जनवरी - जून 2024: इन अहम कार्यक्रमों पर रहेगी नज़र
नव वर्ष 2024 में, संयुक्त राष्ट्र एक बार फिर से विशाल वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर लक्षित अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों के केन्द्र में होगा: वैश्विक अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने से लेकर महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने और हिंसक संघर्ष से सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में शान्ति स्थापना तक.
अभी यह अनुमान लगा पाना सम्भव नहीं है कि मीडिया में किन समाचारों को प्राथमिकता मिलेगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि एक अधिक शान्तिपूर्ण, न्यायसंगत और समृद्ध विश्व को आकार देने के प्रयासों में, संयुक्त राष्ट्र, नेताओं और निर्णय-निर्धारकों को एक साथ लाने की अपनी अद्वितीय संयोजन क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग करेगा.
जनवरी: वैश्विक अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य की जाँच
नए साल के आगमन के बाद, जनवरी महीने के शुरुआती दिनों में विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति को बयाँ करने वाली, ‘विश्व आर्थिक स्थिति व सम्भावनाएं’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित होनी है. मगर, यह शायद अपने साथ राहत भरी ख़बर नहीं लाएगी.
माना जा रहा है कि 4 जनवरी को जारी होने वाले इस अध्ययन के 2024 संस्करण में आर्थिक विकास और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की धीमी रफ़्तार बने रहने का अनुमान व्यक्त किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक मामलों के विभाग (UNDESA) के इस आकलन की एक बड़ी वजह मौद्रिक सख़्ती, वैश्विक व्यापार व निवेश में कमज़ोरी, और ऋण सम्बन्धी सम्वेदनशीलताओं का बढ़ना हो सकता है. भू-राजनैतिक जोखिमों और जलवायु प्रभावों के गहराने से स्थिति और जटिल हुई है.
मुद्रास्फीति में गिरावट आने की सम्भावना है, लेकिन वैश्विक संघर्ष बढ़ने से इसमें फिर उछाल आ सकता है. विश्व की आर्थिक सम्भावनाओं को बेहतर बनाने के अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में बेहतरी लाने को बढ़ावा दिया जाएगा.
अन्य समाचारों में: ग़ाज़ा में हताशा भरी सर्दी
गाजा में जारी युद्ध सम्भवतः आगामी कई महीनों तक संयुक्त राष्ट्र समाचार और वैश्विक मीडिया माध्यमों में छाया रहेगा. सुरक्षा परिषद में 22 दिसम्बर को पारित एक प्रस्ताव में ग़ाज़ा पट्टी में सहायता का स्तर बढ़ाने का आग्रह किया गया है, जोकि मौजूदा हालात में सही दिशा में उठाया गया एक कदम है, लेकिन स्थानीय आबादी के लिए स्थिति निराशाजनक बनी हुई है.
मानवीय सहायता के प्रवाह को बढ़ाना और उसकी निगरानी सुनिश्चित करना, ग़ाज़ा के लिए नव-नियुक्त मानवतावादी समन्वयक सिग्रीड काग का सर्वोपरि दायित्व होगा, जिनके शासनादेश में लड़ाई समाप्त होने के बाद क्षेत्र का पुनर्निर्माण की ज़िम्मेदारी भी शामिल है.
संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप28) में पहली बार देशों ने जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से दूर जाने के लिए सहमति व्यक्त की, जोकि जलवायु कार्रवाई के नज़रिये से बेहद अहम है.
2024 के जनवरी महीने में, पहला ‘अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा दिवस’ मनाया जाएगा, जोकि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में आई तेज़ी को और स्फूर्ति प्रदान करने के लिए अहम है.
इन वैकल्पिक स्रोतों की लागत व क़ीमत में कमी आ रही है और वे उन समुदायों की पहुँच में आ रहे हैं, जिनके पास अब तक बिजली सुलभ नहीं थी.
फरवरी: 'विश्व पर्यावरण संसद' की बैठक
फ़रवरी महीने में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण ऐसेम्बली (UNEA) की बैठक में पर्यावरण की स्थिति एजेंडे में शीर्ष पर होगी.
"पर्यावरण पर विश्व की संसद", सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करने, पर्यावरण की देखरेख में सुधार लाने के लिए सरकारों, नागरिक समाज समूहों, वैज्ञानिक समुदाय और निजी क्षेत्र को एक साथ लाने वाला अहम मंच है.
