यूएन जलवायु महत्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन: एक सरल अवलोकन
विश्व नेतागण, व्यापारिक दिग्गज और विशेषज्ञ, 20 सितम्बर को जलवायु महत्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए एकत्र हो रहे हैं, जिसके साथ ही, पृथ्वी के संरक्षण की दौड़ तेज़ी पकड़ने वाली है.
लगभग अधिकांश संकेतक पटरी से उतर गए हैं या ग़लत दिशा में भटक गए हैं. चरम मौसम की घटनाएँ करोड़ों लोगों को विस्थापित कर रही हैं, वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, और जंगल की बेक़ाबू आगें, कनाडा से लेकर ग्रीस के द्वीपों तक, जानमाल की लगातार हानि और तबाही कर रही हैं.
वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का तीन-चौथाई हिस्सा अब भी कोयला, तेल और गैस से उत्पन्न होता है, जिससे जलवायु संकट को ईंधन मिलता है.
वैसे तो जलवायु संकट से पहले ही भारी नुक़सान हो चुका है, और वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अब भी रिकॉर्ड स्तर पर बना हुआ है, उसके बावजूद, परिवर्तन अब भी सम्भव है.
जलवायु सम्बन्धी अनेक बैठकें हुई हैं, लेकिन यह सम्मेलन विशेष है क्योंकि ये एक अति महत्वपूर्ण राजनैतिक पड़ाव का प्रतिनिधित्व करता है: संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देश एक मंच पर एकत्र होने और विश्व को अधिक न्यायसंगत, हरित, और सभी के लिए स्वच्छ बनाने के लिए, सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करने वाले हैं.
आपके जानने योग्य पाँच बातें यहाँ दी जा रही हैं:
1. समय भाग रहा है
जलवायु संकट सर्वजन और प्रत्येक देश को प्रभावित करता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया की आधी आबादी, पहले से ही जोखिम भरे क्षेत्रों में रहने को विवश है, जहाँ सम्बन्धित प्रभावों के कारण लोगों की मौत होने की, 15 गुना अधिक सम्भावना है.
पिछली आधी सदी में जलवायु से उत्पन्न आपदाओं के कारण जितने लोगों की मौतें हुई हैं, उनमें 70 प्रतिशत मौतें, 46 अल्प विकसित देशों में हुई हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का कहना है, “वैश्विक तापमान वृद्धि का दौर समाप्त हो गया है; वैश्विक उबाल का युग आ चुका है.”
“हवा साँस लेने योग्य नहीं है, गर्मी असहनीय है, और जीवाश्म ईंधन से लाभार्जन व जलवायु निष्क्रियता अस्वीकार्य है. नेताओं को नेतृत्व दिखाना होगा. अब कोई झिझक नहीं. कोई बहाने नहीं. अब अन्य से पहले आगे बढ़कर, कार्रवाई करने का इन्तज़ार नहीं किया जा सकता. इसके लिए अब और समय नहीं बचा है.”
2. ‘निरर्थक बातों का शिखर सम्मेलन नहीं’
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दिसम्बर 2022 में वैश्विक कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि वह "व्यर्थ बातों की ग़ैर-मौजूदगी वाले सम्मेलन की अपेक्षा रखते हैं, जिसमें कोई अपवाद और निरर्थक समझौते नहीं होंगे.
उन्होंने कहा था, “इस सम्मेलन में, कार्रवाई के मामले में पीछे की क़तार में रहने वालों, जलवायु कार्रवाई के बारे में खोखले दावे करने वालों (Greenwashers), अन्य लोगों व पक्षों पर दोष मढ़ने वालों, और बीते वर्षों की घोषणाओं को ही नई शब्दावली में प्रस्तुत करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं होगा.
कार्रवाई तेज़ करने वाले देशों, प्रभावशाली लोगों और नेतागण की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2015 के बाद से, राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों वाले देशों की संख्या, बढ़कर दो गुनी से भी अधिक हो गई है. बहुत से देश व जन, महासचिव के जलवायु परिवर्तन में तेज़ी लाने पर लक्षित एजेंडा (Climate Action Acceleration Agenda) जैसी पहलों के साथ जुड़े हैं.
वर्ष 2023 के शुरू में जारी किए गए इस एजेंडे ने, महत्वपूर्ण जलवायु सीमाओं को पार करने से रोकने और जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित लोगों को सुनिश्चित करने के लिए, वर्ष 2023 के दौरान, देशों की सरकारों, व्यवसायों और वित्तीय नेताओं से अपेक्षित कार्यों की एक रूपरेखा प्रस्तुत की है.
