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भौगोलिक कै़द और बाज़ार की मार, सबसे उपेक्षित रहे हैं भूमिबद्ध विकासशील देश

नेपाल जैसे भूमिबद्ध विकासशील देशों में प्राकृतिक सुन्दरता भी बहुत है.
UNFPA Photo
नेपाल जैसे भूमिबद्ध विकासशील देशों में प्राकृतिक सुन्दरता भी बहुत है.

भौगोलिक कै़द और बाज़ार की मार, सबसे उपेक्षित रहे हैं भूमिबद्ध विकासशील देश

नरगिज़ शेकिन्सकाया, अवाज़ा, तुर्कमेनिस्तान
आर्थिक विकास

दुनिया के 32 भूमिबद्ध देश ( LLDCs), अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार की चुनौतियों और भौगोलिक सीमाओं की वजह से, आज भी सबसे ग़रीब और उपेक्षित देशों में शामिल हैं.

इस सप्ताह, तुर्कमेनिस्तान के अवाज़ा में संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में, इन देशों की स्थिति पर चर्चा की जा रही है. 

इस सम्मेलन में इन देशों के लिए व्यापार लागत, निवेश की कमी और बढ़ती डिजिटल खाई जैसी समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाने पर ज़ोर दिया जा रहा है.

हालाँकि, कुछ क्षेत्रों में प्रगति हुई है, लेकिन बोलीविया से लेकर भूटान और बुर्कीना फासो जैसे देशों का, वैश्विक निर्यात में योगदान मात्र 1.2 प्रतिशत है, जबकि इन देशों में, वैश्विक आबादी का 7 प्रतिशत बसता है.

इनमें से कई देश, खाद्य असुरक्षा, निर्धनता और आर्थिक अस्थिरता के चरम पर हैं. 

संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और विकास संस्था (UNCTAD) की महासचिव रिबेका ग्रीनस्पैन का कहना है, “ये देश दुनिया की नज़रों से ओझल हैं. जब तक वैश्विक ध्यान और समन्वित प्रयास नहीं होंगे, ये देश एक ढाँचागत जाल में फँसे रहेंगे.”

भूगोल ही सबसे बड़ी चुनौती

इन देशों को, समुद्री बन्दरगाहों तक सीधी पहुँच नहीं होने के कारण, व्यापार के लिए पड़ोसी पर निर्भर रहना पड़ता है. इससे व्यापार की लागत तटीय देशों की तुलना में औसतन 1.4 गुना अधिक हो जाती है. 

कहीं-कहीं सीमा पर प्रक्रियाएँ, सप्ताहों या महीनों तक खिंच जाती हैं.

UNCTAD के अनुसार, यदि डिजिटल तकनीकें सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में लागू की जाएँ, तो इन्तेज़ार का समय तीन दिन से घटाकर तीन घंटे किया जा सकता है. 

इसी दिशा में, संयुक्त राष्ट्र एशिया और प्रशान्त के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) द्वारा प्रोत्साहित "सीमापार काग़ज़ रहित व्यापार समझौता" एक मिसाल बन चुका है.

 दुनिया के 32 भूमिबद्ध देश ( LLDCs), अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार की चुनौतियों और भौगोलिक सीमाओं की वजह से आज भी सबसे ग़रीब और उपेक्षित देशों में शामिल हैं.
© ADB/Eric Sales

क्षेत्रीय सहयोग की ज़रूरत

भूमिबद्ध देशों में, सड़क और रेल नैटवर्क अक्सर कमज़ोर, धन की कमी और जलवायु आपदाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं. जैसे,अफ़्रीका के उत्तरी गलियारे में निवेश करने से सीमा पर प्रतीक्षा समय में कमी आई है.

महासचिव रिबेका ग्रीनस्पैन कहती हैं, “केवल ढाँचागत विकास नहीं, डिजिटल प्रणालियों और मज़बूत क्षेत्रीय साझीदारियों की भी ज़रूरत है. जब देश क्षेत्रीय रूप से एकीकृत होते हैं, तो वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकते हैं.”

निवेश की चुनौती

इन देशों की अर्थव्यवस्था अक्सर खनिज, तेल जैसे कच्चे माल और कृषि उत्पादों पर निर्भर होती है, जिससे उन पर वैश्विक क़ीमतों में उतार-चढ़ाव का ख़ासा असर होता है. 

इससे न केवल रोज़गार के अवसर सीमित होते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था का विकास भी बाधित होता है.

महासचिव रिबेका ने कहा, “इन देशों को, केवल कच्चे माल पर निर्भरता से आगे बढ़कर, बुनियादी ढाँचे, डिजिटल सेवाओं और ज्ञान-आधारित क्षेत्रों की ओर बढ़ना होगा.”

हालाँकि इन देशों ने विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, 135 से अधिक क़ानूनी सुधार किए हैं, लेकिन पिछले दशक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में औसतन 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

ESCAP के अनुसार, एशिया के देशों को प्रति व्यक्ति ढाँचागत निवेश, तटीय देशों की तुलना में क़ाफी कम मिल रहा है, जबकि उनकी ज़रूरतें अधिक हैं.