ग़ाज़ा: इसराइली सैन्य हमलों के बीच चार और अस्पताल बन्द
ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य हमले तेज़ होने से, वहाँ के स्वास्थ्यकर्मी भारी दबाव में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि युद्धग्रस्त क्षेत्र के उत्तर में इसी महीने चार और अस्पतालों को बन्द करना पड़ा है.
WHO के प्रवक्ता तारिक़ जसारेविच ने शुक्रवार को बताया, “अब ग़ाज़ा में काम कर रहे अस्पतालों की कुल संख्या केवल 14 रह गई है… शहर के शेष बचे आठ अस्पताल और एक फ़ील्ड अस्पताल भी नाज़ुक स्थिति में है.”
ये हालात इसलिए बने हैं क्योंकि इसराइली बल, हमास को खदेड़ने के घोषित लक्ष्य के साथ ग़ाज़ा शहर में आगे बढ़ रहे हैं.
इसी बीच इसराइली रक्षा बल (IDF), लोगों को बार-बार निकासी आदेश जारी कर रहे हैं, जिनसे लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और सैकड़ों स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रभावित हुई हैं.
प्रवक्ता तारिक़ जसारेविच ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया, “चाहे अस्पतालों को निकासी का आदेश न भी मिला हो, लेकिन पहुँच में रुकावटें और आस-पास हो रही हिंसा ही उनकी सेवाएँ ठप कर देने के लिए काफ़ी हैं.”
स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़
ग़ाज़ा सिटी, पूरे ग़ाज़ा पट्टी की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ है, क्योंकि इलाक़े के लगभग आधे अस्पताल और फ़ील्ड अस्पताल यहीं स्थित हैं.
WHO ने बताया कि दक्षिण के अस्पताल पहले ही क्षमता से ऊपर भर चुके हैं. वो और मरीज़ दाख़िल करने की हालत में नहीं हैं. फ़िलहाल शेष बचे अस्पतालों में से आठ ग़ाज़ा शहर में, तीन डेयर अल-बलाह में और तीन ख़ान यूनिस में हैं – लेकिन कोई भी अस्पताल पूरी क्षमता पर नहीं चल रहा.
ग़ाज़ा शहर के आठ अस्पताल और एक फ़ील्ड अस्पताल की हालत नाज़ुक है - घायलों की बाढ़ के साथ-साथ, गैर-आघात (non-trauma) मरीज़ों के इलाज के दोहरे दबाव से स्वास्थ्यकर्मी बेहद दबाव में हैं.
उत्तर ग़ाज़ा में 1 सितम्बर से जिन चार अस्पतालों में काम बन्द हुआ है, वे हैं - अल रनतीसी बाल अस्पताल, ऑफ़्थैल्मिक अस्पताल, सेंट जॉन नेत्र चिकित्सा अस्पताल और हमद पुनर्वास एवं कृत्रिम अंग अस्पताल.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हमद पुनर्वास एवं कृत्रिम अंग अस्पताल ग़ाज़ा पट्टी के तीन प्रमुख विशेष पुनर्वास केन्द्रों में से है.
यह रोज़ाना लगभग 200 मरीज़ों को ट्रॉमा स्थिरीकरण केन्द्र पर सेवाएँ देता था और क़रीब 250 बाह्य रोगियों को, पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करता था, जिनमें उत्तरी ग़ाज़ा में राहत सहायता लेते समय घायल हुए लोग भी शामिल थे.
घातक हमले
16 सितम्बर को अल रनतीसी अस्पताल पर हुए सीधे हमले में भारी नुक़सान हुआ. उस समय अस्पताल के अन्दर 80 मरीज़ मौजूद थे.
ग़ाज़ा पट्टी में बचे इस एकमात्र विशेष शिशु अस्पताल में किसी की मृत्यु होने की ख़बर तो नहीं है, मगर छत के पानी के टैंक, संचार प्रणाली और चिकित्सा उपकरण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए.
WHO के अनुसार, आधे मरीज़ तो भागकर निकल गए, लेकिन लगभग 40 अन्दर ही फँसे रह गए, जिनमें आईसीयू में दाख़िल 4 बच्चे और 8 नवजात शिशु शामिल हैं. अस्पताल के ज़्यादातर उपकरण ग़ाज़ा शहर के अल हेलू, अस सहाबा और अन्य अस्पतालों में भेज दिए गए हैं.
इन अस्पतालों के बन्द होने के अलावा, ग़ाज़ा शहर के बचे आठ अस्पताल और एक फ़ील्ड अस्पताल “नाज़ुक” हालत में हैं. हमलों से आए घायलों की बाढ़ का दबाव है, आपूर्ति घट रही है, और कई जगह मरीज़ों का इलाज फ़र्श पर करना पड़ रहा है.
WHO ने आगाह किया है कि रक्त इकाइयों, ब्लड बैग और ट्रांसफ़्यूज़न सेट की भारी कमी है. यदि ये चिकित्सा सामग्रियाँ तत्काल नहीं बढ़ीं तो “कुछ ही दिनों में सेवाएँ बन्द हो सकती हैं.”
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, 7 से 17 सितम्बर के बीच स्वास्थ्य सेवाओं पर हुए 12 हमलों में से 11 ग़ाज़ा शहर में हुए, जबकि एक ख़ान यूनिस में.
दवाओं की तुरन्त ज़रूरत
WHO के प्रवक्ता तारिक़ जसारेविच ने कहा, “ज़्यादा हिंसा का मतलब है ज़्यादा घायल लोग, ज़्यादा मौतें - और कम पहुँच.”
उनके मुताबिक, ग़ाज़ा में लोग बार-बार विस्थापित हो रहे हैं, दवाओं की कमी है, और मानवीय कर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों व मरीज़, सभी के लिए पहुँच में रुकावटें हैं.
उन्होंने हज़ारों गम्भीर मरीज़ों को तुरन्त बाहर निकालने की अपील दोहराई.
उन्होंने कहा, “15 हज़ार से अधिक लोगों को चिकित्सीय कारणों से निकाला जाना चाहिए, लेकिन निकासी बहुत धीमी है."
"हम फिर अपील करते हैं - युद्धविराम हो और बिना रुकावट पहुँच मिले, ताकि ग़ाज़ा की बची हुई स्वास्थ्य व्यवस्था को दवाओं, आपातकालीन चिकित्सा दलों व अन्य राहत सहायता पहुँचाकर सम्भाला जा सके.”