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म्याँमार: 'मोका' प्रभावित इलाक़ों में चुनौतियाँ गहराईं, राहत के लिए समय की कमी

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में अनेक लोगों के शरण स्थल बर्बाद हो गए हैं.
© UNOCHA/Pierre Lorioux
म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में अनेक लोगों के शरण स्थल बर्बाद हो गए हैं.

म्याँमार: 'मोका' प्रभावित इलाक़ों में चुनौतियाँ गहराईं, राहत के लिए समय की कमी

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को आगाह किया है कि म्याँमार में, मई में आए घातक चक्रवाती तूफ़ान ‘मोका’ से हुई बर्बादी के दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, मानवीय राहत की उपलब्धता व सुलभता अनिश्चित है, बीमारियाँ फैल रही हैं और एक विशाल खाद्य संकट का जोखिम मंडरा रहा है.

म्याँमार के राख़ीन, चिन, मैग्वे, सगाइंग और काचीन प्रान्तों में लगभग 16 लाख लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है. इन प्रान्तों में ‘मोका’ के दौरान 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएँ चली थीं, जिससे घरों, खेतों और मवेशियों को भीषण नुक़सान हुआ है.

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म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के रैज़िडेंट प्रतिनिधि तितोन मित्रा ने, सर्वाधिक प्रभावित राख़ीन प्रान्त की राजधानी सित्वे से जानकारी देते हुए बताया कि खाद्य भंडार पूरी तरह ख़त्म हो रहे हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जल संसाधनों को दूषित होने से बचाना होगा या उसके विकल्प ढूंढे जाने होंगे, मॉनसून कुछ ही सप्ताहों में आने वाला है और राहत प्रयासों के लिए समय बीता जा रहा है.

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सर्वाधिक प्रभावित समुदायों तक सहायता पहुँचाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए मार्ग सुलभता सुनिश्चित की जानी होगी. यह एक तात्कालिक आवश्यकता है.

पिछले महीने, संयुक्त राष्ट्र ने म्याँमार के लिए 33 करोड़ डॉलर की एक औचक अपील जारी की थी. देश में कुछ सहायता का पहुँचना शुरू हुआ है, मगर फ़िलहाल यह पर्याप्त नहीं है.

तितोन मित्रा ने कहा कि ग्रामीण इलाक़ों तक पहुँच ना पाने की वजह से, वहाँ लोगों को ज़रूरी सहायता नहीं मिल पा रही है

“कुछ क्षेत्रीय दानदाताओं ने पहले से ही कुछ सहायता प्रदान की है, जो सैन्य ढाँचागत मदद से पहुँचाई गई है, चूँकि नागरिक समाज संगठनों और यूएन संगठनों के पास फ़िलहाल सीमित सुलभता है.”

‘सहायता का राजनीतिकरण ना हो’

यूएन अधिकारी ने कहा कि सैन्य प्रशासन के पास एक राहत वितरण योजना भेजी गई है, जिसे जल्द स्वीकृति दी जानी आवश्यक है, ताकि अन्तरराष्ट्रीय संगठनों और अन्य नागरिक समाज साझीदारों के लिए निर्बाध आवाजाही सम्भव हो सके.

दो वर्ष पहले, म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और हिंसा में भी तेज़ी आई.

तितोन मित्रा के अनुसार, यह समय मानवीय सहायता के राजनीतिकरण या सैन्यीकरण से बचने का है, चूँकि फ़िलहाल लोगों की विशाल आवश्यकताएँ पूरी की जानी होंगी.  

ग्रामीण आजीविकाओं पर जोखिम

उन्होंने बताया कि चक्रवाती तूफ़ान से हुई तबाही से उबरने में अनेक वर्षों का समय लग सकता है. ‘मोका’ से प्रभावित हुए अधिकांश लोगों बेहद निर्धन समुदाय से हैं.

इसके अलावा, ग्रामीण आजीविकाओं के भविष्य पर भी चिन्ता बढ़ रही है, चूँकि तूफ़ान के कारण एक हज़ार 200 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र, बाढ़ से प्रभावित हुआ है.

बारिश के साथ, तूफ़ान व आन्धी से कृषि और मछुआरों की आजीविका को गम्भीर नुक़सान हुआ है.

म्याँमार में चक्रवाती तूफ़ान मोका ने भारी तबाही मचाई, जिसमें बहुत से लोगों के आवास ही ध्वस्त हो गए.
© UNICEF/Naing Lin Soe

खाद्य सुरक्षा का संकट

यूएन अधिकारी ने सचेत किया कि मानवीय राहत का प्रावधान पर्याप्त नहीं है और यदि स्थानीय लोग अगले कुछ सप्ताहों में बुआई नहीं कर पाए, तो इससे आगामी महीनों में एक बड़ा खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है.

तूफ़ान के कारण घरों में रखे बीजों का भंडार बर्बाद हो गया है. इसलिए आशंका जताई गई है कि कारगर कार्रवाई के अभाव में, खाद्य उपलब्धता और उस तक लोगों की पहुँच एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

इसी सप्ताह, संयुक्त राष्ट्र ने म्याँमार को विश्व में खाद्य असुरक्षा से प्रभावित ऐसे 18 क्षेत्रों मे शामिल किया है, जहाँ हालात आने वाले समय में और बिगड़ सकते हैं.

‘मोका’ से पहले ही, राख़ीन प्रान्त में 80 प्रतिशत से अधिक निर्धनता में जीवन गुज़ार रहे थे और दो लाख लोग घरेलू विस्थापन का शिकार थे. वर्ष 2022 में, प्रान्त की आधी आबादी को आर्थिक संकट के कारण अपने भोजन में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

यूएन ने चेतावनी जारी की है कि यदि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मानवीय सहायता के लिए तत्काल क़दम नहीं उठाए गए, उससे कभी ना ख़त्म होने वाली पीड़ा का चक्र आगे बढ़ने की आशंका है.