सूडान: युद्ध के दौरान यौन हिंसा का भयावह रूप, एक साल के बच्चे भी पीड़ितों में
सूडान में परस्पर विरोधी सैन्य बलों में हिंसक टकराव के बीच, हथियारबन्द लड़ाके बच्चों के बलात्कार समेत अन्य प्रकार से यौन हिंसा को अंजाम दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने क्षोभ जताया है कि कुछ पीड़ितों में एक वर्ष के बच्चे भी हैं.
सूडान में लिंग-आधारित हिंसा पर नज़र रखने वाले संगठनों के अनुसार, वर्ष 2024 से अब तक बच्चों के साथ बलात्कार के 220 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जोकि मौजूदा हालात की भयावहता को दर्शाता है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने कहा कि एक वर्ष की आयु वाले छोटे बच्चों को भी हथियारबन्द गुट अपना शिकार बना रहे हैं, जोकि किसी को भी झकझोर सकता है. इसकी तत्काल रोकथाम के लिए तुरन्त क़दम उठाए जाने होंगे.
मगर यह आशंका भी जताई गई है कि ये आँकड़े केवल एक अनुमान भर हैं, चूँकि बहुत से पीड़ित व उनके परिवारजन, तथाकथित सामाजिक कलंक, ज़रूरी सेवाओं के अभाव और बदला लिए जाने के भय से अक्सर अपने साथ हुई इन घटनाओं के बारे में नहीं बताते हैं.
सूडान में अप्रैल 2023 से सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) और उनके सहयोगी हथियारबन्द गुटों के बीच भीषण लड़ाई हो रही है, जिससे देश में विशाल मानवीय संकट उपजा है.
हिंसक टकराव में यौन हिंसा को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल लाया जा रहा है, जिससे बच्चों, महिलाओं व लड़कियों के लिए विशेष जोखिम पनपा है. उन्हें अपने घर व परिवार से दूर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, मगर इसके बावजूद वे ख़तरे का सामना कर रहे हैं.
यौन हिंसा की पीड़ा
यूनीसेफ़ के अनुसार, लड़कियों को अक्सर अनौपचारिक रूप से बनाए विस्थापित शरण स्थलों में आश्रय लेना पड़ता है, जहाँ बहुत कम संसाधन हैं और यौन हिंसा का ख़तरा ज़्यादा है. बताया गया है कि बलात्कार का शिकार हुए बच्चों में क़रीब 66 फ़ीसदी लड़कियाँ हैं.
लड़कों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. तथाकथित सामाजिक बदनामी की आशंका के कारण वे अक्सर यौन हमलों के बारे में जानकारी नहीं साझा करते हैं. इन हालात में उनके लिए मदद मुहैया कराना और ज़रूरी सेवाओं को उन तक पहुँचाना कठिन साबित होता है.
एक अनुसार, बलात्कार व यौन हिंसा के 16 पीड़ितों की आयु पाँच वर्ष से भी कम हैं, जिनमें चार बच्चे क़रीब एक वर्ष के हैं.
यूनीसेफ़ प्रमुख कैथरीन रसैल ने कहा कि ये घटनाएँ अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का घृणित उल्लंघन हैं और इन्हें युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है. “इसे रोका जाना होगा.”
यूनीसेफ़ अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सुरक्षित स्थल तैयार करने में जुटा है, जहाँ लिंग-आधारित हिंसा के पीड़ितों को आवश्यक सेवाएँ मुहैया कराई जा सकें.
ज़मीनी स्तर पर प्रयास
इसके तहत, अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इनमे सामाजिक कार्यकर्ता व मनोवैज्ञानिक भी हैं, जोकि सूडान में समुदाय-आधारित सेवाओं को प्रदान कर रहे हैं और हानिकारक सामाजिक प्रथाओं व तौर-तरीक़ों से निपट रहे हैं.
यूनीसेफ़ ने सभी युद्धरत पक्षों से आग्रह किया है कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत दायित्वों का निर्वहन किया जाना होगा, बच्चों समेत आम नागरिकों की रक्षा करनी होगी और यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि मानवीय सहायताकर्मी सुरक्षित ढंग से ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचा पाएं.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि बड़े पैमाने पर हुई यौन हिंसा से लोगों में भय व्याप्त है, विशेष रूप से बच्चों में. युद्ध के इन घावों का अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता है और ये लम्बे समय तक मौजूद रह सकते हैं.
उन्होंने सचेत किया है कि यदि जल्द क़दम नहीं उठाए गए तो सूडान में यौन हिंसा ना केवल और गहरी होगी, बल्कि वो एक विनाशकारी विरासत भी छोड़कर जाएगी.