केनया की राजधानी नैरोबी में स्थित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुख्यालय में यह ऐसम्बेली 26 फ़रवरी और 1 मार्च के दौरान आयोजित होगी, जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता हानि और प्रदूषण पर चर्चा होगी.
अन्य समाचारों में: यूक्रेन में युद्ध के दो साल
इस वर्ष 24 फ़रवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के पूरे दो साल हो जाएंगे, और लड़ाई अब भी जारी है. संयुक्त राष्ट्र ने रूसी महासंघ और यूक्रेन के बीच हिंसक टकराव के दौरान प्रभावित समुदायों को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखा है.
कल्पना कीजिए कि आप अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. दुनिया भर की लगभग 40 प्रतिशत आबादी की यही नियति है.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 21 फ़रवरी को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का यही उद्देश्य है, जिसके ज़रिये बच्चे की पहली भाषा में बहुभाषी शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता प्रसार पर बल दिया जाता है.
मार्च: महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई
आठ दशकों से, महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) लैंगिक समानता को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है.
इस आयोग ने संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में व्यापक रूप से सहमति प्राप्त अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों में योगदान दिया है, जिनमें 1967 में महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर घोषणापत्र और 1995 में पारित वैश्विक लैंगिक समानता नीति दस्तावेज, बीजिंग घोषणापत्र शामिल हैं.
2024 का सत्र 11-22 मार्च तक आयोजित होगा, जिसमें लैंगिक समानता हासिल करने के प्रयासों में तेज़ी लाने, निर्धनता दूर करते हुए महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने, और लैंगिक परिप्रेक्ष्य के साथ संस्थाओं और वित्तपोषण को संवारना विमर्श के केन्द्र में होगा.
अन्य समाचारों में: पीने के लिए एक बूँद भी नहीं
वर्ष 2015 में, दुनिया ने सतत विकास के छठे लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी, जोकि 2030 तक हर व्यक्ति तक सुरक्षित ढंग से पानी और स्वच्छता के प्रबन्धन पर लक्षित है.
मगर, फ़िलहाल हम इस लक्ष्य को साकार करने से बहुत दूर हैं, करोड़ों लोग इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, और वे स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं के दायरे से बाहर है.
22 मार्च को विश्व जल दिवस, इसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तेज़ी से क़दम बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करने और जागरूकता प्रसार पर केन्द्रित है.
शब्दों में संजोई गई, तस्वीरों से रंगी गई, और सही आकार में उकेरी गई, कविता में निहित शक्ति की कोई तुलना नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र सांस्कृतिक एजेंसी (UNESCO) की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने 21 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व कविता दिवस के अवसर पर यह कहा है. इस दिवस का उद्देश्य कला के इस रूप को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से लुप्त होने का ख़तरा झेल रही कुछ भाषाओं में.
अप्रैल: आदिवासी लोगों की बुलन्द आवाज़
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय, आदिवासी लोगों के अधिकारों और प्राथमिकताओं को प्राथमिकता के तौर पर नहीं लिया गया था, लेकिन आदिवासी मुद्दों पर स्थाई फ़ोरम (UNFPFII) की स्थापना के साथ ही इसमें बदलाव आया.
इस फ़ोरम को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में लोगों की सबसे बड़ी सभा के रूप में देखा जाता है, जिसकी स्थापना वर्ष 2000 में, आदिवासी समुदायों को आवाज देने और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा में उनकी भागीदारी के लिए की गई थी.
15-26 अप्रैल को बैठक के दौरान युवा आदिवासी जन को उन मुद्दों पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो उन्हें और उनके समुदायों को प्रभावित करते हैं.
अन्य समाचारों में: विश्व आबादी, बहुत अधिक या बहुत कम
पृथ्वी पर आबादी अब आठ अरब के आँकड़े को पार कर चुकी है, और पिछले 50 वर्षों में जनसंख्या दोगुनी से भी अधिक हुई है.
हालाँकि, प्रजनन दर धीमी होने के कारण जनसंख्या कम होने का संकट या मानव आबादी के ढह जाने की आशंका भी है. 16 अप्रैल को, संयुक्त राष्ट्र प्रजनन अधिकार एजेंसी (UNFPA), द्वारा विश्व जनसंख्या की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की जाएगी.