"नैट-शून्य" एक ऐसा शब्द है जो वायुमंडल में उत्सर्जित कार्बन और उससे हटाए गए कार्बन के बीच के सन्तुलन की प्राप्ति को का विवरण मुहैया कराता है.
वैज्ञानिक साक्ष्य स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि जलवायु परिवर्तन के सबसे गम्भीर परिणामों को टालने और एक रहने योग्य ग्रह (पृथ्वी) के संरक्षण के लिए, वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना अनिवार्य है.
3. अधिक ‘स्वच्छ’ महत्वाकांक्षाएँ
देशों की सरकारों के प्रतिनिधियों से उनकी प्रगति का रिपोर्ट कार्ड पेश किए जाने की अपेक्षा है, विशेष रूप से, अधिक कार्बन उत्सर्जक देशों से.
ऐसे देशों जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते जैसी ऐतिहासिक सन्धियों के तहत किए गए संकल्पों को पूरा करने के मामले में उनकी वर्तमान स्थिति का ब्यौरा भी पेश करेंगे.
इनके अलावा, देशों से कार्य योजनाएँ प्रस्तुत करने की उम्मीद की जाती है, जिन्हें अक्सर राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) के रूप में जाना जाता है.
इनमें नेट-शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने से लेकर, हरित जलवायु कोष में योगदान करने की प्रतिबद्धताएँ शामिल होंगी, जो विकासशील देशों को उत्सर्जन को कम करने और सहनक्षमता बढ़ाने के लिए अपनी रणनीतियों को आगे बढ़ाने में सहायता करता है.
तमाम कार्बन उत्सर्जकों, और विशेष रूप से सभी जी20 देशों की सरकारों से, वर्ष 2025 तक ऐसे अधिक महत्वाकांक्षी व अर्थव्यवस्था अनुरूप – राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत करने के लिए कहा जाएगा, जिनमें निश्चित कार्बन-उत्सर्जन कटौतियाँ शामिल हों और जो सभी गैसों को शामिल करें.
4. खोखले दावों का दौर गया
व्यवसायों, शहरों, क्षेत्रों और वित्तीय संस्थानों के नेताओं से, परिवर्तन योजनाएँ पेश करने की अपेक्षा है जो यूएन समर्थित विश्वसनीयता मानकों के अनुरूप हों - जैसा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा तैयार कराई गई Integrity Matters नामक रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया है.
स्वैच्छिक नैट-शून्य प्रतिबद्धताओं के लिए यह मानदंड – ऐसा केवल एक मात्र मानक है जो वैश्विक तापमान को, 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से मेल खाता है.
रिपोर्ट में अन्य चीज़ों के साथ-साथ, जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को रोकने और चरणबद्ध तरीक़े से समाप्त करने की रणनीति, उत्सर्जन में कटौती और जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु, विज्ञान-आधारित उपायों की सार्वजनिक रूप से हिमायत करने की प्रतिबद्धता का आहवान किया गया है.
5. जलवायु न्याय की मांग!
लक्ष्य है - जलवायु न्याय की प्राप्ति. इसमें विश्व भर के सर्वाधिक छोटे प्रदूषकों को ध्यान में रखना शामिल है, जिन्हें विशाल उत्सर्जकों, विशेषकर जी20 देशों के कारण, बढ़ते ख़तरनाक परिणामों को असमान रूप से सहन करना पड़ता है.
शिखर सम्मेलन के प्रतिभागी ऊर्जा, परिवहन, विमानन, इस्पात (स्टील) और सीमेंट उद्योगों जैसे उच्च स्तर के प्रदूषण वाले क्षेत्रों में, कार्बन उत्सर्जन में कमी को तेज़ करने से जुड़ी बाधाओं और अवसरों पर विचार-विमर्श करेंगे.
प्रतिभागियों से जलवायु न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कार्रवाइयों का अनावरण करने की अपेक्षा है.
धरातल पर ये परिदृश्य कैसा नज़र आएगा, उसकी झलक में शामिल होगा - वर्ष 2027 तक, जलवायु सम्बन्धी आपदाओं से और अधिक लोगों को संरक्षण उपलब्ध कराना, और वर्ष 2025 तक, अनुकूलन वित्त की मात्रा दोगुनी करना.
इसके साथ ही, वर्ष 2023 में ही, नए ‘हानि और क्षति कोष’ की स्थापना भी होगी. यह कोष, निर्बल देशों की सहायता के लिए शुरू की गई एक अति महत्वपूर्ण पहल है, जोकि मिस्र में हुए यूएन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन – कॉप27 की एक विशिष्ट उपलब्धि रही है.