दुनिया भर में, 33.3 करोड़ बच्चे, चरम निर्धनता में

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ और विश्व बैंक की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में लगभग 33 करोड़ 30 लाख बच्चे, चरम निर्धनता में जीवन जी रहे हैं, और हर छह में से औसतन एक बच्चे को, प्रतिदिन $2.15 से भी कम रक़म पर गुज़र-बसर करनी पड़ती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अलबत्ता, अत्यन्त गम्भीर निर्धनता में जीवन जीने वाले बच्चों की संख्या में, बीते दशक में पाँच करोड़ की कमी हुई है, यानि इतने बच्चे निर्धनता के इस दायरे से बाहर निकल सके हैं.
रिपोर्ट तैयार करने वालों का, हालाँकि ये भी कहना है कि अगर कोविड-19 महामारी सम्बन्धी व्यवधान, तीन वर्ष तक जारी नहीं रहते तो, अन्य अनेक करोड़ लोग निर्धनता के इस दायरे से ऊपर उठ सकते थे.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल का कहना है कि महामारी के साथ-साथ टकरावों, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक झकटों के प्रभावों ने, बाल निर्धनता के उन्मूलन पर प्रगति को अवरुद्ध कर दिया है.
उन्होंने ये सुनिश्चित करने के लिए, प्रयास दोगुने करना का आहवान किया है कि बच्चों को, अनिवार्य सेवाओं तक पहुँच हासिल हो, जिनमें शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक संरक्षण शामिल हैं. उन्होंने साथ ही, चरम निर्धनता के मूल कारणों से भी निपटा जाने का आहवान किया.
“हम इन बच्चों की उम्मीदों पर अब नाकाम नहीं हो सकते.”
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि दुनिया भर में, अत्यन्त निर्धन आबादी में, लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा बच्चों का है, जबकि विश्व आबादी में उनका हिस्सा केवल एक तिहाई है.
चरम निर्धनता की चपेट में जीवन जी रहे बच्चों की लगभग 90 प्रतिशत संख्या, उप-सहारा अफ़्रीका या दक्षिण एशिया क्षेत्रों में बसती है.
रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि त्वरित जनसंख्या वृद्धि और सामाजिक संरक्षण के सीमित उपायों ने, चरम निर्धनता से प्रभावित बच्चों की संख्या में व्यापक वृद्धि में योगदान किया है.
इस बीच एक सुखद घटनाक्रम ये भी है कि, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के अलावा, दुनिया भर के तमाम क्षेत्रों में अत्यन्त निर्धनता की दरों में, ख़ासी कमी भी देखी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे और ऐसे परिवारों के बच्चे, जिनके मुखिया मामूली शिक्षित या बिल्कुल शिक्षित नहीं हैं, वो बच्चे, चरम निर्धनता से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं.
टकराव से प्रभावित देशों में, अनुमानतः हर तीन में से एक बच्चे, अत्यन्त निर्धन परिवारों में गुज़र-बसर करते हैं, जबकि टकराव वाले हालात से सुरक्षित देशों में ये अनुपात औसतन हर दस में से एक बच्चे का है.
पीछे छूटे हुए
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि निर्धनता में कमी करने की मौजूदा दरों के साथ, वर्ष 2030 तक चरम बाल निर्धनता के टिकाऊ विकास लक्ष्य-1 की प्राप्ति नहीं हो सकेगी.