वो हर उस लड़की की आवाज़ बनीं जिसे दुनिया ने भुला दिया: नतालिया कानेम की विरासत
डॉक्टर नतालिया कानेम, यूएन प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) कार्यकारी निदेशक के रूप में, अपने आठ वर्षों के कार्यकाल को याद करते हुए, किन्हीं आँकड़ों का ज़िक्र नहीं करतीं, बल्कि वह बार-बार एक ही तस्वीर का ज़िक्र करती हैं: किशोरावस्था की दहलीज पर खड़ी एक दस वर्षीय लड़की का, जिसका भविष्य अनिश्चित है और जिसके अधिकार अब भी बहस का विषय हैं.
डॉक्टर कानेम सोचती हैं, “क्या वह लड़की अपनी शिक्षा पूरी कर पाएगी, दुनिया में अपनी जगह बना पाएगी? या फिर वह बाल विवाह, महिला जननांग विकृति (FGM), या अत्यधिक निर्धनता जैसे कारणों से रास्ते से भटक जाएगी?”
यह गूंजता हुआ सवाल – न केवल उस एक विशेष बच्ची के सन्दर्भ में, बल्कि दुनिया भर में, उस जैसी लाखों लड़कियों के लिए भी – UNFPA की कार्यकारी निदेशक के रूप में डॉक्टर कानेम के कार्यकाल की पहचान बन गया.
डॉक्टर कानेम ने, पूर्वी अफ़्रीका में ज़मीनी स्तर पर अपने शुरुआती काम से लेकर 150 से अधिक देशों में संचालित 1.7 अरब डॉलर की एजेंसी का नेतृत्व करने तक, UNFPA को वैश्विक बदलावों, राजनैतिक विरोधों और वैचारिक चुनौतियों के बीच एक सशक्त मार्गदर्शन प्रदान किया.
सबसे महत्वपूर्ण, उन्होंने करोड़ों महिलाओं और लड़कियों के जीवन में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन का नेतृत्व किया.
डॉक्टर नतालिया कानेम, जुलाई (2025) में अपने पद से, तय समय से पहले हट रही हैं.
70 वर्षीय डॉक्टर कानेम ने वर्ष के शुरू में एजेंस की लगभग 5 हज़ार स्टाफ़ को एक वीडियो सन्देश में सम्बोधित करते हुए कहा था, “अब ज़िम्मेदारी आगे सौंपने का समय आ गया है. मैंने यह संकल्प लिया है कि अपनी पूरी क्षमता के साथ, UNFPA को ऐसी स्थिति में लाने के लिए काम करती रहूँगी, जहाँ यह संस्था आगे भी असाधारण कार्य करती रहे.”
जड़ें और ऊँचाई की उड़ान
पनामा में पैदा हुईं और एक चिकित्सक के रूप में प्रशिक्षित डॉक्टर नतालिया कानेम ने परोपकार के क्षेत्र में सफल करियर के बाद, 2014 में UNFPA से जुड़ने का निर्णय लिया.
उन्होंने, “संयुक्त राष्ट्र के महान उद्देश्य” की सेवा करने के अपने संकल्प के तहत, सबसे पहले तंज़ानिया में कार्यभार सम्भाला, जहाँ वे ज़मीनी स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों की अटूट प्रतिबद्धता और सेवा भावना से गहराई के साथ प्रभावित हुईं.
उन्होंने UN News से बातचीत में कहा, “हमारा असली मूल्य तो वहीं सिद्ध होता है, जहाँ स्थानीय स्तर पर सेवाएँ दी जाती हैं.”
लेकिन यह ज़िम्मेदारी आसान नहीं थी. जब उन्होंने वर्ष 2017 में एजेंसी की कमान सम्भाली, तब UNFPA एक कठिन दौर से गुजर रही था - इसकी दृश्यता कम हो रही थी, वित्तीय स्थिति अस्थिर थी, और रूढ़िवादी ताक़तों से लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा था.
फिर भी, UNFPA न केवल बजट के स्तर पर, बल्कि अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा में भी निरन्तर बढ़त हासिल करती गई.
उन्होंने कहा, “जब मैं (इस एजेंसी) में आई थी, तब यह धारणा थी कि हम एक छोटी और संकटग्रस्त संस्था हैं, जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है कि यह क्या करती है. लेकिन मुझे लगता है कि अब तस्वीर कहीं अधिक स्पष्ट हो चुकी है.”
यह स्पष्टता आंशिक रूप से उस 'वैचारिक नेतृत्व' से उपजी, जिसे डॉक्टर कानेम ने सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया, चाहे प्रजनन से जुड़ी भ्रान्तियों को चुनौती देना हो या तकनीक के माध्यम से बढ़ रही लैंगिक हिंसा का मुकाबला करना हो, उन्होंने UNFPA को वैश्विक विमर्श की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया.
