वर्षा देशपांडे और 'जनसंख्या वैज्ञानिक अध्ययन संघ' को, यूएन जनसंख्या पुरस्कार
भारत की एक महिला अधिकार कार्यकर्ता वर्षा देशपांडे और अन्तरराष्ट्रीय जनसंख्या वैज्ञानिक अध्ययन संघ (IUSSP) को, इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार (2025) के लिए चुना गया है. इन्हें यह सम्मान, अपने-अपने क्षेत्रों में जनसंख्या व प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दों पर असाधारण योगदान के लिए दिया जा रहा है.
यह पुरस्कार 1983 से उन व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जा रहा है, जिन्होंने जनसंख्या और प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है. वर्ष 2025 में दिया जा रहा यह 40वाँ पुरस्कार है.
दलित महिलाओं की आवाज़
यूएन जनसंख्या व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी - UNFPA के अनुसार, वर्षा देशपांडे, दलित महिला विकास मंडल की संस्थापक हैं, और पिछले साढ़े तीन दशकों से महिलाओं के अधिकारों व लैंगिक न्याय के लिए लगातार काम कर रही हैं.
उन्होंने 1990 में, उस दौर में दलित महिला विकास मंडल की स्थापना की थी, जब जातीय भेदभाव और लैंगिक असमानता के ख़िलाफ़ बोलना एक साहसिक प्रयास था. आज उनका काम भारत के ग्रामीण इलाक़ों की हज़ारों महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रहा है.
वर्षा देशपांडे ने बाल विवाह रोकने, महिलाओं को स्वरोज़गार और सम्पत्ति अधिकार दिलाने, और अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को उनके क़ानूनी अधिकार सुनिश्चित कराने के लिए कई प्रभावशाली पहल की हैं.
उन्होंने न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में आयोजित पुरस्कार समारोह के बाद, यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ बातचीत में कहा कि संयुक्त राष्ट्र से इस स्तर पर यह सम्मान मिलना कोई छोटी बात नहीं है. यह केवल सम्मान की भी बात नहीं है, बल्कि एक ज़िम्मेदारी का एहसास हमें हो रहा है.
"आज दुनिया भर में जिस तरह से हिंसा, भेदभाव के विरुद्ध नागरिक समाज लड़ाई में जुटा है, लोगों के बीच में रह कर प्रयास हो रहा है, इस पुरस्कार से उन सभी को नई ऊर्जा मिलेगी. यह केवल किसी एक व्यक्ति को मिला हुआ सम्मान नहीं है, और मैंने यह पुरस्कार उन सभी कार्यकर्ताओं की ओर से स्वीकार किया है."
वर्षा देशपांडे ने कहा कि यह एक मिसाल क़ायम करेगा कि यदि हम समर्पित ढंग से प्रयास करें तो उसे मान्यता मिलती है. संयुक्त राष्ट्र से यह पुरस्कार मिलने से अन्य देशों की सरकारों में यह सन्देश जाएगा कि उन्हें भी इन मुद्दों को गम्भीरता से लेना होगा और इसकी मुझे सबसे अधिक ख़ुशी है.
उनका यह कार्य सिर्फ़ जागरूकता फैलाने तक सीमित नहीं, बल्कि स्थाई सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक ठोस पहल है.
उन्होंने न केवल बहुत सी लड़कियों की स्कूली शिक्षा फिर शुरू कराई, बल्कि उनके लिए ऐसा वातावरण तैयार किया जहाँ वे अपने अधिकारों को पहचान सकें.
वर्षा देशपांडे भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों की कई समितियों की सदस्य भी रही हैं. उन्होंने लिंग-आधारित भ्रूण चयन रोकथाम क़ानून को प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाई है.
IUSSP को भी सम्मान
UNFPA की एक प्रैस विज्ञप्ति के अनुसार, संस्थागत श्रेणी में सम्मानित संगठन IUSSP की स्थापना 1927 में हुई थी, जिसने जनसंख्या विज्ञान और नीति निर्माण के बीच की दूरी को पाटने का काम किया है.
इस संस्था ने ख़ासतौर पर एशिया, अफ़्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में, युवाओं और मंझले स्तर के जनसंख्या वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करके, नीति संवाद में उनकी भागेदारी सुनिश्चित की है.
IUSSP ने प्रजनन स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, और जनसंख्या और सतत विकास के बीच सम्बन्धों जैसे ज़रूरी विषयों पर काम किया है.
IUSSP का प्रयास रहा है कि जनसंख्या से जुड़ी जटिल समस्याओं का समाधान विज्ञान और शोध के आधार पर किया जाए, जिससे नीति निर्माण भी सटीक और मानव-केन्द्रित हो.
यह पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1981 में स्थापित किया था और पहली बार 1983 में दिया गया था.
पुरस्कार समिति में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और UNFPA (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) के कार्यकारी निदेशक स्वतः शामिल होते हैं.
इस पुरस्कार के ज़रिए वर्षा देशपांडे जैसी ज़मीनी कार्यकर्ताओं और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के प्रयासों को एक वैश्विक मंच पर सराहना मिली है.
यह पुरस्कार केवल सम्मान नहीं, बल्कि उन अदृश्य संघर्षों की वैश्विक पहचान है, जो समानता, न्याय और मानव गरिमा की बुनियाद पर खड़े हैं.