भारत: लखनऊ के पकवानों का स्वाद पहुँचा यूनेस्को की सूची में
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने 58 रचनात्मक शहरों की सूची जारी की है, जिसमें भारत के लखनऊ को पाक-कला के सृजनशील शहर का दर्जा मिला है. यह निर्णय लखनऊ की समृद्ध पकवान विरासत और सदियों पुरानी खाद्य परम्पराओं का सम्मान है, जो भोजन पकाने के नित नए-नए तरीक़े आज़माने, इसमें समुदायों के साथ लेकर चलने की बदौलत आज भी फल-फूल रही हैं.
भारत के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर का भोजन - गलियों-कूँचों से लेकर शाही रसोई तक - सदियों से इतिहास, सृजन और सामुदायिक भावना का संगम रहा है.
अब यूनेस्को से, ‘पाक-कला के सृजनशील शहर’ का दर्जा मिलने के बाद, लखनऊ ने वैश्विक स्वाद पटल पर अपनी पक्की जगह बना ली है.
यह घोषणा 31 अक्तूबर को, विश्व नगर दिवस पर हुई, जब यूनेस्को ने अपने रचनात्मक शहरों के नैटवर्क में, 58 नए शहर जोड़े. हैदराबाद (2019) के बाद लखनऊ, पाक-कला श्रेणी में शामिल होने वाला भारत का दूसरा शहर बन गया है.
यह शहर अपने स्वादिष्ट कबाबों, ख़ास बिरयानी और समृद्ध खानपान संस्कृति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है.
यूनेस्को ने, इस अवसर पर लखनऊ की ऐतिहासिक अवधी भोजन परम्परा और उसकी सृजनात्मकता की सराहना की.
यूनेस्को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक टिम कर्टिस ने कहा, “यह दर्जा न केवल लखनऊ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है, बल्कि अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के नए रास्ते भी खोलता है.”
उनके अनुसार, “लखनऊ का चयन यह दर्शाता है कि पाक-कला सांस्कृतिक पहचान का प्रमुख तत्व और सतत विकास की प्रेरक शक्ति है.”
वैश्विक नैटवर्क
लखनऊ अब इस मान्यता के साथ, एक वैश्विक नैटवर्क का हिस्सा बन गया है, जिसमें 100 से अधिक देशों के 408 शहर शामिल हैं.
इस नैटवर्क में हर शहर को किसी न किसी रचनात्मक क्षेत्र - जैसेकि शिल्प, लोक-कला, डिज़ाइन, फ़िल्म, पाक-कला, साहित्य, मीडिया कला और संगीत में योगदान के लिए पहचाना गया है. इस वर्ष इसमें एक नया विषय ‘वास्तुकला’ भी जोड़ा गया है.
लखनऊ की पहचान उसकी समृद्ध पाक विरासत से जुड़ी है. यह मान्यता अवधी व्यंजनों की पुरानी परम्पराओं, शहर की जीवन्त खानपान संस्कृति और नवाचार व संरक्षण की भावना का सम्मान करती है.
सहयोग और साझेदारी
यूनेस्को का रचनात्मक शहर नैटवर्क उन शहरों के बीच सहयोग बढ़ाता है जो सृजनशीलता को सतत शहरी विकास की रणनीति मानते हैं.
यूनेस्को द्वारा 2004 में शुरू किए गए इस नैटवर्क का उद्देश्य, उन शहरों को समर्थन देना है जो संस्कृति और सृजनशीलता को विकास का इंजिन बनाते हैं.
जब शहर कौशल बढ़ाते हैं, सृजनात्मक पेशेवरों को अवसर देते हैं व नागरिकों की भागेदारी सुनिश्चित करते हैं, तो रोज़गार बढ़ते हैं, अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है तथा समाज में एकता आती है.
ये शहर, संगीत, डिज़ाइन, पाक-कला और मीडिया कला जैसे क्षेत्रों में निवेश करके, ऐसी ठोस नीतियाँ बना रहे हैं जो स्थानीय ज़रूरतों को पूरा करती हैं और 2030 के वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देती हैं.
यह नैटवर्क शहरों के बीच सहयोग, अनुभवों के आदान–प्रदान और साझा समाधान को प्रोत्साहित करता है. सदस्य एक-दूसरे से सीखते हैं और अपनी सांस्कृतिक नीतियों के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव को मज़बूत करते हैं.
यूनेस्को द्वारा चुने गए नए रचनात्मक शहरों की पूरी सूची यहाँ देखी जा सकती है.