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ग़ाज़ा में 9 महीनों के युद्ध के बाद, एक अन्य यूएन स्कूल पर इसराइली हमला

UNRWA द्वारा संचालित एक स्कूल, इसराइली हवाई हमलों में ध्वस्त.
© UNRWA/Mohammed Hinnawi
UNRWA द्वारा संचालित एक स्कूल, इसराइली हवाई हमलों में ध्वस्त.

ग़ाज़ा में 9 महीनों के युद्ध के बाद, एक अन्य यूएन स्कूल पर इसराइली हमला

शान्ति और सुरक्षा

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में मौजूदा युद्ध शुरू हुए 9 महीने हो चुके हैं, और इस बीच मानवीय सहायता एजेंसियाँ, केन्द्रीय ग़ाज़ा के नूसीरात इलाक़ में, एक यूएन स्कूल पर इसराइल के एक और हवाई हमले से हुए नुक़सान का आकलन कर रही हैं.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा है, “एक और दिन. एक अन्य महीना. एक और स्कूल पर हमला.”

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नूसीरात में संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित इस स्कूल को, शनिवार को इसराइली सेनाओं ने निशाना बनाया.

UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया कि उस स्कूल में लगभग 2,000 लोग पनाह लिए हुए थे, जो ग़ाज़ा में अन्य स्थानों पर युद्धक गतिविधियों से जान बचाने के लिए विस्थापित होकर यहाँ आए थे. 

इसराइल के इस हमले में अनेक लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं.

ये घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब युद्धविराम और बन्धकों की रिहाई के बारे में बातचीत, आगामी कुछ दिनों के भीतर फिर से शुरू होने की सम्भावना है. 

इस बारे में अतीत में हुए अनेक प्रयास बेनतीजा रहे हैं, जबकि दोनों पक्षों पर प्रभाव रखने वाले सदस्य देशों की तरफ़ से बनाया गया लगातार अन्तरराष्ट्रीय दबाव भी नाकाम रहा है.

लेबनान-इसराइली सीमा पर नज़रें

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस युद्ध में अभी तक 38 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. UNRWA के अनुसार, उसके आश्रय स्थलों पर हमलों में भी कम से कम 520 लोग मारे गए हैं और 1,602 लोग घायल हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र की आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA ने स्थिति की नवीन जानकारी में बताया है कि ग़ाज़ा में इस युद्ध के कारण, लगभग 19 लाख लोग अपने स्थानों से बेदख़ल हुए हैं, जिनमें बहुत से लोगों को तो 9 या 10 बार विस्थापित होना पड़ा है.

इस युद्ध को तत्काल ख़त्म करने के प्रयास इन ख़बरों के बीच हो रहे हैं कि लेबनान और इसराइल की सीमा पर लगभग हर रोज़ गोलीबारी हो रही है. इस सीमा रेखा को ब्लू लाइन कहा जाता है और इसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र करता है.

इसमें लेबनान में स्थित हिज़बुल्लाह संगठन और इसराइल के बीच यह गोलीबारी हो रही है. हिज़बुल्लाह को हमास का समर्थक माना जाता है.

रविवार को, लेबनान स्थित एक गुट ने, इसराइल के क़ब्ज़े वाली गोलान पहाड़ियों में माउंट हरमॉन पर एक कथित ड्रोन हमला करने का दावा स्वीकार किया था. हिज़बुल्लाह ने कहा है कि वो अपने अभियान तभी रोकेगा जब ग़ाज़ा में युद्ध ख़त्म हो जाएगा.

लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के अन्तरिम मिशन – UNIFIL ने OCHA के आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि मौजूदा तनावपूर्ण और युद्धक गतिविधियों के कारण, लेबनान के दक्षिणी इलाक़े में, 25 जून तक लगभग 97 हज़ार लोग विस्थापित हो चुके थे. इन युद्धक गतिविधियों में 1,800 से अधिक लोग हताहत हुए हैं जिनमें 435 लोगों की मौत शामिल है. मारे गए लोगों में 97 आम नागरिक थे.

मिशन ने ज़ोर देकर कहा है कि एक राजनैतिक व कूटनातिक समाधान ही, मात्र दीर्घकालिक समाधान है.

जाँच ज़रूरी

UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने यूएन स्कूल पर इसराइली हमले और इसराइली सेना के इन दावों पर प्रतिक्रिया दी है कि उस स्कूल का प्रयोग, फ़लस्तीनी सशस्त्र गुट करते रहे हैं. फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा है कि वो इन आरोपों को “बहुत गम्भीरता से लेते हैं”.

उन्होंने कहा, “बिल्कुल यही कारण है कि मैंने बार-बार स्वतंत्र जाँच कराए जाने का आहवान किया है ताकि तथ्य साबित किए जा सकें और यूएन परिसरों पर हमले करने और उन परिसरों का दुरुपयोग करने के लिए ज़िम्मेदार पक्षों की पहचान की जा सके.”

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा, “इस क्रूर युद्ध को नौ महीने हो चुके हैं, मैं एक बार फिर एक युद्धविराम लागू किए जाने की पुकार लगाता हूँ, जिसमें ग़ाज़ा और इसराइल के लोगों को राहत की कुछ साँस और संरक्षण मिल सकेंगे और बन्धकों को भी तत्काल रिहा किया जाए.”

उन्होंने कहा, “यह युद्ध जितना लम्बा चलेगा, टकराव की खाई उतनी ही गहरी होती जाएगी और लोगों को अधिक तकलीफ़ों का सामना करना पड़ेगा.”