यूक्रेन: रूसी सेनाओं द्वारा बलात्कार और उत्पीड़न जारी, यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञ
संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बारे में अपनी नवीनतम रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु प्रकाशित किए हैं, जिनमें, रूसी सेनाओं पर युद्धापराध के नए आरोप लगाए गए हैं.
यूक्रेन पर स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग के सदस्यों ने सोमवार को जिनीवा में मानवाधिकार परिषद को बताया है कि उन्होंने आवासीय इमारतों, बुनियादी ढाँचे और चिकित्सा संस्थानों पर विस्फोटक हथियारों से किए गए हमलों के दस्तावेज़ एकत्र किए हैं.
साथ ही उत्पीड़न किए जाने, यौन व लिंग आधारित हिंसा के दस्तावेज़ भी इकट्ठे किए गए हैं.
बलात्कार के आरोप
जाँच आयोग के अध्यक्ष आयुक्त ऐरिक मोज़ ने, रिपोर्ट के हृदय विदारक निष्कर्ष, मानवाधिकार परिषद के सामने प्रस्तुत किए.
उन्होंने बताया कि ख़ेरसॉन क्षेत्र में, “रूसी सैनिकों ने 19 वर्ष से लेकर 83 वर्ष तक की महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा के कृत्यों को अंजाम दिया”, साथ ही अक्सर दीगर मानवाधिकार हनन किए जाने की धमकियाँ भी दी गईं.
ऐरिक मोज़ ने कहा, “अधिकतर मामलों में, परिवारजन को, पास के ही कमरे में रखा गया, इस तरह उन्हें मानवाधिकार हनन किए जाने की आवाज़ें सुनने के लिए विवश किया गया.”
बड़े पैमाने पर उत्पीड़न
जाँच आयोग ने कहा है कि ख़ेरसॉन और ज़ैपोरिझझिया क्षेत्रों में उसकी जाँचों से रूसी सशस्त्र सेनाओं द्वारा, यूक्रेनी सेना के तथाकथित मुख़बिर होने के आरापों का सामना करने वाले लोगों के विरुद्ध “बड़े पैमाने पर और व्यवस्थित तरीक़े से उत्पीड़न” किए जाने के संकेत मिले हैं. कुछ मामलों में ऐसे लोगों की मौत तक भी हो गई.
ऐरिक मोज़ ने उत्पीड़न का शिकार हुए एक व्यक्ति का उदाहरण देते हुए कहा, “हर बार मेरा जवाब यही रहा कि मुझे नहीं मालूम या मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है, उन्होंने मुझे बिजली के झटके दिए... मुझे याद नहीं कि वो झटके कितनी देर तक चले. मुझे लगा कि जैसे वो अन्तहीन समय तक चले.”
बच्चों के स्थानान्तरण की जाँच एक प्राथमिकता
जाँच आयोग के आयुक्तों ने संकेत दिया कि उन्होंने, माता-पिता या अभिभावकों से अलग केवल बच्चों को, रूसी महासंघ को भेजे जाने के व्यक्तिगत मामलों की जाँच भी जारी रखी है.
आयुक्त ऐरिक मोज़ ने मानवाधिकार परिषद को भरोसा दिलाते हुए कहा, “ये जाँच हमारी प्राथमिकता सूची में काफ़ी ऊपर है.”
‘जनसंहार के लिए उकसावा’
जाँच आयोग ने यूक्रेन में जनसंहार के आरोपों के बारे में चिन्ताएँ व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि रूसी सरकारी व अन्य मीडिया में, भड़काऊ सामग्री के प्रसारण को, जनसंहार के लिए उकसावा माना जा सकता है.
अध्यक्षीय आयुक्त ऐरिक मोज़ ने कहा कि जाँच आयोग, ऐसे मुद्दों पर भी अपनी जाँच जारी रखे हुए है.
जवाबदेही की पुकार
संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार जाँच कर्ताओं ने जवाबदेही की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है और इस बात पर खेद व्यक्त किया है कि रूसी महासंघ को भेजे गए उनके तमाम संचार का कोई उत्तर नहीं मिला है.
जाँच आयुक्तों ने अपनी रिपोर्ट में, यूक्रेन सरकार के अधिकारियों से भी, उनकी अपनी सेनाओं द्वारा मानवाधिकार हनन के कुछ मामलों की त्वरित और सम्पूर्ण जाँच कराए जाने का आग्रह किया है.
जाँच आयोग
यूक्रेन पर स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग का गठन, यूएन मानवाधिकार परिषद ने, मार्च 2022 में, किया था. जिसका काम, यूक्रेन पर रूसी महासंघ के आक्रमण के सन्दर्भ में, मानवाधिकार हनन के तमाम मामलों, अतरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन और सम्बन्धित अपराधों की जाँच करना है.
इस जाँच आयोग में तीन आयुक्त हैं जिनके नाम हैं – अध्यक्ष ऐरिक मोज़, पाबलो डी ग्रीफ़ और वृन्दा ग्रोवर (भारत). वो यूएन स्टाफ़ नहीं हैं और उन्हें उनके कामकाज के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.
इस जाँच आयोग का कार्यकाल, मानवाधिकार परिषद ने, अप्रैल 2023 में एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था और यूएन महासभा में इसकी अगली रिपोर्ट, अक्टूबर 2023 में प्रस्तुत की जाएगी.