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सूडान: आम नागरिकों के लिए हताशा भरे हालात, मानवीय राहत की निर्बाध सुलभता पर बल

राजधानी ख़ारतूम से भागकर पोर्ट सूडान में शरण लेने वाले लोगों को खाद्य सामग्री मुहैया कराई जा रही है.
© WFP/Mohamed Elamin
राजधानी ख़ारतूम से भागकर पोर्ट सूडान में शरण लेने वाले लोगों को खाद्य सामग्री मुहैया कराई जा रही है.

सूडान: आम नागरिकों के लिए हताशा भरे हालात, मानवीय राहत की निर्बाध सुलभता पर बल

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों व साझीदार संगठनों ने, सूडान में मध्य-अप्रैल में शुरू हुए हिंसक टकराव और संकट की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को सचेत किया है कि परस्पर विरोधी सैन्य गुटों के बीच लड़ाई के कारण, आम नागरिकों के लिए हताशा भरे हालात पैदा हो रहे हैं. राजधानी ख़ारतूम में परिस्थितियाँ विशेष रूप से चिन्ताजनक बताई गई हैं.

इस बीच, सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को जारी अपने एक वक्तव्य में, देश में झड़पें जारी रहने पर चिन्ता जताई है और नागरिकों पर हुए सभी हमलों की निन्दा की है.

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सदस्य देशों ने पूरे सूडान में त्वरित, सुरक्षित व निर्बाध मानवीय राहत सुलभता की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने सूडान में तत्काल युद्धविराम पर बल दिया और देश में यूएन संक्रमणकालीन मिशन के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है, जोकि अपना कामकाज जारी रखेगा.

परिषद ने अपने वक्तव्य में कहा कि यूएन मिशन राष्ट्रीय स्वामित्व के सभी सिद्धान्तों के अनुरूप अपना कामकाज जारी रखेगा. साथ ही, अन्तरराष्ट्रीय समन्वय को मज़बूत किए जाने की बात कही गई है.

इस क्रम में, वार्ताओं में अफ़्रीकी नेताओं की भागेदारी के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया गया है, और सूडान में टकराव के निपटारे के लिए अफ़्रीकी संघ के रोडमैप को संज्ञान में लिया गया है.

15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने वर्ष 2020 में, संक्रमण से गुज़र रहे सूडान को, सहायता प्रदान करने के इरादे से एक विशेष राजनैतिक मिशन स्थापित किया था.

यूएन मिशन की अवधि इस शनिवार को समाप्त हो रही थी.

सूडान में संकट

सूडान में सशस्त्र सेना और त्वरित समर्थन बलों (अर्द्धसैनिक बल) के बीच हिंसक टकराव शुरू होने के बाद से अब तक, 12 लाख लोग देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए हैं. लाखों लोगों ने सूडान की सीमा पार करके पड़ोसी देशों में शरण ली है.

देश में मौजूदा हालात से मृतक संख्या बढ़ रही है, राहत सामग्री की लूटपाट की घटनाएँ हो रही हैं, और मानवीय सहायता आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तारिक यासरेविच ने बताया कि सूडान में वास्तविक मृतक संख्या, स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए आँकड़ो से कहीं अधिक होने की आशंका है.

देश में अनेक स्वास्थ्य केन्द्रों में कामकाज ठप है. इन परिस्थितियों में उन 20 हज़ार गर्भवती महिलाओं के लिए चिन्ता है, जिन्हें फ़िलहाल प्रसव पूर्व देखभाल नहीं मिल पा रही है.

एक करोड़ 10 लाख लोगों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, जिनमें प्रजनन आयु की 26 लाख महिलाएँ व लड़कियाँ भी हैं.

उनके पास गर्भनिरोधक उपायों, गर्भावस्था-सम्बन्धी सेवाओं, यौन संचारित संक्रमणों के लिए उपचार कार्यक्रमों या यौन हिंसा पीड़ितों के लिए सेवाओं की सुलभता नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने आगाह किया है कि देश में संकट शुरू होने के बाद से ही, यौन हिंसा की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है.

सूडान में गर्भवती महिलाओं की संख्या दो लाख 60 हज़ार होने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जिनमें से लगभग 90 हज़ार महिलाएँ, अगले तीन महीनों के भीतर माँ बन सकती हैं.

मगर, ईंधन की क़िल्लत और बिजली कटौतियों के कारण अनेक अस्पतालों को अपनी आपात सेवाएँ स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

सूडान में, यूएन जनसंख्या कोष द्वारा समर्थित एक अस्पताल में दाइयाँ. यह तस्वीर मौजूदा संकट से पहले की है.
© UNFPA

सुरक्षित प्रसव पर जोखिम

यूएन एजेंसी, सूडान के अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में 10 मीट्रिक टन जीवनरक्षक यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी उत्पादों को वितरित करने की योजना पर काम कर रही है.

इसके समानान्तर, वर्ष 2022 में, देश के अनेक अस्पतालों में सौर ऊर्जा प्रदान करने की परियोजना का भी विस्तार किए जाने की सम्भावना है.

इसके ज़रिए, चिकित्सा कक्षों, ऑपरेशन कक्ष, ब्लड बैंक रेफ़्रिज़रेटर और चिकित्सा भंडारण केन्द्रों समेत अन्य स्थानों पर चौबीसों घंटे बिजली मुहैया कराई जाती है.

खाद्य सामग्री लूटे जाने की निन्दा

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने दक्षिण-मध्य सूडान में गुरूवार को वितरण केन्द्र पर मानवीय राहत आपूर्ति लूटे जाने की निन्दा की है. मध्य-अप्रैल में, देश में संकट शुरू होने के बाद से अब तक छह करोड़ डॉलर की सम्पत्ति चुराई जा चुकी है.

यूएन एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा कि मानवीय राहत के लिए खाद्य सामग्री व अन्य सम्पत्तियों को लूटे जाने से, सूडान की जनता के लिए सहायता अभियानों को ठेस पहुँचती है, जिसे रोका जाना होगा.

संगठन ने क्षोभ प्रकट किया है कि लूटपाट की नवीनतम घटना में खाद्य व पोषण आपूर्ति, वाहन, ईंधन और जनरेटर लूटे गए हैं, जिससे लाखों लोगों तक सहायता पहुँचाने की कोशिशों पर असर होगा.

पोर्ट सूडान में, ख़ारतूम से जान बचाकर वहाँ शरण लेने वाले लोगों को भोजन के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं.
© WFP/Mohamed Elamin

सूडान में हिंसा भड़कने के बाद से अब तक, हथियारबन्द गुटों ने कई बार, यूएन खाद्य एजेंसी और साझेदारों के भंडारण केन्द्रों में लूटपाट की है, और इन घटनाओं में मानवीय सहायताकर्मी भी हताहत हुए हैं.

देश में हिंसा जारी है और आने वाले महीनों में भरपेट भोजन ना पाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 25 लाख तक पहुँच सकती है.

यूएन एजेंसी ने सभी युद्धरत पक्षों से मानवीय सहायता, राहतकर्मियों और सम्पत्तियों की सुरक्षा व सलामती सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है, ताकि जीवनरक्षक सहायता प्रयास जारी रखे जा सकें.