बच्चों का हर समय, हर जगह संरक्षण बहुत ज़रूरी
संयुक्त राष्ट्र की एक वरिष्ठ अधिकारी ने, बच्चों के संरक्षण और हर समय उनके अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने की पुकार दोहराई है, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में प्रावधान है.
बच्चों और सशस्त्र संघर्ष के लिए यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने गुरूवार को अपनी इस पुकार में, बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों के लिए दंडमुक्ति करने की भी बात कही है.
वर्जीनिया गाम्बा ने कहा है कि वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार हनन के 27 हज़ार 180 मामलों की पुष्टि की, जिनमें बच्चों को निशाना बनाया गया था.
इनमें बच्चों को युद्धक गतिविधियों में इस्तेमाल करना, उनकी हत्याएँ और उन्हें घायल करने, बलात्कार और यौन हिंसा, अपहरण, स्कूलों पर हमले, और मानवीय सहायता से वंचित रखे जाने के मामले शामिल थे.
अधिक जोखिम के साथ विस्थापित
वर्जीनिया गाम्बा ने यूएन महासभा की तीसरी समिति के सदस्य देशों को जानकारी देते हुए, विस्थापित बच्चों के लिए जोखिम भरे हालात में बढ़ोत्तरी को रेखांकित किया.
विस्थापन में से अक्सर बच्चों के अधिकारों का हनन और उनके साथ दुर्व्यवहार होने का रास्ता निकलता है, मसलन युद्धक गतिविधियों में प्रयोग करने के लिए उनकी भर्ती किया जाना, उनका अपहरण, यौन हिंसा, और उनकी तस्करी.
इनके अतिरिक्त, बच्चों के विस्थापन से, स्वास्थ्य और शिक्षा तक उनकी पहुँच बाधित होती है और उन्हें मानवीय सहायता से भी वंचित होना पड़ता है.
18 वर्ष से नीचे सभी ‘बच्चे’
विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने देशों से, 18 वर्ष से कम आयु के सभी लोगों को बच्चों के रूप में मान्यता देने और उन्हें विशेष संरक्षण मुहैया कराने का आहवान किया, जैसाकि बाल अधिकारों पर कन्वेंशन में प्रावधान है.
उन्होंने 13 वर्ष से 18 वर्ष के किशोर-किशोरियों के सामने आने वाली विशिष्ट निर्बलताओं का ख़ास ज़िक्र किया.
विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि इस उम्र के किशोर-किशोरियों के साथ अक्सर वयस्क जैसा बर्ताव किया जाता है या फिर उन्हें आतंकवाद निरोधक उपायों का निशाना बनाया जाता है, जिससे उनके बाल अधिकारों की अनदेखी होती है.”
वर्जीनिया गाम्बा ने तमाम देशों से सटीक आँकड़ों के संकलन के लिए और अधिक प्रयास करने का आग्रह किया ताकि तमाम बच्चों का संरक्षण और उनके लिए सहायता सुनिश्चित किए जा सकें.
घड़ी टिक-टिक कर रही है
बच्चों के विरुद्ध हिंसा पर महासचिव की विशेष प्रतिनिधि नजत माअल्ला माजिद ने समिति को सम्बोधित करते हुए, ज़ोर देकर कहा कि बच्चों को ना केवल टकरावों और मानवीय संकटों के दौरान अधिक तकलीफ़ों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, बल्कि राजनैतिक अस्थिरता आर्थिक कठिनाइयों में भी उनके साथ ऐसा ही होता है.
उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों के विरुद्ध हिंसा को 2030 तक ख़त्म करने की लक्ष्य प्राप्ति, रास्ते से भटक रही है, और उन्होंने इस चलन को सकारात्मक दिशा में पलटने के लिए, तत्काल और असरदार उपाय किए जाने की पुकार लगाई.