WHO: ग़ाज़ा में कुपोषण से 57 बच्चों की मौत होने की ख़बरें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि सहायता आपूर्ति के अभाव में भोजन उपलब्धता का रेगिस्तान बन चुके ग़ाज़ा में कुपोषण के शिकार बच्चे मौत के मुँह में जा रहे हैं, जबकि जीवित बच्चों के लिए भी, जीवन भर गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने का जोखिम है.
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 2 मार्च को इसराइली सहायता नाकाबन्दी शुरू होने के बाद से, कुपोषण के प्रभाव से 57 बच्चों की मौत होने की ख़बरें मिली हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो अगले 11 महीनों में, पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 71 हज़ार बच्चों के गम्भीर कुपोषण की चपेट में आने की आशंका है.
इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में WHO के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सहायता सामग्री की आपूर्ति पर इसराइल के पूर्ण प्रतिबन्ध के कारण, WHO के पास गम्भीर कुपोषण से पीड़ित केवल 500 बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त चिकित्सा सामग्री बची है जोकि - "तत्काल आवश्यकताओं का एक छोटा सा अंश है".
उन्होंने आगाह करते हुए कहा, "लोग ऐसे चक्र में फँसे हुए हैं, जहाँ तमाम तरह के खाद्य पदार्थों की कमी, कुपोषण और बीमारी एक दूसरे को बढ़ावा दे रहे हैं."
डॉक्टर पीपरकोर्न की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जबकि सोमवार को, संयुक्त राष्ट्र समर्थित खाद्य सुरक्षा चेतावनी आकलन – IPC के एक नए विश्लेषण में दिखाया गया है कि ग़ाज़ा में पाँच में से एक व्यक्ति यानि लगभग 5 लाख लोग - भुखमरी का सामना कर रहे हैं.
साथ ही, ग़ाज़ा पट्टी की पूरी यानि 21 लाख आबादी लम्बे समय से खाद्यान्न की कमी से जूझ रही है.
WHO भी IPC का सदस्य है.
बढ़ता भूख संकट
डॉक्टर पीपरकोर्न ने कहा कि यह दुनिया के सबसे ख़राब भूख संकटों में से एक है, जो सबकी आँखों के सामने घटित हो रहा है.
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के प्रतिनिधि ने, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े - कमाल अदवान अस्पताल की अपनी हाल की यात्रा के बारे में भी जानकारी दी, जहाँ हर दिन 300 से अधिक बच्चों की, WHO समर्थित पोषण केन्द्र में जाँच की जाती है.
उनकी यात्रा के दौरान, अस्पताल ने वैश्विक तीव्र कुपोषण के 11 प्रतिशत से अधिक मामलों की सूचना दी.
उन्होंने, प्रभावित बच्चों की हालत की जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने पाँच साल की उम्र का एक बच्चा देखा मगर वो देखने में केवल ढाई साल का नज़र आ रहा था.
WHO इस क्षेत्र में कुपोषण उपचार केन्द्रों को जीवन रक्षक टिकित्सा सामान के साथ सहायता प्रदान करता है, लेकिन इसराइल द्वारा सहायता बन्द कर दिए जाने और मानवीय पहुँच में कमी के कारण, इन कार्यों को जारी रखने की इसकी क्षमता पर भी ख़तरा मंडरा रहा है.
डॉक्टर पीपरकोर्न ने कुपोषण से होने वाले दीर्घकालिक नुक़सान पर ज़ोर दिया जो "जीवन भर बना रह सकता है", जिसके प्रभाव में बच्चों के विकास में रुकावट, संज्ञानात्मक विकास व स्वास्थ्य में कमियाँ शामिल हैं.
उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, "पर्याप्त पौष्टिक भोजन, स्वच्छ पानी, स्वास्थ्य सेवा की पर्याप्त उपलब्धता के अभाव में, एक पूरी पीढ़ी स्थाई रूप से प्रभावित होगी."
WHO अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि एजेंसी, ग़ाज़ा पट्टी में सहायता सामग्री पहुँचाने की ज़रूरत को "लगातार" इसराइली अधिकारियों के साथ उठाती रही है.
ग़ाज़ा के साथ रफ़ाह सीमा पार मिस्र के अल-अरीश में, WHO के लगभग 31 सहायता ट्रक प्रतीक्षारत हैं. इसके अलावा, फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट की सीमा पर भी और अधिक सहायता सामग्री के भंडार तैयार हैं, जो “किसी भी दिन अनुमति मिलने पर” ग़ाज़ा में दाख़िल होने के लिए तैयार हैं.
स्वास्थ्य सेवाएँ कोई निशाना नहीं हैं
डॉक्टर पीपरकोर्न ने, स्वास्थ्य सेवा पर हमलों की बात करते हुए कहा कि ग़ाज़ा के दक्षिणी शहर ख़ान यूनिस में नासेर चिकित्सा परिसर में मंगलवार को कथित तौर पर एक इसराइली हवाई हमला हुआ, जिसमें दो लोग मारे गए और 12 घायल हो गए.
हमले के परिणामस्वरूप सर्जिकल विभाग में 18 रोगी बिस्तर नष्ट हो गए, जिनमें आठ “गम्भीर” गहन देखभाल बिस्तर शामिल हैं.
मीडिया ने बताया कि एक पिछले हवाई हमले में लगी चोटों के इलाज के दौरान, एक फ़लस्तीनी पत्रकार की मौत हो गई है.
डॉक्टर पीपरकोर्न ने ज़ोर देकर कहा, “स्वास्थ्य सेवा कोई निशाना नहीं है.”
उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने, सहायता नाकाबन्दी को तत्काल समाप्त किए जाने, फ़लस्तीनी सशस्त्र समूहों द्वारा बन्धक बनाए गए सभी लोगों की रिहाई और युद्धविराम की मांग दोहराई, जिससे "स्थाई शान्ति स्थापित हो सके."