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ग़ाज़ा: इसराइली हमलों के बीच गहराती मानवीय पीड़ा

ग़ाज़ा सिटी में इसराइली हमलों में बढ़ोत्तरी और सघनता के बाद, बहुत से लोग दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ जाने को विवश हैं, जहाँ पहले से भी भारी भीड़ है.
UN News
ग़ाज़ा सिटी में इसराइली हमलों में बढ़ोत्तरी और सघनता के बाद, बहुत से लोग दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ जाने को विवश हैं, जहाँ पहले से भी भारी भीड़ है.

ग़ाज़ा: इसराइली हमलों के बीच गहराती मानवीय पीड़ा

शान्ति और सुरक्षा

ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य हमले दीगर तेज़ हो गए हैं. वहीं संयुक्त राष्ट्र की राहत टीमों ने गुरूवार को बताया कि युद्धग्रस्त ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी हिस्से में हालात इतने तंग हैं कि विस्थापित और भूखे फ़लस्तीनी लोग, मलबे से भरी खुली ज़मीन पर सोने को मजबूर हैं.

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय समन्वय एजेंसी OCHA ने बताया, “ग़ाज़ा शहर में तम्बुओं, रिहायशी इमारतें और ढाँचों समेत सभी स्थानों पर तेज़ हुए इसराइली हमलों में भारी संख्या में लोग हताहत हो रहे हैं.”

एजेंसी ने यह भी बताया कि घेराबन्दी के शिकार उत्तरी ग़ाज़ा सिटी में इस महीने कई स्वास्थ्य सुविधाएँ बन्द हो गई हैं. इसराइली सैन्य अभियान जारी रहने से सामुदायिक रसोईघर भी बन्द हो चुके हैं.

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यह घटनाक्रम यूएन के शीर्ष राहत अधिकारी टॉम फ़्लैचर की उस चेतावनी के ठीक बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग़ाज़ा के बच्चों पर युद्ध का असर विनाशकारी है - वो “सोते हुए, खेलते हुए, भोजन-पानी के लिए क़तार में खड़े हुए, और इलाज के लिए जाते हुए” मारे जा रहे हैं.

उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान एक निर्धारित कार्यक्रम में कहा, “वो बमबारी झेल रहे हैं, घायल-अपंग हो रहे हैं, भुखमरी से गुज़र रहे हैं, ज़िन्दा जलाए जा रहे हैं, अपने घरों के मलबे में दफ़न हो रहे हैं, माता-पिता से बिछड़ गए हैं… भोजन के लिए मलबा खंगाल रहे हैं और बिना बेहोशी की दवा के अंग-विच्छेदन सह रहे हैं.”

टॉम फ़्लैचर ने ज़ोर देकर कहा कि संकट से निपटने के लिए अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के अस्थाई उपाय लागू होना ज़रूरी हैं, जिनके तहत इसराइल को ग़ाज़ा में तुरन्त मानवीय सहायता पहुँचाने की सुविधा देनी ज़रूरी होगी. 

उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को हमास-नेतृत्व वाले हमलों में मारे गए या बंधक बनाए गए इसराइली बच्चों का भी उल्लेख किया.

ग़ाज़ा पर अन्य ताज़ा जानकारी:

  • OCHA के अनुसार, 19 सितम्बर को ख़ान यूनिस के अल-मवासी में एक तम्बू पर हमले में चार साल का लड़का और पाँच साल की लड़की मारे गए, और कई लोग घायल हुए.
  • ग़ाज़ा में जारी अकाल के बीच रोटी के 2 किलो पैकेट की क़ीमत अब 9 डॉलर हो गई है, जबकि 2025 की शुरुआत में यूएन-समर्थित बेकरी में इतनी रोटी 30 सेंट में मिल रही थी.
  • 23 सितम्बर तक एक सप्ताह में, ग़ाज़ा पट्टी में इसराइल के साथ समन्वित 94 नियोजित राहत मिशनों में से केवल 35 ही आगे बढ़ पाए.
  • 12 सितम्बर को ज़िकीम सीमा चौकी बन्द होने के बाद से उत्तर ग़ाज़ा में कोई सहायता नहीं पहुँची है. इससे पका हुआ भोजन देने वाले साझीदारों को भारी भीड़भाड़ और सुरक्षा जोखिमों के बीच अल-रशीद रोड से दक्षिण से सामग्री लानी पड़ रही है.
  • उत्तरी ग़ाज़ा में पिछले सप्ताहांत में वितरित 1 लाख 9,000 भोजन ख़ुराकों के मुक़ाबले, इस सप्ताह रोज़ाना लगभग 50 हज़ार कम ख़ुराकें मुहैया कराई जा सकीं, क्योंकि ग़ाज़ा सिटी में इसराइली सैन्य अभियान तेज़ होने पर कुछ सामुदायिक रसोई बन्द हो गई हैं.
  • दक्षिण ग़ाज़ा में परिवार “समुद्र तट के किनारे अस्थाई तम्बुओं में ठुंसे” हैं या भीड़ भरे स्कूलों में रह रहे हैं. बहुत से लोग खुली जगह और मलबे के बीच सोने को मजबूर हैं, जबकि बुनियादी सेवाओं तक पहुँच नहीं के बराबर है.
  • 21 सितम्बर को फ़लस्तीनी समूहों ने इसराइल पर रॉकेट दागे, और ग़ाज़ा शहर में इसराइली बलों से उनकी झड़पें भी हुईं.
  • रिहायशी इमारतों और उन तम्बुओं पर, जिनमें विस्थापित लोग और मदद लेने आए लोग ठहरे थे, फिर से इसराइली हमलों की सूचना है. साथ ही, नियंत्रित विस्फोटों की भी ख़बरें हैं.
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, 19 से 20 सितम्बर के 48 घंटों में ग़ाज़ा शहर की रिहायशी इमारतों पर 18 हमलों में कम से कम 51 फ़लस्तीनी मारे गए. मारे गए लगभग सभी लोग आम नागरिक थे.
  • OCHA के अनुसार, इसराइल के नए निकासी आदेश, जारी ज़मीनी अभियान और बमबारी के कारण, ख़ासतौर पर ग़ाज़ा शहर से “विस्थापन की नई लहरें” उठी हैं.

ग़ाज़ा प्रशासन के मुताबिक़ 24 सितम्बर तक के सप्ताह में 357 फ़लस्तीनी लोग मारे गए हैं और 1,463 घायल हुए हैं. 7 अक्तूबर 2023 से अब तक ग़ाज़ा में 65 हज़ार 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 1 लाख 67 हजॉार 160 घायल हुए हैं.

OCHA के अनुसार, 27 मई 2025 से अब तक सहायता पाने की कोशिश के दौरान, 2 हज़ार 531 लोगों की मौत हुई है और 18 हज़ार 531 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

इसके अलावा, 19 सितम्बर तक, अक्टूबर 2023 से अब तक, कुपोषण से जुड़ी 440 मौतें दर्ज हुईं; जिनमें 147 बच्चे शामिल हैं.