इस सदी के अन्त तक कई हिमनदों के ख़त्म होने की आशंका
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु विशेषज्ञों ने शुक्रवार (21 मार्च) को प्रथम ‘विश्व हिमनद दिवस’ पर आगाह किया है कि अगर हिमनदों का पिघलना इसी दर से जारी रहा तो कई क्षेत्रों में, 21वीं सदी पूरी होने से पहले ही वो ख़त्म हो जाएंगे. निचले क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए, इसके परिणाम विनाशकारी होने की आशंका है.
हिमनद और जमे हुए पानी की चादर, विश्व के 70 फ़ीसदी ताज़ा जल का स्रोत है. इनमें ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के हिमनदों का बड़ा हिस्सा शामिल है.
चूँकि आमतौर पर स्थिर जलवायु में हिमनद एक ही आकार के रहते हैं, इसलिए उनमें होने वाला कोई भी बदलाव जलवायु परिवर्तन का अहम संकेत होता है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की विज्ञान अधिकारी डॉक्टर सुलग्ना मिश्रा ने कहा कि हिमनद, बढ़ते तापमान और मानव-जनित जलवायु परिवर्तन से होने वाली तापमान वृद्धि के कारण, अभूतपूर्व गति से पिघल रहे हैं.
करोड़ों लोगों की आजीविका ख़तरे में
पिछले साल, स्कैंडिनेविया, स्वालबार्ड के नॉर्वेजियन द्वीपसमूह और एशिया के उत्तरी हिमनदों में एक वर्ष के अन्दर कुल द्रव्यमान का सबसे बड़ा नुक़सान दर्ज किया गया.
ज़्यूरिख विश्वविद्यालय में संयुक्त राष्ट्र के साझीदार विश्व हिमनद निगरानी सेवा (WGMS) के अनुसार, हिमनद वैज्ञानिक हर साल हिमनदों में गिरने और पिघलने वाली बर्फ़ को मापकर, ग्लेशियर की स्थिति का निर्धारण करते हैं.
सुलग्ना मिश्रा ने बताया कि पश्चिमी हिमालय में स्थित, अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान तक फैली 500 मील लम्बी हिन्दूकुश पर्वत श्रृँखला में, हिमनदों के पिघलने से 12 करोड़ से अधिक किसानों की आजीविका ख़तरे में है.
उन्होंने बताया कि असाधारण जल संसाधनों के कारण इस पर्वत श्रृँखला को "तीसरा ध्रुव" कहा जाता है.
‘अपरिवर्तनीय’ हानि
हिमनदों के इतने विशाल जल भंडार होने के बावजूद, भावी पीढ़ियों के लिए इन्हें बचाने में अब शायद बहुत देर हो चुकी है.
WMO के अनुसार, वर्ष भर रहने वाली बर्फ़ के बड़े हिस्से तेज़ी से पिघल रहे हैं. पिछले छह वर्षों में से पाँच वर्षों में, रिकॉर्ड तेज़ी से हिमनदों का खिसकना दर्ज किया गया है.
2022 से 2024 के बीच, जमे हुए जल का नुक़सान, तीन वर्षों की अवधि का सबसे बड़ा नुक़सान रहा है.
सुलग्ना मिश्रा ने कहा, "हम हिमनदों में अभूतपूर्व बदलाव देख रहे हैं," जिसे कई मामलों में उलटना मुश्किल हो सकता है.
जर्मनी के आकार जितनी बर्फ़ पिघली
WGMS का अनुमान है कि 1975 से अब तक हिमनदों में, 9,000 अरब टन से अधिक द्रव्यमान की हानि हो चुकी है. और इस आँकड़े में ग्रीनलैंड व और अंटार्कटिका की जमे हुए पानी की चादरें शामिल नहीं हैं.
WGMS के निदेशक, माइकल ज़ेम्प ने बताया, "यह हानि, लगभग जर्मनी के आकार के पानी के एक विशाल खंड के बराबर मानी जा सकती है, जिसका घनत्व लगभग 25 मीटर हो."
उन्होंने, हिमनद द्रव्यमान परिवर्तन पर एक नए अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन के निष्कर्ष समझाते हुए बताया कि 2000 के बाद से अब तक, विश्व में हर वर्ष औसतन 273 अरब टन जमे हुए पानी की चादर की हानि हो रही है.
माइकल ज़ेम्प ने कहा, "इसका मतलब यह है कि हर साल पिघलने वाली 273 अरब टन बर्फ़ीली चादरें, पूरी [विश्व] आबादी के 30 साल की पानी की आपूर्ति के बराबर है."
मध्य योरोप में, बची हुई जमे पानी की चादरों का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा पिघल चुका है. यदि यह मौजूदा दर से जारी रहा, तो "एल्प्स के हिमनद इस सदी में ख़त्म हो जाएँगे."
WMO की सुलग्ना मिश्रा ने इन्हीं चिन्ताओं को दोहराते हुए कहा कि यदि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को धीमा नहीं किया गया "और वर्तमान दर से तापमान वृद्धि जारी रही, तो 2100 के अन्त तक, हम योरोप, पूर्वी अफ़्रीका, इंडोनेशिया व अन्य जगहों पर स्थित 80 प्रतिशत छोटे हिमनद खो देंगे."
