जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण व वनों में आग का कुचक्र, स्वास्थ्य के लिए जोखिम
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने आगाह किया है कि अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन, जंगलों में आग लगने की घटनाओं, और वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्रों और कृषि पर नकारात्मक असर बढ़ता जा रहा है. प्रदूषित हवा में साँस लेने की वजह से लाखों मौतें होने की आशंका है.
यूएन एजेंसी में वैज्ञानिक अधिकारी लॉरेन्ज़ो लैब्राडोर ने गुरूवार को बताया कि पृथ्वी पर लगभग हर कोई, यानि क़रीब हर 10 में से 9 व्यक्ति ऐसी वायु में साँस ले रहे हैं, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है.
प्रदूषित वायु का मौजूदा स्तर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से अधिक है और उसमें प्रदूषक तत्वों का ऊँचा स्तर है. निम्न- और मध्य-आय वाले देश सर्वाधिक प्रभावितों में हैं.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी का यह आकलन, वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुआ है, जिसमें दोनों के बीच सम्बन्ध की पड़ताल की गई है.
जिन रासायनिक तत्वों की वजह से वायु गुणवत्ता ख़राब होती है, वे ग्रीनहाउस गैस के साथ उत्सर्जित होते हैं, और एक में बदलाव होने के साथ, दूसरा भी प्रभावित होता है.
नाइट्रोजन, सल्फ़र और ओज़ोन के जमा होने से प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों द्वारा प्रदत्त सेवाओं, जैसेकि स्वच्छ जल, जैवविविधता और कार्बन भंडारण पर असर होता है.
बढ़ता जोखिम
बुलेटिन के अनुसार, वर्ष 2024 के शुरुआती आठ महीनों के दौरान, दुनिया भर में भीषण गर्मी या सूखे में कोई कमी नहीं आई है, जिससे वायु प्रदूषण और जंगलों में आग लगने का जोखिम बढ़ा है.
लॉरेन्ज़ो लैब्राडोर ने सचेत किया जलवायु बदलने का अर्थ है कि हम ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ने की ओर देख रहे हैं. इन चुनौतियों के समाधान के लिए एक साथ कई विषयों में शोध व विज्ञान को साथ लेकर चलना होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रदूषित वायु और ख़राब स्वास्थ्य में स्पष्ट सम्बन्ध है, और हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, दमा व श्वसन तंत्र सम्बन्धी बीमारियों समेत अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है.
इसके मद्देनज़र, WHO ने स्वास्थ्य के लिए विशालतम पर्यावरणीय ख़तरे से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई की पुकार लगाई है.
यूएन मौसम एजेंसी अधिकारी लैब्राडोर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि आस-पास नज़र आने वाले वायु प्रदूषण के लिए, अधिकाँश रूप से वाहन और उद्योग ज़िम्मेदार हैं, जिसके कारण हर साल 45 लाख से अधिक असामयिक मौतें हो जाती हैं.
“यह मलेरिया और एचआईवी एड्स के कारण होने वाली मौतों के जोड़ से भी अधिक है. इसलिए वायु प्रदूषण हमारे समय का सबसे बड़ा पर्यावरणीय जोखिम है. लेकिन यह अपने आप में केवल स्वास्थ्य जोखिम ही नहीं है, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन भी गहराता है.”
ख़तरनाक सूक्ष्म कण
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की रिपोर्ट में क्षेत्रीय स्तर पर उत्सर्जन स्तर में भिन्नताओं को प्रस्तुत किया गया है.
उदाहरणस्वरूप, योरोपीय देशों और चीन में प्रदूषण का स्तर, भारत और उत्तरी अमेरिका की तुलना में कम है, जहाँ मानव और औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण में वृद्धि हुई है.
PM2.5 आकार के पार्टिकुलेट मैटर (सूक्ष्म कण) – वे कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम है – से प्रदूषित वायु में लम्बे समय तक साँस लेने से गम्भीर स्वास्थ्य ख़तरा हो सकता है. जीवाश्म ईंधन के दहन, जंगलों में आग लगने और रेगिस्तान की धूल उड़ने से ये कण फैलते हैं.
ये सूक्ष्म कण उत्तरी अमेरिका के जंगलों में लगी आग में पाए गए हैं, और इनका औसत से अधिक स्तर भारत में भी दर्ज हुआ है.