नवीकरणीय ऊर्जा के बिना, कोई भविष्य सम्भव नहीं': बदलाव के पाँच सरल उपाय

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार, 7 सितम्बर, को ‘नीले आकाश के लिए स्वच्छ वायु के अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ से ठीक पहले कहा है कि नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव ही मानवता का अस्तित्व सुरक्षित करने की कुंजी है, क्योंकि “नवीकरणीय ऊर्जा के बिना, कोई भविष्य सम्भव ही नहीं है.
वायु और सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय प्रौद्योगिकियाँ, अनेक मामलों में, जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधन के मुक़ाबले, अधिक किफ़ायती हैं, लेकिन विश्व को अपनी ऊर्जा प्रणालियों में नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव को प्राथमिकता देना आवश्यक है.
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 20 सितम्बर को होने वाले जलवायु महत्वाकांक्षा सम्मेलन में, इस बदलाव को गति देने पर विचार-विमर्श किया जाएगा.
जीवाश्म ईंधन को दिया जाने वाला ऊर्जा अनुदान, उसके बजाय नवीकरणीय ऊर्जा को दिया जाए. जीवाश्म ईंधन को दी जाने वाली सब्सिडी, विश्व की नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने में, सबसे बड़ी वित्तीय बाधाओं में से एक है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने लगातार वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक, जीवाश्म ईंधन के लिए, सभी अन्तरराष्ट्रीय सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण को समाप्त करने का आहवान किया है. उन्होंने इसमें किसी भी नए निवेश को "भ्रामक’ बताया है.
उन्होंने कहा, "जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर, उचित एवं न्यायसंगत बदलाव को गति देने के लिए सभी हितधारकों का एकजुट होना ज़रूरी है. इसमें तेल और गैस के विस्तार को रोकना, कोयला, तेल एवं गैस परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता तथा लाईसेंस देने के चलन को समाप्त करना शामिल है.”
अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने स्पष्ट किया है कि केवल वर्ष 2020 में, जीवाश्म ईंधन उद्योग को सब्सिडी देने के लिए 5.9 ट्रिलियन डॉलर ख़र्च किया गया था.
इस आँकड़े में सब्सिडी, कर छूट, और स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय क्षति से जुड़ी लागतें शामिल हैं, जिन्हें जीवाश्म ईंधन के प्रारम्भिक मूल्य निर्धारण में शामिल नहीं किया गया था.
ये लगभग 11 अरब डॉलर प्रति दिन के बराबर हैं.
जीवाश्म ईंधन को दिए जाने वाले अनुदान को नवीकरणीय ऊर्जा की ओर मोड़ने से, ना केवल जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी आती है, बल्कि इससे ख़ासतौर पर विश्व के सबसे निर्धन व कमज़ोर समुदायों के लोगों के लिए, टिकाऊ आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन, बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य और अधिक समानता हासिल करने में भी योगदान होता है.
वर्ष 2050 तक नैट-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा में अनुमानित 4 ट्रिलियन डॉलर का वार्षिक निवेश आवश्यक है.
"नैट-शून्य" का मतलब, वायुमंडल में उत्सर्जित कार्बन और उससे निकाले गए कार्बन के बीच सन्तुलन प्राप्त करना है.
जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश की लागत काफ़ी कम होगी.
केवल प्रदूषण और जलवायु सम्बन्धी प्रभावों में कमी से, वर्ष 2030 तक विश्व भर में सालाना लगभग 4.2 ट्रिलियन डॉलर की बचत हो सकती है.
सहायता धनराशि उपलब्ध है, लेकिन प्रतिबद्धता और जवाबदेही की ज़रूरत है, विशेष रूप से, वैश्विक वित्तीय प्रणालियों से. इसमें बहुपक्षीय विकास बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान शामिल हैं, जिन्हें नवीकरणीय ऊर्जा की ओर रुख़ करने की दिशा में तेज़ी लाने के लिए, अपने ऋण पोर्टफोलियो को समायोजित करना होगा.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा की वास्तविक सुरक्षा, बिजली की स्थिर क़ीमतों और स्थाई रोज़गार सम्भावनाओं का एकमात्र मार्ग है.”
