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UNRWA वित्तीय बदहाली के कगार पर, समर्थन की अपील

ग़ाज़ा में एक फ़लस्तीनी परिवार साथ बैठकर भोजन कर रहा है.
© WFP/Ali Jadallah
ग़ाज़ा में एक फ़लस्तीनी परिवार साथ बैठकर भोजन कर रहा है.

UNRWA वित्तीय बदहाली के कगार पर, समर्थन की अपील

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) के कामकाज के लिए सतत धनराशि मुहैया कराए जाने की अपील की है. यह यूएन एजेंसी फ़िलहाल गम्भीर वित्तीय संकट के दौर से गुज़र रही है, जिससे फ़लस्तीनियों के लिए सहायता कार्यक्रम प्रभावित होने का जोखिम है.

पिछले एक दशक के दौरान, यूएन एजेंसी को पर्याप्त मात्रा में धनराशि प्राप्त नहीं हुई है, जिसके परिणामस्वरूप, संगठन को कठोर मितव्ययिता उपाय अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

इन परिस्थितियों में, मध्य पूर्व में फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए अति-महत्वपूर्ण सहायता कार्यक्रमों पर जोखिम है.

यूएन राहत एवं कार्य एजेंसी को वर्ष 1949 में स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य, उस भूमि के फ़लस्तीनी विस्थापितों को सहायता पहुँचाना था, जोकि बाद में इसराइल बना. यह संयुक्त राष्ट्र के शुरुआती मानवीय राहत अभियानों में रहा है.

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यूएन एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपे लाज़रिनी ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आयोजित एक संकल्प सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए क्षोभ प्रकट किया कि सितम्बर महीने से उनके पास स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र और अन्य सेवाएँ जारी रखने के लिए धनराशि नहीं होगी.

वर्तमान में, पश्चिमी तट व ग़ाज़ा पट्टी, और सीरिया, लेबनान व जॉर्डन में में लगभग 60 लाख लोग, यूएन एजेंसी पर निर्भर है, जोकि पूरी तरह से स्वैच्छिक योगदान से पोषित संगठन है. क़रीब एक-तिहाई पंजीकृत फ़लस्तीनी शरणार्थी शिविरों में रहते हैं.

इस वर्ष, यूएन एजेंसी को अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए एक अरब 60 करोड़ डॉलर की आवश्यकता है. संगठन के प्रमुख ने अतिरिक्त साढ़े सात करोड़ डॉलर की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि ग़ाज़ा में 10 लाख से अधिक लोगों के लिए खाद्य सहायता सुनिश्चित की जा सके.

इसके अतिरिक्त, तीन करोड़ डॉलर के ज़रिये सीरिया, लेबनान और जॉर्डन में रहने वाले छह लाख लोगों तक नक़दी व खाद्य सहायता पहुँचाई जाएगी.

वित्तीय अधर में

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि यूएन एजेंसी के संचालन लिए पूर्ण रूप से धनराशि का प्रबन्ध किया जाना होगा.

यूएन प्रमुख की ओर से सम्बोधित करते हुए, उनके शैफ़ डे कैबिने कर्टनी रैटट्रे ने ध्यान दिलाया कि बेहद अहम भूमिका होने के बावजूद, यूएन एजेंसी वित्तीय अधर में फँसी हुई है.

उन्होंने गहरी चिन्ता जताई कि कुछ सबसे बड़े और सबसे भरोसेमन्द दानदाताओं ने अपना समर्थन घटाने का संकेत दिया है.

“एक बात स्पष्ट है: UNRWA वित्तीय रूप से ध्वस्त होने के कगार पर है. बजट में और अधिक कटौती होने के नतीजे, विनाशकारी होंगे.”

शिक्षा में उम्मीद की तलाश

यूएन एजेंसी द्वारा संचालित स्कूलों में पाँच लाख से अधिक युवा फ़लस्तीनी पढ़ाई कर रहे हैं, और इनमें से दो छात्रों ने अपनी संकल्प सम्मेलन में अपनी भावुक अपील जारी की.

अहमद अबू डक़्क़ा ग़ाज़ा पट्टी में स्थित एक स्कूल में पढ़ाई करते हैं, जहाँ पिछले 15 सालों से नाकाबन्दी लागू है. उन्होंने अपने साथियों की ओर से सन्देश साझा करते हुए कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में छात्र, नाउम्मीदी के बीच, आशा ढूंढते हैं.

“हम हिंसक टकराव और युद्धक्षेत्र में रहने समेत अन्य तमाम चुनौतियों व बाधाओं के बावजूद, इसे बस शिक्षा और सीखने-सिखाने में पा सकते हैं.”

जॉर्डन के एक स्कूल में पढ़ाई कर रहीं, लीन शारक़ावी ने कहा कि यूएन एजेंसी द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अपनी शिक्षा, विरासत व संस्कृति पर गर्व है.

वे बच्चे केवल फ़लस्तीनी शरणार्थी ही नहीं हैं, बल्कि उनका सपना विश्व नागरिक बनने का है और वे दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं.