ऑनलाइन नफ़रत से निपटने के लिए, नया यूएन नीति-पत्र
जनसंहार रोकथाम और संरक्षण की ज़िम्मेदारी के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने, ऑनलाइन माध्यमों पर हेट स्पीच का मुक़ाबला करने पर लक्षित, एक नया नीति-पत्र बुधवार को जारी किया है.
इस नीति-पत्र का नाम है - Countering and Addressing Online Hate Speech: A Guide for Policy Makers and Practitioners जिसे संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने, आर्थिक व सामाजिक शोध परिषद (ESRC) मानवाधिकार, ब्रिटेन के ऐसेक्स विश्वविद्यालय स्थित बिग डेटा व टैक्नॉलॉजी प्रोजैक्ट ने मिलकर तैयार किया है.
असाधारण रफ़्तार
जनसंहार रोकथाम पर यूएन महासचिव की विशेष सलाहकार ऐलिस वाइरिमू न्देरितू ने इस अवसर पर कहा, “हमने दुनिया भर में देखा है कि किस तरह सोशल मीडिया, हेट स्पीच को असाधारण रफ़्तार के साथ फैलाने का एक प्रमुख वाहन बन गया है, जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और एक गतिशील सार्वजनिक चर्चा को जोखिम में डाल दिया है.”
विशेष सलाहकार ऐलिस वाइरिमू न्देरितू जनसंहार के मुद्दे पर वैश्विक सम्पर्क हस्ती भी हैं.
उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि पहचान-आधारित हिंसा को अंजाम देने वाले तत्वों ने, अन्य लोगों को निशाना बनाने, उन्हें बदनाम करने और उन पर हमले करने के लिए, किस तरह ऑनलाइन माध्यमों पर नफ़रत का प्रयोग किया है, जबकि इन पीड़ितों में से बहुत से लोग तो पहले ही समाज में हाशिए पर धकेले हुए होते हैं.
इनमें जातीय, धार्मिक, राष्ट्रीय और नस्लीय अल्पसंख्यक, शरणार्थी व प्रवासी, महिलाएँ और विविध यौन रुझान, लैंगिक पहचान, लैंगिक अभिव्यक्ति, और यौन विशेषताओं वाले लोग शामिल हैं.”
इस नीति-पत्र की कुछ प्रमुख सिफ़ारिशों में शामिल हैं:
ऑनलाइन हेट स्पीच का मुक़ाबला करते समय मानवाधिकारों और विधि के शासन का सम्मान सुनिश्चित करना, साथ ही सामग्री में बदलाव, सामग्री को आकार देना और उसका नियमन करना.
सामग्री में बदलाव, सामग्री आकार और नियमन में पारदर्शिता को बढ़ाना.
ऑनलाइन हेट स्पीच का मुक़ाबला करते समय, सकारात्मक आख्यानों (चर्चाओं) को प्रोत्साहन देना, और प्रयोक्ताओं के सक्रिय लगाव व सशक्तिकरण को बढ़ाना.
जवाबदेही सुनिश्चित करना, न्यायिक प्रणालियों को मज़बूत करना व स्वतंत्रत निगरानी प्रणालियों को प्रोत्साहन.
बहुपक्षीय और बहु-हितधारक सहयोग को मज़बूत करना.
समुदाय आधारित आवाज़ों को प्रोत्साहन और सन्दर्भ-संवेदनशील व ज्ञान-आधारित नीति-निर्माण को बढ़ावा देने के साथ-साथ, कमज़ोर समूहों व आबादियों को, ऑनलाइन हेट स्पीच का मुक़ाबला करने के लिए सशस्त बनाना व उन्हें संरक्षण मुहैया कराना.
यह नीति-पत्र अतीत में शुरू किए गए कार्यक्रमों से की बुनियाद पर आधारित है, जिनमें हेट स्पीच पर संयुक्त राष्ट्र की रणनीति व कार्रवाई योजना शामिल है.
इसमें हेट स्पीच के वैश्विक फैलाव व प्रभाव पर, संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई को बढ़ाने का आहवान किया गया है.
प्रौद्योगिकी व सोशल मीडिया की भूमिका
विशेष सलाहकार ऐलिस वाइरिमू न्देरितू ने ध्यान दिलाते हुए कहा, “डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ और सोशल मीडिया, हेट स्पीच से निपटने में, सम्पर्क बढ़ाने, जागरूकता फैलाने, सूचना तक पहुँच उपलब्ध कराने, और शिक्षा के ज़रिए, अहम भूमिका निभाती हैं.”
धर्म या आस्था की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के पूर्व विशेष रैपोर्टेयर और ब्रिटेन के ऐसेक्स मानवाधिकार, बिग डेटा और टैक्नॉलॉजी प्रोजैक्ट के उप निदेशक डॉक्टर अहमद शहीद का कहना है कि ऐसे में जबकि हम ऑनलाइन माध्यमों पर बहुत ज़्यादा समय बिताने लगे हैं, तो ये सुनिश्चित किया जाना बहुत ही ज़रूरी हो गया है कि हम सभी, ऑफ़लाइन और ऑनलाइन समान रूप से अधिकारों का आनन्द उठा सकें.
जनअत्याचार
डॉक्टर अहमद शहीद ने ऐसी हिंसक गतिविधियों के बारे में भी आगाह किया जो ऑनलाइन मंचों पर हिंसा को उकसाने से होती हैं, जिनमें जन-अत्याचार भी शामिल हैं.
विशेष सलाहकार ऐलिस वाइरिमू न्देरितू ने कहा कि दुर्भाग्य से, ऑनलाइन नफ़रत का मुक़ाबला करने में हमारा निवेश, अभी इसके फैलाव और ऑनलाइन प्रभाव की वास्तविकता से मेल खाने के स्तर पर नहीं पहुँचा है.
“ये हम सबकी – तमाम हितधारकों की ज़िम्मेदारी है – कि हम, भेदभाव मिटाने और समानता को आगे बढ़ाने में अभी तक बहुत कठिनाई से हासिल की गई उपलब्धियों को सहेजने के लिए अपने प्रयास बढ़ाएँ.”