साथ ही, उन्होंने "सभी सरकारों से ऊर्जा परिवर्तन परियोजनाएँ तैयार करने" का आग्रह किया है व "सभी तेल और गैस कम्पनियों के वरिष्ठ अधिकारियों को समाधान खोजने में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया है."
नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी को एक ऐसी वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनाने के लिए, जो केवल समृद्ध लोगों तक न सीमित रहकर, सर्वजन के लिए सुलभ हो, ज्ञान के आदान-प्रदान और प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा. इसमें बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से जुड़ी बाधाओं को दूर करना शामिल है.
बैटरी भंडारण प्रणाली जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के ज़रिए, नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा को संग्रहित कर, ऐसे समय में उसकी आपूर्ति करना सम्भव होता है, जब लोगों, समुदायों और व्यवसायों को बिजली की आवश्यकता हो.
नवीकरणीय ऊर्जा जैनेरेटर के साथ जुड़ने पर, बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकियाँ, भारत, तंज़ानिया और वानुअतु जैसे दूरगामी स्थानों में अलग-थलग पड़े, ग्रिड एवं ऑफ़-ग्रिड समुदायों को, भरोसेमन्द एवं सस्ती बिजली प्रदान कर सकती हैं.
नवीकरणीय ऊर्जा के लिए घटकों और कच्चे माल की मज़बूत और भरोसेमन्द आपूर्ति, एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी कारक है.
सभी आवश्यक घटकों और सामग्रियों तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, जिसमें वायु टरबाइन और विद्युत ग्रिड के निर्माण के लिए आवश्यक खनिजों के साथ-साथ, इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए आवश्यक तत्व भी शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र का अन्तरराष्ट्रीय समुद्री सतह (Seabed) प्राधिकरण, वर्तमान में अपने सदस्य देशों के साथ मिलकर, अन्तरराष्ट्रीय जल सीमाओं में पाए जाने वाले प्रचुर खनिज संसाधनों, विशेष रूप से बैटरी उत्पादन के लिए आवश्यक खनिज संसाधनों के दोहन के तरीक़े खोजने के प्रयासों में लगा है.
वैश्विक स्तर पर विनिर्माण क्षमता का विस्तार और विविधता लाने के लिए, बड़े स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय समन्वय की आवश्यकता होगी. साथ ही, लोगों के कौशल प्रशिक्षण, अनुसन्धान एवं नवाचार, और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने वाली टिकाऊ प्रथाओं के ज़रिए, आपूर्ति श्रृँखला निर्माण को प्रोत्साहन देने जैसे क्षेत्रों में अधिक निवेश की आवश्यकता होगी.
यद्यपि वैश्विक सहयोग और समन्वय आवश्यक है, घरेलू नीतिगत ढाँचे में तत्काल सुधार की आवश्यकता है. इसमें नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को सुव्यवस्थित और तेज़ करना व निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करना शामिल है.
नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव हेतु आवश्यक प्रौद्योगिकी, क्षमता और वित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं. लेकिन, बाज़ार के जोखिमों को कम करने, निवेश को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने के साथ-साथ, व्यवधानों व लाल-फ़ीताशाही को रोकने के लिए, नीतियाँ एवं प्रक्रियाएँ लागू करनी होंगी.
राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, या उत्सर्जन घटाने और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन हेतु देशों की व्यक्तिगत कार्य योजनाओं के तहत, ऐसे नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित करने होंगे, जो वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक सीमित करने के उद्देश्य के साथ संरेखित हों.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, अनुमनित वैश्विक बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी, वर्तमान के 29 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2030 तक 60 प्रतिशत होनी चाहिए.