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भारत: ‘एक माँ, व्यवसायी महिला व एक राजनैतिक हस्ती'

सेनी एक माँ, सफल उद्यमी व ज़िला स्तर की राजनेता भी हैं.
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सेनी एक माँ, सफल उद्यमी व ज़िला स्तर की राजनेता भी हैं.

भारत: ‘एक माँ, व्यवसायी महिला व एक राजनैतिक हस्ती'

महिलाएँ

भारत के मिज़ोरम प्रदेश के सुदूर इलाक़े में रहने वाली महिलाएँ , ग्रामीण ऋण योजनाओं का लाभ उठाते हुए, सफल उद्यम स्थापित करके, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक आपबीती है - सेनी की, जिनकी जिजीविषा की कहानी को यूएनवीमेन के प्रकाशन में जगह मिली है.

मिज़ोरम के ममित में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने तीन बच्चों की एकल माँ, सफल उद्यमी व ज़िला स्तर की राजनीतिज्ञ, 50 वर्षीय सेनी के बारे में नहीं सुना होगा.

सेनी के माता-पिता, इस इलाक़े के झूम बाग़ानों में खेतिहर मज़दूर थे. उनके पास सेनी की शिक्षा के लिए पर्याप्त धन नहीं था. सेनी की बड़ी बहन की शादी, तभी हो गई थी, जब वो स्कूल में थीं. 

वहीं, उनका भाई बेहतर भविष्य की तलाश में आइज़ोल शहर चला गया था. अवसाद से पीड़ित एक छोटी बहन की, 16 वर्ष की उम्र से पहले ही मृत्यु हो गई, जिससे सेनी पर अपने माता-पिता की देखभाल की ज़िम्मेदारी आ गई. 

सेनी बताती हैं, “मेरे पिता जी शुरू से ही अत्यधिक धूम्रपान करते थे. उनके पेट में अल्सर हो गया और फिर इस बीमारी के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया. फिर मेरी माँ की आँखों की रौशनी भी अचानक चली गई.”

सेनी को छठी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा और 16 साल की उम्र में वो कामकाज करने लगीं.

पारिवारिक कठिनाइियों में से रास्ता

उन्होंने, 21 साल की उम्र में, दूर आइज़ोल के पास स्थित लेंगपुई के एक व्यक्ति से विवाह कर लिया. लेकिन 29 साल की उम्र में उनका तलाक़ हो गया. उस समय उनके सबसे बड़े बच्चे की उम्र केवल आठ साल थी. तब वो अपने तीन बच्चों के साथ अपनी माँ के पास रहने के लिए आ गईं. 

उन्होंने भरण-पोषण के लिए, एक दूर के रिश्तेदार से 5 हज़ार रुपए का ब्याज़-मुक्त ऋण लिया. इस धनराशि से, उन्होंने दवाई व किराने की एक छोटी सी दुकान खोली. अतिरिक्त आमदनी के लिए उन्होंने प्रतिदिन 150 रुपए के पारिश्रमिक पर झूम बाग़ान में भी काम किया.

2004 में, उन्होंने अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए एक ग्रामीण बैंक से दो लाख रुपए का बड़ा ऋण लिया. दो साल में उन्होंने वो क़र्ज़ चुकाकर, वर्ष 2008 में फिर से मिज़ोरम ग्रामीण बैंक से पाँच लाख रुपए का क़र्ज़ लिया.

जल्द ही, उन्हें प्रदेश में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थानीय इकाई ने यूनिट कमेटी का सदस्य बना दिया. 

सेनी ने बताया, “मैंने पाँच वर्षों तक ग्राम समिति सदस्य के रूप में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. फिर मैं मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) में शामिल हो गई और पिछले दो कार्यकाल से, मैं एमएनएफ़ का ही प्रतिनिधित्व करती आ रही हूँ.''

लैंगिक जागरूकता की ज़रूरत

सेनी का मानना ​​है कि राजनीति में, विशेषकर ज़मीनी स्तर पर निर्णयक भूमिकाओं में, अधिक महिलाओं की आवश्यकता है. ग्राम समितियों में लैंगिक रूढ़िवादिता से भी छुटकारा पाने की ज़रूरत है. 

सेनी का कहना है कि महिलाओं को अक्सर आंगनबाड़ियों और सार्वजनिक स्वच्छता के काम की देखरेख करने के लिए कहा जाता है. वो कहती हैं, “इसके विपरीत, पुरुषों को नागरिक संरचनाओं व सार्वजनिक कार्यों का नेतृत्व सौंपा जाता है. यह सोच बदलनी होगी.”

सेनी, वर्ष 2010 के बाद से ग्राम परिषद के सदस्य के रूप में तीन बार निर्वाचित हुई हैं. यह एक मज़बूत स्थानीय निकाय है जिसके पास जल आपूर्ति, सड़क, वन, स्वच्छता, शिक्षा और अन्य कल्याणकारी गतिविधियों के उचित रखरखाव की निगरानी के लिए ग्राम विकास योजनाएँ तैयार करने की शक्तियाँ हैं. यह परिषद, गाँव में विकास कार्रवाई हेतु विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ भी सहयोग करती है.

सेनी कहती हैं, ''मुझे यह तो नहीं मालूम कि मैं प्रेरणा योग्य हूँ या नहीं. लेकिन हाँ, मैं हमेशा अपने लिए, अपने परिवार और अपने समुदाय के लिए मज़बूती से खड़ी रही हूँ."