उन्होंने कहा, “हम विचारों के बाज़ार में काम करते हैं. हमें सच्चाई को इस तरह पेश करना होता है कि वह न केवल विश्वसनीय हो, बल्कि इतनी प्रभावशाली भी हो कि यह आन्दोलन जिन सहयोगियों की मांग करता है, वे हमारे साथ जुड़ने के लिए प्रेरित हों.”
उनके नेतृत्व में, एजेंसी ने लाखों दाइयों को प्रशिक्षित किया, अरबों गर्भनिरोधक साधनों का वितरण किया, और मानवीय संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों तक अपनी पहुँच व्यापक रूप से बढ़ाई - फिर चाहे वह कॉक्सेस बाज़ार के रोहिंग्या शिविर हों, युद्धग्रस्त यूक्रेन हो या हैज़ा-प्रभावित हेती.
संकटग्रस्त क्षेत्रों में UNFPA की मौजूदगी केवल प्रणालीगत ही नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण रही.
सूडान, सीरिया और ग़ाज़ा जैसे इलाक़ों में, सैनिटरी पैड्स, कम्बल और साबुन से सुसज्जित एक साधारण तम्बू भी किसी महिला के लिए एक सुरक्षित आश्रय बन सकता है.
डॉक्टर कानेम ने कहा, “यह उस राहत और सम्मान का प्रतीक है जिसकी एक महिला को संकट के समय सबसे अधिक आवश्यकता होती है. इसी कारण हम इन किट्स को ‘गरिमा किट’ कहते हैं.”
बातचीत की दिशा में बदलाव
डॉक्टर नतालिया कानेम ने, सेवाएँ प्रदान करने से कहीं आगे बढ़कर, एक राजनैतिक और सामाजिक रूप से ध्रुवीकृत विश्व में, UNFPA की भूमिका को एक वैचारिक नेतृत्वकर्ता के रूप में नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया.
उन्होंने एजेंसी को उन सार्वजनिक बहसों का सक्रिय हिस्सा बनाया जो कठिन और संवेदनशील थीं - जैसेकि किशोर गर्भधारण, जलवायु चिन्ता, प्रजनन दर और ऑनलाइन उत्पीड़न. उन्होंने हर मुद्दे पर अधिकार-आधारित दृष्टिकोण की मज़बूती से पैरवी की.
डॉक्टर कानेम कहती हैं, “वह दस साल की लड़की वास्तव में मौजूद है. उसके माता-पिता, धार्मिक नेता और समुदाय क्या सोचते हैं - यह इसलिए बेहद अहम है ताकि वह जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार हो सके और यह समझ सके कि जब उस पर रिवाज़ और परम्पराएँ जबरन थोपे जाएँ, तो उनका सामना कैसे करना है.”
उनके प्रभावशाली नेतृत्व का असर केवल विचारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आँकड़ों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया.
डॉक्टर कानेम के मार्गदर्शन में UNFPA ने राष्ट्रीय जनगणनाओं में सहयोग बढ़ाने और नीति निर्माताओं के लिए वास्तविक समय पर आधारित डैशबोर्ड्स विकसित करने में उल्लेखनीय निवेश किया, ताकि प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी नीतियों को ठोस और भरोसेमन्द आँकड़ों के आधार पर आकार दिया जा सके.
हर वर्ष दुनिया की जनसंख्या प्रवृत्तियों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करने वाली State of World Population Report में इस वर्ष, “जनसंख्या संकट” जैसी पारम्परिक अवधारणाओं को एक नई दृष्टि से देखा गया.
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि अनेक महिलाएँ और पुरुष वैचारिक कारणों से नहीं, बल्कि आर्थिक असमर्थता के कारण सन्तानोत्पत्ति में देरी कर रहे हैं या उसे टाल रहे हैं.
डॉक्टर कानेम ने उन युवाओं की परोपकारी सोच की सराहना की, जो यह कहते हैं कि वे जलवायु संकट को और बढ़ाने के डर से बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आँकड़े कुछ अन्य तस्वीर पेश करते हैं.
उन्होंने समझाया, “आज की वैश्विक प्रजनन दर धरती के लिए किसी प्रकार का ख़तरा नहीं है. तथ्य यही कहते हैं कि आप उतने ही बच्चे पैदा करें, जिनका आप सुरक्षित और सम्मानजनक ढंग से पालन-पोषण कर सकें.”
उथल-पुथल के दौर में अधिकारों पर ध्यान
डॉक्टर नतालिया कानेम ने UNFPA का नेतृत्व ऐसे समय में सम्भाला, जब प्रजनन अधिकारों पर हमले तेज़ हो रहे थे, राष्ट्रवाद बढ़ रहा था, और बहुपक्षीय संस्थाओं पर अविश्वास गहराता जा रहा था.
