'हेट स्पीच' से दरपेश वैश्विक ख़तरे के बारे में चेतावनी
जनसंहार की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी ऐलिस न्देरीतू ने आगाह किया है कि हेट स्पीच, वैश्विक शान्ति और सुरक्षा के लिए, एक गम्भीर ख़तरा बनी हुई है और अक्सर इसका निशाना समाज के सबसे निर्बल वर्ग को बनाया जाता है.
जनसंहार पर की रोकथाम पर, यूएन महासचिव की विशेष सलाहकार ऐलिस न्देरीतू ने ज़ोर देकर कहा कि हेट स्पीच हिंसा के अलावा भेदभाव, दकियानूसी सोच, अमानवीयकरण और लोगों को हाशिये पर धकेल देने के चलन को भी हवा देती है.
उन्होंने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद को बताया है, “हिंसा तब शुरू नहीं होती है, जब भौतिक रूप से हमलों को अंजाम दिया जाता है. हिंसा, अक्सर शब्दों के साथ शुरू होती है. नफ़रत भरे शब्द, असहिष्णुता फैलाते हैं, समाजों को विभाजित करते हैं, भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और उसे सामान्य बनाते हैं और हिंसा को भड़काते हैं.”
सुरक्षा परिषद में, ऐलिस न्देरीतू का यह सम्बोधन सहिष्णुता और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा पर प्रस्ताव 2686 के सन्दर्भ में था, जिसे जून 2023 में सर्वसम्मति से अपनाया गया था.
सुरक्षा परिषद ने उस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से, हेट स्पीच, अतिवाद और हिंसा की निन्दा करने व उसकी रोकथाम और सहिष्णुता, अन्तरसंस्कृति संवाद, महिलाओं की भागेदारी, सामाजिक समरसता, गुणवत्ता वाली शिक्षा, और शान्ति कार्यक्रमों को बढ़ावा देने आग्रह किया गया है.
हेट स्पीच और ग़लत सूचना
मौजूदा संकटों या जारी टकरावों की स्थितियों में, हेट स्पीच मौजूदा तनावों और निर्बलताओं को गहरा करती है.
ऐलिस न्देरीतू ने आगाह किया कि हेट स्पीच, झूठी जानकारी या सूचना के साथ मिलकर, विभाजनों को बढ़ाती है और आम लोगों को सीधे तौर पर जोखिम में डालती है. अक्सर जिसके परिणाम, जनसंहार, युद्ध अपराध, और मानवता के विरुद्ध अपराधों जैसे गम्भीर अपराधों के रूप में सामने आते हैं.
इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया के प्रसार ने भी हेट स्पीच की पहुँच और उसके प्रभाव को बढ़ाया है.
ऐलिस न्देरीतू ने कहा, “सोशल मीडिया का विशाल पैमाने पर प्रयोग... किसी को भी हेट स्पीच फैलाने की अनुमति दे रहा है, जो बहुत दूर बैठे लोगों तक भी पलक झपकते ही पहुँच जाती है, और इससे ऑफ़लाइन नुक़सान का भी जोखिम उत्पन्न होता है.”
उन्होंने आगाह किया, “अल्पसंख्यकों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. साथ ही, जो महिलाएँ सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करती हैं, वो भी निशाना बनती हैं.”
नाज़ुक सन्तुलन
ऐलिस न्देरीतू ने कहा कि मगर साथ ही, हेट स्पीच को, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए, एक बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “अन्धाधुन्ध सीमितताएँ, प्रतिबन्ध और इंटरनैट को बन्द किया जाना, कोई समाधान नहीं है और उनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन भी हो सकता है, जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी शामिल है.”
इनका इस्तेमाल उन लोगों व समूहों को ख़ामोश भी किया जा सकता है जो हेट स्पीच के विरुद्ध खड़े होने की कोशिश करते हैं, जिनमें सिविल सोसायटी, मानवाधिकार पैरोकार और पत्रकार शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई योजना
विशेष सलाहकार ने हेट स्पीच के ख़तरों और इसके प्रभावों, इसके कारकों और इसकी जड़ में बैठे कारणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में, संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया.
उन्होंने कहा कि हेट स्पीच पर संयुक्त राष्ट्र की रणनीति और कार्रवाई योजना, इ स अभिशाप का मुक़ाबला, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप करने के लिए, एक व्यापक ढाँचा मुहैया कराती है. इसमें संवाद, शिक्षा जैसे साधनों के साथ-साथ, सामाजिक समरसता और शान्ति को बढ़ावा दिया जाना शामिल है.