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सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने पर लक्षित नए नीति-पत्र

कुछ छात्राएँ कम्पयूटर साइंस क्लास में कोडिंग सीखते हुए.
© UNICEF
कुछ छात्राएँ कम्पयूटर साइंस क्लास में कोडिंग सीखते हुए.

सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने पर लक्षित नए नीति-पत्र

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि आर्थिक प्रगति मापने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से परे जाकर आकलन करना, वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में सुधार लाना, और प्रौद्योगिकी सम्बन्धी चुनौतियों से निपटना, ये सभी क़दम सर्वजन के लिए एक न्यायसंगत और समतापूर्ण विश्व हासिल करने के लिए अहम होंगे.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सोमवार को न्यूयॉर्क मुख्यालय में इन्हीं विषयों पर सदस्य देशों के लिए अपने नए नीतिपत्र जारी करते हुए कहा कि ये नीतिपत्र, मौजूदा दौर की सबसे गम्भीर चुनौतियों पर लक्षित हैं.

इन नीतिपत्रों के ज़रिए, सितम्बर 2023 में टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर एक अहम बैठक में चर्चा के लिए ज़मीन तैयार की जाएगी. ग़ौरतलब है कि दुनिया, 2030 के विकास एजेंडा की प्राप्ति के प्रयासों में दुनिया आधा रास्ता तय कर चुकी है और अगले साल भविष्य पर केन्द्रित एक शिखर बैठक भी होनी है.

यूएन महासचिव ने वर्ष 2021 में, भविष्य में बहुपक्षीय कार्रवाई और वैश्विक सहयोग की परिकल्पना पर ‘हमारा साझा एजेंडा’ नामक एक रिपोर्ट जारी की थी.

इस रिपोर्ट में उल्लिखित प्रस्तावों पर आधारित 11 नीतिपत्रों की एक श्रृंखला जारी की जाएगी, जिनमें से तीन सोमवार को प्रकाशित किए गए हैं.

न्यायसंगत वित्तीय प्रणाली

यूएन प्रमुख ने अनेक अवसरों पर अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में सुधार लाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि इसे अधिक सुदृढ़, न्यायोचित और सर्वजन के लिए सुलभ बनाया जा सके.

उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रणाली को लगभग 80 वर्ष पहले ब्रैटन वुड्स समझौते के तहत स्थापित किया गया था.

ब्रिटेन के लन्दन शहर में ऐतिहासिक फ़िनेंशियल डिस्ट्रिक्ट.
© Unsplash/Kai Pilger

वर्तमान में ऐसे अनेक विकासशील देश और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जोकि आठ दशक पहले औपनिवेशिक शासन में थे.  

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि मौजूदा व्यवस्था से, सभी को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, मगर फ़िलहाल ऐसा नहीं है.

कोविड-19 महामारी और उससे उपजे हालात ने यह दर्शाया है कि मौजूदा प्रणाली, अपने मूल शासनादेश (mandate) को पूर्ण कर पाने, वित्तीय संरक्षा उपाय सुनिश्चित कर पाने में विफल साबित हुई है.

अनेक विकासशील देश अब गहरे वित्तीय संकट में हैं और क़र्ज़ राहत देने के लिए उपाय ठहर गए है. “अफ़्रीका, स्वास्थ्य देखभाल की तुलना में ऋण सेवा के लिए कहीं अधिक व्यय कर रहा है.”

'ऐतिहासिक अन्यायों' से निपटना

नवीनतम नीतिपत्र में ऐतिहासिक अन्यायों और व्यवस्थागत पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए अनेक प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए हैं.

मुख्यत: ये उपाय वैश्विक आर्थिक शासन व्यवस्था, क़र्ज़ राहत, ऋण लेने की क़ीमत, अन्तरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त समेत छह विषयों पर केन्द्रित हैं.

महासचिव ने बताया कि इन नीतिपत्र में दिए गए सुझावों का उद्देश्य, एक ऐसी व्यवस्था से दूर हटना है, जिससे केवल धनी को लाभ पहुँचता है और अल्प-अवधि के फ़ायदों को प्राथमिकता दी जाती है.

इसके बजाय, न्यायोचित व्यवस्था की ओर क़दम बढ़ाने, टिकाऊ विकास लक्ष्यों, जलवायु कार्रवाई और भावी पीढ़ियों में निवेश पर बल दिया गया है.

ज़िम्बाब्वे के बुलावायो शहर में एक ग्रामीण अस्पताल को सौर ऊर्जा के ज़रिये संचालित किया जा रहा है.
UNDP/Karin Schermbrucker for Slingshot

प्रस्तावित उपायों में विश्व बैंक और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड में विस्तार करना भी है, ताकि विकासशील देशों की आवाज़ और उनके प्रतिनिधित्व को मज़बूत किया जा सके.

साथ ही, एक प्रतिनिधिक शीर्ष निकाय की व्यवस्था की जानी होगी, जिसका दायित्व सम्पूर्ण प्रणाली की देखरेख करना, सुसंगत कार्रवाई सुनिश्चित करना और उसकी प्राथमिकताओं को 2030 एजेंडा के अनुरूप बनाना होगा.  

एक अन्य प्रस्ताव में, विकास और जलवायु वित्त पोषण के लिए विशाल बढ़ोत्तरी की पुकार लगाई गई है, जिसके लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों के व्यावसायिक मॉडल और जोखिम मूल्यांकन के तौर-तरीक़ों में बदलाव लाना होगा, ताकि वे बेहतर दरों पर विकासशील देशों के लिए निजी वित्त पोषण सुनिश्चित कर सकें.