इस दौरान उन्हें वर्षों तक अमेरिका द्वारा दी गई धन सहायता में कटौती का सामना करना पड़ा - जिसमें मौजूदा प्रशासन की कटौती भी शामिल थी. इसके बावजूद, UNFPA की सेवाओं की माँग लगातार बढ़ती रही.
उन्होंने कहा, “UNFPA के पास आज जितने संसाधन हैं, उतने पहले कभी नहीं थे. लेकिन ज़रूरतों की बाढ़ के आगे ये भी नाकाफ़ी साबित होते हैं.”
केवल संसाधन ही किसी एजेंसी का भविष्य सुनिश्चित नहीं कर सकते - विश्वसनीयता और दृढ़ता भी उतनी ही आवश्यक हैं.
डॉक्टर कानेम आगाह करते हुए कहती हैं, “आज जब बहुपक्षीय प्रणाली की सबसे अधिक आवश्यकता है, ठीक उसी समय उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. हमें हर दिन अपना मूल्य सिद्ध करना पड़ रहा है. और जब हमसे ग़लती होती है, तो हमें उठकर उसे सुधारना होता है - और ऐसे साझीदार खोजने होते हैं जो हमारे साथ खड़े रह सकें.”
ऐसे ही एक महत्वपूर्ण साझीदार के रूप में निजी क्षेत्र सामने आया. 2023 में, UNFPA ने तकनीकी कम्पनियों के साथ मिलकर केनया में एक विकास प्रभाव बॉन्ड (Development Impact Bond) शुरू किया, जिसके माध्यम से किशोरियों को मोबाइल-आधारित यौन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की गईं - ताकि किशोरावस्था में गर्भधारण और HIV संक्रमण के नए मामलों को रोका जा सके.
प्रगति का मापदंड - बदलती मानसिकता
UNFPA ने महिला जननांग विकृति (FGM) और बाल विवाह जैसी हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करने के लिए, लम्बे समय से अथक कार्य किया है.
डॉक्टर नतालिया कानेम के नेतृत्व में यह प्रयास केवल क़ानून में बदलाव तक सीमित नहीं रहा - यह एक व्यापक सोच और मानसिकता को बदलने का अभियान बन गया.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वास्तव में प्रगति हुई है, तो उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ उत्तर दिया, “हाँ, बिल्कुल. यह देखना बेहद महत्वपूर्ण रहा है कि धार्मिक और पारम्परिक नेता अब कुछ हानिकारक प्रथाओं के विरुद्ध खड़े हो रहे हैं..."
"और हम स्कूल प्रणालियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि लड़कियाँ स्वयं इन जोखिमों को समझें और अपने विकल्पों को लेकर अधिक जागरूक व सशक्त निर्णय ले सकें.”
उन्होंने स्वीकार किया कि कोविड-19 एक बड़ा झटका था. जब स्कूल बन्द हो गए, तो कुछ समुदायों में पारम्परिक रस्मों को तेज़ी से निभाया जाने लगा. फिर भी, इंडोनेशिया जैसे जनसंख्या-घनत्व वाले कई देशों में UNFPA ने, इन प्रथाओं में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है.
इसका श्रेय उन युवाओं को भी जाता है जो अपने ही समुदायों के भीतर से इन हानिकारक परम्पराओं के विरुद्ध आवाज़ उठा रहे हैं.
अगली पीढ़ी - और अगला अध्याय
डॉक्टर नतालिया कानेम ने, भविष्य की ओर नज़र डालते हुए, अनिश्चितताओं पर नहीं, बल्कि सम्भावनाओं पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, “हमने स्वयं को बदला है, आधुनिक बनाया है. UNFPA के सामने सम्भावनाएँ असीमित हैं.”
उन्होंने, अपने व्यक्तिगत भविष्य के बारे में बताया कि वे अब कुछ दिन के लिए पूरी तरह से छुट्टियाँ लेंगी - जिसमें वे संगीत, अपने परिवार और अन्ततः स्वयं के लिए समय निकाल पाएँगी. हालाँकि, वे ज़्यादा समय तक शान्त नहीं बैठ पाएंगी.
उन्होंने कहा, “मुझे मालूम है कि महिलाओं और लड़कियों से जुड़े मुद्दों के प्रति मेरा जुनून कभी कम नहीं होगा. यह मेरे लिए एक प्रेमपूर्ण सेवा रही है.”
उनका विदाई सन्देश? एक बार फिर उसी लड़की की ओर लौटना, जो उनकी सोच और सेवा के केन्द्र में हमेशा बनी रही.
उन्होंने कहा, “जब 10 साल की वो लड़की सफल होती है, तो हम सभी की सफलता सुनिश्चित होती है. तभी यह दुनिया वास्तव में एक बेहतर जगह बनती है.”