बाढ़ का कारण
हिमनद पिघलने से अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर तात्कालिक, तथा बड़े पैमाने पर असर पड़ता है. विश्व हिमनद निगरानी सेवा के अनुसार, नवीनतम आँकड़ों से स्पष्ट है कि समुद्री स्तर में होने वाली 25 से 30 प्रतिशत वृद्धि, ग्लेशियर पिघलने से होती है.
पिघलती बर्फ़ के कारण हर साल समुद्री स्तर में, लगभग एक मिलीमीटर की बढ़ोत्तरी हो रही है. यह आँकड़ा भले ही मामूली लगे, लेकिन हर एक मिलीमीटर की वृद्धि, हर साल 2 से 3 लाख लोगों के लिए बाढ़ का सबब बन सकती है.
हिमनद विज्ञानी, माइकल ज़ेम्प ने कहा, "संख्या छोटी ज़रूर है, लेकिन इसका प्रभाव बड़ा है."
हर व्यक्ति प्रभावित होगा
WMO की सुलग्ना मिश्रा का कहना है कि बाढ़ से लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है और वो एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने के लिए मजबूर हो सकते हैं. उन्होंने कहा, “अगर आप मुझसे पूछें कि असल में इससे कितने लोगों पर असर पड़ेगा, तो मैं यहीं कहूँगी कि इसका प्रभाव हर एक व्यक्ति पर पड़ेगा.”
बहुपक्षीय दृष्टिकोण से, “यही समय है कि हम जागरूकता फैलायें, नीतियों में बदलाव करें और... समस्त संसाधन जुटाकर यह सुनिश्चित करें कि हमें उत्कृष्ट नीतिगत रूपरेखाएँ व शोध उपलब्ध हों, जिससे इन नवीन बदलावों के शमन व उनसे अनुकूलन में मदद मिल सके.”
विश्व के हिमनदों के संरक्षण पर विचार करने का दिवस
21 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व हिमनद दिवस का उद्देश्य है, इस अभियान को गति प्रदान करते हुए, जलवायु प्रणाली में बर्फ़ और जमे हुए पानी की विशाल नदियों की अहम भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना. इसके एक दिन बाद ही विश्व जल दिवस मनाया जाता है.
‘अन्तरराष्ट्रीय हिमनद संरक्षण वर्ष 2025’ का एक मुख्य आकर्षण होगा, मई में आयोजित होने वाला ‘अन्तरराष्ट्रीय हिमनद संरक्षण सम्मेलन’ जहाँ वैज्ञानिक, नीतिनिर्धारक और सामुदायिक नेता इस संकट के समाधानों पर चर्चा के लिए, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में एकत्र होंगे. इस सम्मेलन में, हिमनदों के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा और उन पर प्रभाव डालने वाली जमने व पिघलने की क्रायोस्फेरिक प्रक्रियाओं की निगरानी को प्रोत्साहन देने के प्रयास किए जाएँगे.
ज़्यूरिख विश्वविद्यालय में ग्लेशियोलॉजी विषय पढ़ाने वाले WGMS के माइकल ज़ेम्प, अभी से अपने-आप को हिमनद-रहित विश्व के लिए तैयार कर रहे हैं.उन्होंने यूएन न्यूज़ से कहा, “अगर मैं अपने बच्चों के बारे में सोचूँ तो शायद वो ऐसी दुनिया में रहेंगे, जहाँ हिमनद हों ही नहीं. यह बेहद चिन्ताजनक स्थिति होगी.”
“मैं आपको अपने बच्चों के साथ वहाँ जाकर इसका जायज़ा लेने की सलाह दूँगा. क्योंकि इससे आप वहाँ हो रहे गम्भीर बदलावों को ख़ुद देख सकेंगे और आपको समझ आएगा कि हम अपनी अगली पीढ़ी पर एक बड़ा बोझ डाल रहे हैं.”
वर्ष का सर्वश्रेष्ठ हिमनद
इस वर्ष, अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में स्थित साउथ कैस्केड हिमनद को, 2025 का सर्वश्रेष्ठ ग्लेशियर घोषित किया गया है.1952 से ही, जमे हुए पानी के इस खण्ड पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. इससे पश्चिमी गोलार्ध में ग्लेशियोलॉजिकल द्रव्यमान सन्तुलन का सबसे लम्बे समय का निर्बाध रिकॉर्ड हासिल हुआ है.
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की केटलिन फ्लोरेंटाइन ने कहा, "साउथ कैस्केड हिमनद, ग्लेशियरों की सुन्दरता व उन समर्पित वैज्ञानिकों एवं स्वयंसेवकों की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का अनुपम उदाहरण है, जिन्होंने छह दशकों से अधिक समय से हिमनद द्रव्यमान परिवर्तन को मापने के लिए सीधे ज़मीनी स्तर पर जाकर आँकड़े एकत्र किए हैं."