वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कामकाज के स्थलों पर स्तनपान कराने का समर्थन करने की पुकार

यूक्रेन में एक छह महीने के शिशु को उसकी मां स्तनपान कराते हुए.
© UNICEF/Oleksii Filippov
यूक्रेन में एक छह महीने के शिशु को उसकी मां स्तनपान कराते हुए.

कामकाज के स्थलों पर स्तनपान कराने का समर्थन करने की पुकार

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने मंगलवार को विश्व स्तनपान (Breastfeeding) सप्ताह का आरम्भ करते हुए, कामकाज के तमाम स्थलों पर स्तनपान कराने को और ज़्यादा समर्थन दिए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले एक दशक में, विशिष्ट परिस्थितियों में स्तनपान कराने का स्तर 10 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ, 48 प्रतिशत पर पहुँच गया है. 

एजेंसियों का कहना है कि कामकाज के स्थानों पर स्तनपान कराने को प्रोत्साहन व समर्थन देने से, वर्ष 2030 तक वैश्विक लक्ष्य 70 प्रतिशत हासिल करने की दिशा में उच्च प्रगति को बढ़ावा मिल सकता है.

Tweet URL

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है, “कामकाज स्थलों पर महिलाओं को समर्थन वाला माहौल मुहैया कराना बेहद महत्वपूर्ण है."

"साक्ष्य दर्शाते हैं कि महिलाओं के काम पर लौटने के बाद, स्तनपान कराने की दर में बड़ी गिरावट आ जाती है. लेकिन अगर कामकाज के स्थानों पर माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराना जारी रखने की सुविधा दी जाए तो इस नकारात्मक प्रभाव को उलटा जा सकता है."

माताओं, शिशुओं व व्यवसायों को समान लाभ

संयुक्त राष्ट्र के इन अधिकारियों का कहना है कि कामकाज के स्थानों पर सवैतनिक मातृत्व अवकाश, स्तनपान कराने के लिए समय देना और शिशुओं को दूध पिलाने के लिए एक विशेष कमरा या निजी स्थान मुहैया कराने जैसी परिवार-अनुकूल नीतियों से, महिलाओं के लिए एक ऐसा अनुकूल वातावरण बनता है. ये न केवल कामकाजी महिलाओं और उनके परिवारों के लिए, बल्कि नियोक्ताओं के लिए भी फ़ायदेमन्द है. 

“इस तरह की नीतियाँ अपनाने से, मातृत्व-सम्बन्धी अनुपस्थिति को कम करने, महिला कर्मचारियों को कामकाज पर बनाए रखने में बढ़ोत्तरी और नए कर्मचारियों को काम पर रखने व उनके प्रशिक्षण पर आने वाली लागत को कम करके, आर्थिक लाभ होता है.”

यूनीसेफ़ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माताओं, शिशुओं और व्यवसायों के लिए, स्तनपान के समर्थन के फ़ायदों पर बल देते हुए सरकारों, दानदाताओं, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र से, कामकाजी माताओं को समर्थन मुहैया कराने की पुकार लगाई है. इनमें अनौपचारिक क्षेत्र में या अस्थाई अनुबन्धों पर काम करने वाली माताएँ भी शामिल हैं.

यूएन एजेंसियों ने, सभी कामकाजी माता-पिताओं और देखभाल करने वालों को, उनके छोटे बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, पर्याप्त सवैतनिक मातृत्व अवकाश दिए जाने की सिफ़ारिश की है. उन्होंने इसके साथ-साथ, सभी परिवेशों में स्तनपान को समर्थन देने वाली नीतियों और कार्यक्रमों में संसाधन निवेश बढ़ाने का भी आग्रह किया है.

बच्चों के अस्तित्व के लिए अत्यावश्यक कार्रवाई

स्तनपान के स्वास्थ्य लाभ वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं और उनके समर्थन में पर्याप्त दस्तावेज़ मौजूद हैं.

शिशुओं के जन्म के पहले कुछ महीनों के दौरान, बच्चे को माँ का दूध मिलना, जीवित रहने के लिए और विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. 

स्तनपान कराने से, शिशुओं की संक्रामक बीमारियों से रक्षा होती है और ये बच्चों की रोगप्रतिरोधी या प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मज़बूत करता है. इससे बच्चों को उनकी पूरी क्षमता साथ उनकी बढ़ते होने और उनका चौतरफ़ा विकास होने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण पोषक तत्व मिलते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की सुझाव है कि स्तनपान, शिशु के जन्म के पहले घंटे के भीतर ही शुरू हो जाना चाहिए, और शिशु के जीवन के पहले छह महीनों के दौरान अवश्य जारी रहना चाहिए.

इसका मतलब है कि शिशु को पहले छह महीनों के दौरान, माँ के दूध के अलावा, पानी सहित कोई अन्य आहार या तरल पदार्थ नहीं दिए जाने चाहिए.

यूएन विशेषज्ञों की ये भी सलाह है कि शिशुओं को, उनकी मांग पर स्तनपान कराना चाहिए – मतलब जब भी शिशु चाहे – दिन हो या रात.

जन्म के छह महीने के बाद, शिशुओं को सुरक्षित और पौष्टिक पूरक आहार देना शुरू किया जाना चाहिए, जबकि दो साल या उससे भी अधिक उम्र तक स्तनपान जारी रखना चाहिए.

विश्व स्तनपान सप्ताह
WHO and ILO