों की एक योजना’ है, जोकि सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा का विस्तार करने, स्वास्थ्य व शिक्षा की सुलभता बढ़ाने, शिष्ट कामकाज सृजित करने और डिजिटल दरारों को पाटने पर केन्द्रित है.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक वित्तीय तंत्र में सुधार लाने की आवश्यकता है, ताकि विकास व जलवायु वित्त पोषण के लिए धनराशि की न्यायसंगत उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. विशेष रूप से उन विकासशील देशों के लिए जोकि कर्ज़ संकट से जूझ रहे हैं.

महासचिव ने कहा कि यह शिखर बैठक, सामूहिक कार्रवाई के ज़रिए आशा जगाने के बारे में है, और राजनैतिक व वित्तीय लामबन्दी के लिए भी, ताकि कोपेनहेगन में किए गए पहले वादे को पूरा किया जा सके.