वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

विश्व घटनाक्रम: लीबिया में बाढ़ राहत प्रयास, सीरिया में राहत चौकी खोले जाने का स्वागत

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन, लीबिया में बाढ़ प्रभावित तक राहत पहुँचाने के लिए, रैड क्रेसेन्ट को सामग्री प्रदान कर रहा है.
IOM MENA
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन, लीबिया में बाढ़ प्रभावित तक राहत पहुँचाने के लिए, रैड क्रेसेन्ट को सामग्री प्रदान कर रहा है.

विश्व घटनाक्रम: लीबिया में बाढ़ राहत प्रयास, सीरिया में राहत चौकी खोले जाने का स्वागत

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र राहतकर्मियों का कहना है कि लीबिया में बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में मानवीय राहत पहुँचाने के लिए प्रयास जारी हैं. वहीं, सीरिया में सरकार के साथ सहमति के बाद एक सीमा चौकी को खोला गया है, जिससे पश्चिमोत्तर क्षेत्र में सहायता सामग्री को भेजना सम्भव होगा.

लीबिया में मानवीय राहतकर्मी, आपदा के बाद उपजी परिस्थितियों और आवश्यकताओं की समीक्षा कार्य में जुटे हैं. इस आपदा में 11 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है और हज़ारों लोग अब भी लापता बताए गए हैं.

यूएन शरणार्थी एजेंसी की सहायक मिशन प्रमुख राना क्सैफ़ी ने बेनग़ाज़ी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ज़मीनी स्तर पर हालात तबाही भरे हैं. 

उनके अनुसा, एक मानवीय राहतकर्मी के तौर पर पिछले 19 वर्षों के दौरान यह उनके लिए सबसे बड़ी त्रासदियों में से है. “तबाही के स्तर को आंका नहीं जा सकता है.”

लीबिया में जल भंडारण की व्यवस्था और बाँधों की सुरक्षा की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. यूएन विकास कार्यक्रम की टीम स्थानीय प्रशासनिक एजेंसियों के साथ मिलकर बुनियादी ढाँचे की समीक्षा में जुटी हैं.

यूएन प्रमुख ने मंगलवार को महासभा के 78वें सत्र को सम्बोधित करते हुए लीबिया में विनाशकारी बाढ़ के बाद उपजे हालात पर दुख प्रकट किया, जहाँ हज़ारों लोग हताहत और विस्थापन का शिकार हुए हैं.

महासचिव गुटेरेश ने कहा, “वे अनेक बार पीड़ा का शिकार हो चुके हैं. वर्षों के हिंसक टकराव के पीड़ित. जलवायु अराजकता के पीड़ित. नज़दीक व दूर स्थित उन नेताओं के पीड़ित, जो उनके लिए शान्ति मार्ग नहीं ढूंढ सके.” 

उन्होंने कहा कि डेरना के लोग इसी बेपरवाही के केन्द्र में जीते रहे और मारे गए, और यह मौजूदा दुनिया में परिस्थितियों की एक दुखद तस्वीर है.

सीरिया: जीवनरक्षक सहायता के लिए सीमा चौकी को फिर खोले जाने का स्वागत

संयुक्त राष्ट्र के एक विशाल मानवीय राहत क़ाफ़िले ने एक अहम सीमा चौकी को खोले जाने के बाद पश्चिमोत्तर सीरिया में प्रवेश किया है. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने एक वक्तव्य में सीरियाई सरकार के साथ हुई सहमति के बाद, सहायता वितरण अभियान के फिर से शुरू होने का स्वागत किया है.

सुरक्षा परिषद में मुख्य राहत गलियारे को खुला रखने के लिए दो प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों पर सहमति ना होने के बाद, बाब अल-हावा चौकी को जुलाई में बन्द कर दिया गया था. 

यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों के ट्रक, तुर्कीये सीमा चौकी से होकर, सीरिया के भीतर जाते हुए.
© UNICEF/PAC
यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों के ट्रक, तुर्कीये सीमा चौकी से होकर, सीरिया के भीतर जाते हुए.

विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इस पश्चिमोत्तर इलाक़े में, लगभग 40 लाख सीरियाई नागरिक इस जीवनरेखा पर निर्भर है, जिसे सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद 2014 में स्थापित किया गया था.

बताया गया है कि सीरियाई सरकार के साथ हुई सहमति के बाद बाब अल-हावा सीमा चौकी को अगले छह महीनों के लिए खोला जाएगा. 

इस समझौते के तहत, संयुक्त राष्ट्र को बाब अल-सलाम और अल-राई सीमा चौकियों को भी तीन अतिरिक्त महीनों के लिए इस्तेमाल में लाने की अनुमति दी गई है.

समाचार माध्यमों के अनुसार, मंगलवार को 17 ट्रकों के एक क़ाफ़िले ने इदलिब क्षेत्र में प्रवेश किया, जिसके ज़रिये दवाओं, खाद्य वस्तुओं, चिकित्सा उपकरणों समेत अन्य सामग्री को भेजा गया है.

क्षेत्र के लिए 80 प्रतिशत से अधिक सहायता को बाब अल-हावा के ज़रिये रवाना किया जाता है, चूँकि दो अन्य सीमा चौकियों का रास्ता लम्बा है और उसकी ख़राब देखरेख की जाती है. 

दासता की विरासत से निपटने के लिए मुआवज़े पर ज़ोर

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने देशों से आग्रह किया है कि दासता और औपनिवेशवाद की विरासत के मद्देनज़र, मुआवज़ा आधारित न्याय को प्राथमिकता बनाया जाना होगा.

उन्होंने कहा कि विश्व भर में दासता और औपनिवेशवाद, अफ़्रीकी मूल के व्यक्तियों के दैनिक जीवन को आज भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. 

यूएन उच्चायुक्त ने अफ़्रीकी मूल के व्यक्तियों के लिए जवाबदेही और कष्ट निवारण सुनिश्चित करने पर बल दिया है, जिसके लिए मज़बूत नेतृत्व और राजनैतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी. 

फ़्राँस की राजधानी पैरिस में ब्लैक लाइव्स मैटर का एक विरोध प्रदर्शन.
Unsplash/Thomas de Luze
फ़्राँस की राजधानी पैरिस में ब्लैक लाइव्स मैटर का एक विरोध प्रदर्शन.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट जारी होने के बाद यह बात कही. इस रिपोर्ट में पहले औपनिवेशिक शासन करने देशों की सरकारों से मुआवज़े के लिए ठोस उपाय करने के लिए कहा है.

बताया गया है कि इन प्रस्तावित क़दमों के लिए अफ़्रीकी मूल के व्यक्तियों द्वारा ही मार्गदर्शन किया जाना होगा, जिनमें सार्वजनिक माफ़ी, शिक्षा व जागरूकता प्रसार, हर्ज़ाना समेत अन्य उपाय हैं. 

एक अनुमान के अनुसार, पिछले 400 वर्षों के दौरान लगभग तीन करोड़ लोगों को अफ़्रीका से हिंसक रूप से बेदख़ल किया गया. दासता का अन्त हो जाने के बाद, रंगभेद और पृथक्करण पर आधारित नीतियों से नस्लीय भेदभाव को बल मिलता रहा.