यूएन की पूर्ण सदस्यता के लिए, विशेषीकृत समिति को सौंपा गया फ़लस्तीनी आवेदन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यूएन में पर्यवेक्षक राष्ट्र, फ़लस्तीन की पूर्ण सदस्यता के आवेदन को इसी उद्देश्य के लिए गठित एक विशेषीकृत समिति को सौंपा है.
अप्रैल महीने में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश, माल्टा की राजदूत वनीसा फ़्रेज़ियर ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव पेश किया, जिस पर 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद में किसी ने भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई.
उन्होंने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि आपत्ति दर्ज ना कराए जाने की स्थिति में, इस विषय को नए सदस्यों की भर्ती के लिए गठित समिति को भेज दिया जाएगा.
इसके तहत, पर्यवेक्षक राष्ट्र फ़लस्तीन के आवेदन पर अप्रैल 2024 के दौरान समिति में नए सिरे से विचार किया जाएगा, जोकि सुरक्षा परिषद का ही एक अधीनस्थ निकाय है.
माल्टा की स्थाई प्रतिनिधि ने इस आवेदन पर विचार-विमर्श के लिए हर दिन दोपहर 3 बजे, भर्ती समिति की बैठक बुलाए जाने का सुझाव दिया. समिति की बैठक बन्द दरवाज़ों के भीतर की जाती है, मगर इस निर्णय को बदला भी जा सकता है.
औपचारिक रूप से प्रस्ताव पेश किए जाने से पहले, सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने निजी तौर पर फ़लस्तीन के इस आवेदन पर चर्चा की.
फ़लस्तीन ने यूएन की पूर्ण सदस्यता के लिए अपने आवेदन को 23 सितम्बर 2011 को दाख़िल किया था, और फिर कुछ ही दिन पहले इस पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा था. फ़लस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में एक पर्यवेक्षक के तौर पर दर्जा प्राप्त है.
यूएन में सदस्यता के लिए किसी भी आवेदन पर सुरक्षा परिषद में विचार-विमर्श किया जाता है, जिसके बाद इसे 193 सदस्य देशों वाली यूएन महासभा में भेजा जाता है, ताकि एक नए सदस्य देश की भर्ती के लिए प्रस्ताव को पारित किया जा सके.
सुरक्षा परिषद की सिफ़ारिश
प्रक्रिया सम्बन्धी नियमों के तहत, सुरक्षा परिषद में पहले यह तय किया जाएगा कि आवेदन देने वाला देश, शान्ति के लिए प्रतिबद्ध है या नहीं, और यूएन चार्टर के अनुरूप अपने दायित्वों को निभा पाने का इच्छुक है या नहीं.
इसी के अनुरूप, यूएन की सदस्यता के लिए सुरक्षा परिषद द्वारा अनुशन्सा की जाती है.
सुरक्षा परिषद की यह सिफ़ारिश फिर यूएन महासभा को भेजी जाती है, जिसके साथ चर्चा का विस्तृत ब्यौरा भी साझा किया जाता है.
यदि सुरक्षा परिषद द्वारा किसी आवेदक को सदस्यता के लिए अनुशंसित नहीं किया जाए, या फिर आवेदन पर चर्चा स्थगित कर दी गई हो, तो महासभा में एक विशेष रिपोर्ट दाख़िल की जाती है, जिसमें विचार-विमर्श का ब्यौरा होता है.