सूडान: हिंसा प्रभावित इलाक़ों में गम्भीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित आम नागरिक
पिछले दो वर्षों से अधिक समय से हिंसक टकराव से त्रस्त सूडान में भूख संकट और गहरा गया है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित एक नए विश्लेषण में इस बात की पुष्टि की गई है कि दारफ़ूर और कोर्दोफ़ान के कुछ हिस्सों में अकाल अपने पाँव पसार रहा है.
इन इलाक़ों में जारी लड़ाई और घेराबन्दी की वजह से हालात बद से बदतर हो रहे हैं और स्थानीय समुदायों के पास भोजन या सहायता पाने का कोई माध्यम नहीं है.
खाद्य अभाव पर नज़र रखने के लिए एकीकृत सुरक्षा चरण वर्गीकरण नामक पैमाने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें खाद्य असुरक्षा को पाँच चरणों में विभाजित किया गया है. पाँचवा चरण, अकाल है और यह सबसे ख़राब स्थिति है, जिसमें भुखमरी, गम्भीर कुपोषण के हालात और मौतें होती हैं.
इसकी नई रिपोर्ट के अनुसार, सूडान के विभिन्न हिस्सों में 2.1 करोड़ से अधिक लोग ऊँचे स्तर पर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं. यह विश्व में सबसे बड़ा संकट है.
विश्लेषण दर्शाता है कि नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त के अल फ़शर शहर में अकाल की परिस्थितियाँ हैं और साउथ कोर्दोफ़ान के काडुग्ली में भी यही स्थिति हैं. यहाँ परिवार लड़ाई के बीच फँसे हुए हैं और पत्तियाँ, पशुओं का चारा और घास खाकर गुज़ारा कर रहे हैं.
देश भर में 3.75 लाख लोग विनाशकारी स्तर पर भूख से पीड़ित हैं, और भुखमरी के कगार पर हैं.
अल फ़शर में विकट हालात
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अनुसार, अल फ़शर में आम लोगों के लिए बेहद कठिन परिस्थितियाँ हैं. सूडान में अर्द्धसैनिक बल (RSF) ने 500 दिनों की घेराबन्दी के बाद इस शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया था, जिसके बाद बड़े पैमाने पर अत्याचारों को अंजाम दिए जाने की ख़बरें हैं.
बड़ी संख्या में आम नागरिकों को जान से मार दिया गया है, और यौन हिंसा की घटनाएं हुई हैं. अनेक अन्य फँसे हुए बताए गए हैं. शहर की अब भी घेराबन्दी है, और भोजन, दवा व अन्य राहत आपूर्ति को वहाँ पहुँचा पाना सम्भव नहीं है, जबकि इसके लिए अनेक अपील जारी की जा चुकी हैं.
यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने इस अवरोध को अस्वीकार्य बताया है और ज़रूरतमन्द आबादी तक तत्काल राहत पहुँचाने के लिए सुरक्षित मार्ग मुहैया कराए जाने का आग्रह किया है.
अक्टूबर महीने के अन्तिम दिनों से अब तक, अल फ़शर से 71 हज़ार लोगों के सुरक्षित स्थान की तलाश में भागने की ख़बर है. इस सफ़र के दौरान हत्याएँ किए जाने, लोगों को अगवा करने और उन्हें यौन हिंसा का शिकार बनाए जाने की रिपोर्टें हैं.
अल फ़शर से क़रीब 70 किलोमीटर दूर स्थित तवीला शहर में अधिकाँश लोगों ने शरण ली है, जहाँ परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण है. परिवारों को खुले में सोना पड़ रहा है, खाद्य सामग्री ख़त्म हो रही है और स्वच्छ पेयजल की क़िल्लत है.
सहायता का अभाव
वहीं, कोर्दोफ़ान में हाल के दिनों में हिंसा में तेज़ी आई है और हज़ारों लोग अपने घर छोड़कर चले गए हैं. सूडान के लिए यूएन मानवतावादी समन्वयक डेनिज़ ब्राउन ने मौजूदा हालात को आम लोगों के लिए विनाशकारी बताया है. वे लड़ाई के अग्रिम मोर्चों पर फँसे हुए हैं, सहायता से कटे हैं और विशाल स्तर पर भूख से जूझ रहे हैं.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने तुरन्त युद्धविराम लागू करने, आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बेरोकटोक मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराए जाने की अपील की है.
सूडान के लिए इस वर्ष 4.16 अरब डॉलर की मानवीय सहायता अपील जारी की गई थी, जिसमें अभी तक केवल 4.16 अरब डॉलर की धनराशि ही प्राप्त हो पाई है.
विश्व भर में मानवीय सहायता कार्यों के लिए वित्तीय समर्थन में अभूतपूर्व गिरावट आने से यह स्थिति उपजी है, जिसका जीवनरक्षक प्रयासों पर असर पड़ रहा है.