जीडीपी से परे जाकर आकलन

यूएन प्रमुख ने अपने दूसरे नीतिपत्र में ध्यान दिलाया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), अर्थव्यवस्था में प्रगति के आकलन के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, लेकिन इसके साथ-साथ प्रगति मापने के लिए अन्य रास्तों को भी अपनाया जाना चाहिए.

उनके अनुसार, अब यह महसूस किए जाने लगा है कि जीडीपी में उन मानव गतिविधियों को अक्सर नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है, जोकि जीवन को पोषित करती हैं और स्वास्थ्य-कल्याण में योगदान करती हैं.

मिनावाओ, कैमरून में एक हरित शरणार्थी शिविर (जनवरी 2018).
© UNHCR/Xavier Bourgois

इसके बजाय, ग़ैर-आनुपातिक ढंग से ज़ोर उन गतिविधियों पर है, जिनसे हमारे पर्यावरण व संसाधनों को क्षति पहुँच रही है.

“मानव प्रगति, अनेक कारकों पर निर्भर करती है, निर्धनता और भूख के स्तर से लेकर, विषमता व सामाजिक जुड़ाव तक, और जलवायु बदहाली और अन्य व्यवधानों के प्रति संवेदनशीलता तक.”

प्रगति के नए संकेतक

इस नीतिपत्र में सुझाव दिया गया है कि देशों को एक ऐसे सैद्धान्तिक फ़्रेमवर्क के लिए राजनैतिक संकल्प लेना होगा, जिसमें यह सटीकता से मूल्यांकन किया जा सके कि आम लोगों, पृथ्वी व भविष्य के लिए क्या मायने रखता है.

इस लक्ष्य के ज़रिए, स्वास्थ्य-कल्याण को बढ़ावा देने, जीवन व पृथ्वी के लिए सम्मान सुनिश्चित करने, विषमताओं में कमी लाने और विकास सम्बन्धी समीक्षा संकेतकों को विकसित करने पर बल दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि जीडीपी संक्षिप्त है, और केवल इसी के ज़रिए कल्याण, पर्यावरणीय सततता और समानता जैसे मुद्दों का ध्यान नहीं रखा जा सकता है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने प्रगति की समीक्षा के लिए संकेतकों की एक वृहद सूची की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

इस क्रम में, देशों की डेटा क्षमता में मज़बूती लाने के इरादे से समर्थन बढ़ाने पर बल दिया गया है, जिसके ज़रिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति पर भी नज़र रखी जा सकेगी.

इण्डोनेशिया में लड़कियाँ स्मार्टफ़ोन का इसतेमाल करते हुए.
UNICEF/Vania Santoso

डिजिटल सहयोग

तीसरे नीतिपत्र में डिजिटल सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव पेश किए गए हैं, जोकि मानवाधिकारों पर केन्द्रित हों और जोखिमों व नुक़सानों से रक्षा करें.

यूएन प्रमुख ने वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट की आवश्यकता का भी उल्लेख किया है, जोकि हमारा साझा एजेंडा नामक रिपोर्ट की भी अनुशंसा है.

यूएन महासचिव ने कहा कि यह नीतिपत्र एक बेहद अहम पल में आया है जब दुनिया कृत्रिम बुद्धिमता, झूठी तस्वीरें बनाने की टैक्नॉलॉजी और बायो इंजीनियरिंग समेत अन्य टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल में आई तेज़ी से जूझ रही है.

मगर, कोविड-19 महामारी ने सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनैट तक पहुँच में, वैश्विक विषमता को भी उजागर किया है.

डिजिटल टैक्नॉलॉजी पर नियंत्रण की वजह से, केवल चन्द व्यक्तियों और कम्पनियों के पास भारी सम्पत्ति है. सरकारों और नियामकों के लिए इससे निपट पाना एक चुनौती है, जिससे नियामन संस्थाओं पर भरोसे में कमी आई है.

महासचिव ने कहा कि चैट जीपीटी समेत कृत्रिम बुद्धिमता के अन्य प्रकारों से चुनौतियाँ बढ़ रही है और भविष्य में उनके प्रभावों पर अभी अनिश्चितता है.

वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट

यूएन प्रमुख ने कहा कि और अधिक टैक्नॉलॉजी प्रगति की सम्भावना अब अक्सर आशा के बजाय भय की वजह बन जाती है.

इसे ध्यान में रखते हुए, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकारों को एक साथ आकर एक वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट को आकार देना होगा, ताकि डिजिटल टैक्नॉलॉजी में निहित जोखिमों में कमी लाई जा सके और मानवता की भलाई के लिए उपायों को संवारा जा सके.

एआई प्रणालियों के इस्तेमाल में निजता व डेटा संरक्षण मानकों के अनुपालन पर ज़ोर दिया गया है.
Unsplash/Possessed Photography

इस कॉम्पैक्ट के ज़रिये एक ऐसा फ़्रेमवर्क तैयार होगा, जिससे राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और उदयोग जगत में अपनाए जाने वाले तौर-तरीक़ों को वैश्विक प्राथमिकताओं, सिद्धान्तों और उद्देश्यों के अनुरूप बनाया जा सकता है.

इस नीतिपत्र में तुरन्त वैश्विक कार्रवाई के लिए क्षेत्रों की भी शिनाख्त की गई है, जिनमें टैक्नॉलॉजी सुलभता बढ़ाना, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना और टैक्नॉलॉजी के नियाम के लिए लोक प्रशासन को समर्थन प्रदान करना है.