इस रिपोर्ट में महिलाओं की उनके शरीर के लिए स्वायत्तता सुनिश्चित करने और निजी स्वास्थ्य से जुड़े निर्णय लेने में सक्षम होने के महत्व को रेखांकित किए जाने की सम्भावना है. जैसेकि स्वास्थ्य देखभाल, लिंग निर्धारण, या गर्भनिरोधक उपाय.
मई: डिजिटल टैक्नॉलॉजी में निहित ख़तरे व अवसर
इस सदी के शुरुआती वर्षों से यह एहसास बढ़ता रहा है कि डिजिटल तकनीक का हमारे जीवन पर, अच्छा और बुरा, दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ेगा.
इसके मद्देनज़र, देशों की सरकारें और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, तकनीक के उपयोग पर बहुपक्षीय समझौतों को अपनाने की उम्मीद में, वर्ष 2003 में सूचना सोसायटी पर पहले विश्व शिखर सम्मेलन के लिए एक साथ आईं.
21 साल बाद, और आर्टिफ़िशियल इंटैलिजेंस के विकास और उपयोग को लेकर बढ़ती आशंकाओं के मद्देनजर, सूचना सोसाइटी का शिखर सम्मेलन 27 से 31 मई तक जिनीवा में आयोजित किया जाएगा.
सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधि नई तकनीक की चुनौतियों, उनसे उपजने वाले अवसरों और इसके उपयोग को नियंत्रित करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय समझौतों के महत्व पर चर्चा करेंगे.
अन्य समाचारों में: अस्तित्व के लिए लघु द्वीपीय विकासशील देशों की लड़ाई
अपने छोटे आकार और कम जनसंख्या के बावजूद, छोटे द्वीप विकासशील देशों (SIDS) ने हाल के जलवायु सम्मेलनों में बहुत अधिक ध्यान आकर्षित किया है, जिससे जलवायु संकट के कारण अस्तित्व सम्बन्धी ख़तरे के बारे में जागरूकता बढ़ी है.
इनमे से कुछ देशों के आगामी वर्षों में समुद्री जलस्तर में वृद्धि के परिणामस्वरूप जलमग्न होने का जोखिम है.
जलवायु संकट की पृष्ठभूमि में सतत विकास और सहनसक्षमता को SIDS पर चौथे अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में सम्बोधित किया जाएगा, जोकि 27-30 मई तक एंटीगुआ और बारबूडा में आयोजित किया जाना है.
यह पूरे दिन हमारे आसपास बना रहता है, और हम इसका साथ मानकर चलते हैं, लेकिन विज्ञान, संस्कृति और कला में प्रकाश एक अहम भूमिका निभाता है. संयुक्त राष्ट्र, हर वर्ष 16 मई को अन्तरराष्ट्रीय प्रकाश दिवस के रूप में मनाता है, जोकि 1960 में लेज़र के पहले सफल संचालन की वर्षगाँठ है.
जून: भूमिबद्ध विकासशील देशों के लिए समृद्धि का मार्ग
भूमिबद्ध विकासशील देशों को परिवहन की ऊँची लागत, महंगे आयात और विश्व बाजारों से अलग-थलग रहने समेत अनेक विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसे ध्यान रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में अलमाटी, कज़ाख़्स्तान में इन देशों की ज़रूरतों को समर्पित एक सम्मेलन आयोजित किया था.
इसके बीस वर्ष बाद, सम्मेलन का तीसरा संस्करण (LLDC3) 18-21 जून तक रवांडा की राजधानी किगाली में होगा, जिसमें अगले दशक के दौरान भूमि से घिरे विकासशील देशों के लिए नए विकास एजेंडे को आकार दिया जाएगा.
अन्य समाचारों में: योग दिवस
संयुक्त राष्ट्र के एकमात्र जीवित पूर्व महासचिव बान की-मून, जिन्होंने 2007-2016 तक संगठन का नेतृत्व किया, 13 जून को अपना 80वाँ जन्मदिन मनाएंगे. उनके निर्देशन में, महिला सशक्तिकरण प्रयासों पर केन्द्रित संस्था, संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन बनाया गया.
साथ ही, उन्होंने 2007 के जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के साथ जलवायु संकट को वैश्विक एजेंडे में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
जून महीने में ही, एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र के विशाल परिसर में योग अभ्यास के लिए बड़ी संख्या में प्रतिनिधि, यूएन कर्मचारी व अन्य लोग जुटेंगे, जोकि योग से होने वाले शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ के प्रति जागरूकता प्रसार पर केन्द्रित है.