वर्तमान वास्तविकताओं व भावी चुनौतियो से निपटने में शान्तिरक्षा की अहमियत बरक़रार
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित एक अहम मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शान्तिरक्षा अभियानों के भविष्य पर चर्चा हुई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सदस्य देशों से यूएन शान्तिरक्षकों को समर्थन प्रदान करने और धन कटौती के प्रभावों को टालने के लिए और अधिक प्रयासों का आग्रह किया है.
यूएन प्रमुख ने मंगलवार को, 130 से अधिक देशों से जुटे मंत्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देशों को हिंसक टकराव से शान्ति की दिशा में ले जाने के लिए, शान्तिरक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका बरक़रार है.
“दुनिया भर में परेशानी भरे इलाक़ों में, ब्लू हैलमेट, जीवन व मृत्यु के बीच का अन्तर हो सकते हैं.”
साथ ही, यूएन शान्तिरक्षक शान्ति हासिल करने और उसे बनाए रखने के लिए बहुपक्षीय कार्रवाई में निहित शक्ति का परिचायक हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि कम्बोडिया से लेकर लाइबेरिया व तिमोर-लेस्ते तक अनगिनत देशों में, शान्तिरक्षा अभियानों का मूल्य सिद्ध हुआ है. मगर, मौजूदा दौर की चुनौतियाँ इस दायित्व को और अधिक मुश्किल बना रही हैं.
महासचिव ने कहा कि दुनिया, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से अब तक सबसे अधिक संख्या में हिंसक टकरावों का सामना कर रही है. रिकॉर्ड संख्या में लोग सीमाओं को पार करके सुरक्षा व आश्रय की तलाश में शरण ले रहे हैं.
यूएन प्रमुख के अनुसार, शान्तिरक्षा दायित्वों के लिए राजनैतिक समर्थन की कमी है, जिससे और ज़्यादा मुश्किलें उत्पन्न होती हैं.
यूएन शान्तिरक्षा का बजट हर वर्ष जुलाई से जून तक के लिए तय किय जाता है, और बताया गया है कि 2.7 अरब डॉलर की धनराशि बक़ाया है.
व्यावहारिक दृष्टिकोण
महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के समक्ष विशाल वित्तीय कठिनाइयाँ हैं, और इस पृष्ठभूमि में, अभियान संचालन की समीक्षा की जानी होगी ताकि एक ऐसा शान्तिरक्षक मॉडल तैयार किया जा सके, जोकि भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप हो.
उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में शान्तिरक्षकों के बाहर निकलने, किसी मिशन के पूरा होने के लिए रणनीति को स्पष्ट करना होगा. साथ ही, सदस्य देशों व सुरक्षा परिषद के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि तयशुदा शासनादेशों को उपलब्ध संसाधनों के साथ हासिल किया जाए.
उन्होंने सुधार लागू किए जाने के बाद यूएन शान्तिरक्षा 2.0 का संकेत देते हुए कुछ उदाहरण भी साझा किए.
लेबनान में यूएन मिशन (UNIFIL) ने दर्शाया है कि शान्ति व मानवीय सहायता आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए, मौजूदा चुनौतियों के अनुरूप ढलना सम्भव है.
वहीं, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में यूएन शान्तिरक्षा मिशन (MINUSCA) के ज़रिये, न केवल आम नागरिकों की रक्षा की जा रही है बल्कि राजधानी से परे भी अपनी पहुँच बढ़ाने में सरकार को मदद दी जा रही है, ताकि ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँचा जा सके.
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में जारी लड़ाई के बावजूद, यूएन मिशन (MONUSCO) शान्तिरक्षक प्रभावित इलाक़ों में मौजूद हैं और सम्वेदनशील हालात से जूझ रही आबादी की रक्षा जा रही है.
वित्तीय समर्थन की पुकार
सदस्य देशों द्वारा बुधवार को, सम्मेलन के दूसरे दिन शान्तिरक्षा अभियानों के लिए वित्तीय संकल्पों की घोषणा की जाएगी. इससे पहले, महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि यूएन मिशनों पर कुल व्यय, वैश्विक स्तर पर सैन्य ख़र्चों का केवल 0.5 फ़ीसदी है.
उन्होंने कहा कि शान्तिरक्षा उतनी ही मज़बूत है, जितना सदस्य देशों का उसके लिए संकल्प है.
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा अपनी बक़ाया धनराशि को देने में विफल रहने की वजह से संगठन एक गम्भीर नक़दी संकट से जूझ रहा है. इसके मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने दक्षता बढ़ाने व कामकाज के तौर-तरीक़ों में सुधार लाने के इरादे से सोमवार को सदस्य देशों को अपने प्रयासों से अवगत कराया था.
यूएन महासभा की पाँचवी समिति (प्रशासनिक व बजट सम्बन्धी) में नियंत्रक के अनुसार, वर्ष 2025 के लिए नियमित बजट साढ़े 3 अरब डॉलर, था मगर अब तक केवल 1.8 अरब डॉलर की धनराशि ही प्राप्त हुई है. यह 50 फ़ीसदी की कमी को दर्शाता है.
30 अप्रैल तक, पहले की बक़ाया धनराशि मिलाकर कुल 2.4 अरब डॉलर का भुगतान नहीं किया गया है. अमेरिका पर 1.5 अरब डॉलर, चीन पर 59.7 करोड़ डॉलर, रूस पर 7.2 करोड़ डॉलर, सऊदी अरब पर 4.2 करोड़ डॉलर की धनराशि बक़ाया है.
मैक्सिको को 3.8 करोड़ डॉलर, वेनेज़ुएला को 3.8 करोड़ डॉलर का भुगतान करना है, जबकि अन्य सदस्य देशों पर 13.7 करोड़ डॉलर की धनराशि बक़ाया है.