माली में यूएन शान्तिरक्षा मिशन का अन्त, सुरक्षा परिषद ने दी स्वीकृति
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को माली में यूएन शान्तिरक्षा मिशन (MINUSMA) को समाप्त किए जाने के प्रस्ताव को सर्वमत से स्वीकृति दी है. माली में सेवारत यूएन शान्तिरक्षकों की पूर्ण रूप से वापसी लगभग छह महीने में पूरी होने की सम्भावना है.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने माली में पिछले एक दशक से जारी यूएन मिशन की पूर्ण वापसी के लिए अपने मज़बूत समर्थन को दोहराया है.
यूएन मिशन की वापसी के बाद, माली में सुरक्षा व्यवस्था का दायित्व देश की संक्रमणकालीन सरकार के पास होगा, जोकि वर्ष 2021 में सैन्य तख़्तापलट के बाद से ही सत्ता में है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ बताया कि यूएन प्रमुख ने शान्तिरक्षा मिशन और उसमें सेवारत कर्मचारियों की सराहना करते हुए माली में संक्रमणकालीन सरकार से पूर्ण सहयोग की अपील की है.
आगामी महीनों में यूएन मिशन के कर्मचारियों और साज़ोसामान की पूर्ण, व्यवस्थित ढंग से सुरक्षित वापसी के लिए यह अहम होगा.
यूएन प्रमुख ने वर्ष 2015 में, माली में शान्ति व मेलमिलाप के लिए हुए समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी पक्षों से युद्धविराम का सम्मान जारी रखने का अनुरोध किया है.
महासचिव गुटेरेश के प्रवक्ता ने बताया कि माली की संक्रमणकालीन सरकार के साथ सम्पर्क व बातचीत जारी रखी जाएगी ताकि देश में मौजूद यूएन टीम, पश्चिमी अफ़्रीका व सहेल के लिए यूएन कार्यालय और अन्य साझेदार संगठनों के साथ मिलकर स्थानीय आबादी की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.
मिशन वापसी की प्रक्रिया
शुक्रवार को पारित प्रस्ताव के अनुसार, यूएन मिशन द्वारा शनिवार को माली से वापसी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसे 1 जनवरी 2024 तक पूरा किया जाना है.
सुरक्षा परिषद ने आम नागरिकों पर हिंसा का ख़तरा होने की स्थिति में मिशन को प्रतिक्रियास्वरूप बल प्रयोग करने और आम लोगों की अगुवाई में मानवीय राहत वितरण में योगदान देने का अधिकार दिया है.
माली में 2012 में सैन्य तख़्तापलट के बाद, यूएन मिशन को वर्ष 2013 में स्थापित किया गया था. फ़रवरी 2023 में यूएन मिशन में सेवारत कर्मचारियों की संख्या 15 हज़ार बताई गई है.
ख़तरनाक हालात
MINUSMA को सबसे ख़तरनाक यूएन शान्तिरक्षा अभियान के तौर पर देखा जाता है और मिशन की शुरुआत के बाद से अब तक 303 शान्तिरक्षक अपनी जान गँवा चुके हैं. पिछले एक दशक में, माली और सहेल क्षेत्र में हथियारबन्द व आतंकी गुटों के हमलों में वृद्धि दर्ज की गई.
जलवायु झटकों के कारण हालात और जटिल हो गए हैं, और संसाधनों की क़िल्लत के कारण अन्तरसामुदायिक तनाव बढ़ रहा है, जोकि अब हिंसा, सामूहिक विस्थापन, अस्थिरता और सीमा-पार तस्करी का एक बड़ा कारक है.
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि माली से यूएन शान्तिरक्षा मिशन की वापसी का यह अर्थ नहीं है कि देश के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता का अन्त हो रहा है.