भारत: मणिपुर में दूर-दराज़ के समुदायों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने की मुहिम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), भारत के पूर्वी प्रदेश मणिपुर के दुर्गम पहाड़ी ज़िलों में बसे समुदायों तक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने के लिए, राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है. कामजोंग ज़िले में फुंग्यार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (PHC) की चिकित्सा टीम, म्याँमार की सीमा से लगे, इस कम आबादी वाले पहाड़ी ज़िले के अलग-थलग पड़े समुदायों को, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल एवं नियमित टीकाकरण सेवाएँ प्रदान करने के लिए, सप्ताह में एक बार दूर-दराज़ के गाँवों का दौरा करती है.
कामजोंग पहाड़ी ज़िला, तांगखुल जनजातियों का घर है, जो छोटे, आत्मनिर्भर समुदाय बनाकर रहते हैं. मणिपुर के प्रदेश प्रतिरक्षण अधिकारी, डॉक्टर चम्बो गोनेमी ने बताया, “कामजोंग ज़िले में 19 स्वास्थ्य उप केन्द्र हैं. अधिकतर गाँव कम आबादी वाले हैं और सम्पर्क एक समस्या बनी हुई है, ख़ासतौर पर, अप्रैल से नवम्बर तक, जब बारिश के मौसम में भूस्खलन के कारण सड़कों पर परिवहन रुक जाता है. ऐसे में, अलग-थलग पड़े पहाड़ी ज़िलों में, मानव संसाधन बनाए रखना एक चुनौती बन जाता है, लेकिन अब बुनियादी ढाँचों में सुधार होने लगा है."
फुंगयार में चार बिस्तरों वाले प्राइमरी स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) में दो चिकित्सा अधिकारी और पाँच अन्य कर्मी हैं, जो 29 आशा कार्यकर्ताओं (सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों) के सहयोग से, 38 गाँवों में काम करते हैं.
पीएचसी फुंग्यार की एक चिकित्साकर्मी टोनरेफी जाजो का कहना है, "नई सड़कों के कारण पिछले एक साल में आवाजाही की सुविधा में सुधार हुआ है. अब मुझे समुदायों तक पहुँचने में कम समय लगता है."
कामजोंग ज़िले के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रकाश भारद्वाज कहते हैं, “हम जिन समुदायों की सेवा करते हैं, उनमें से अनेक को स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुँचने के लिए कई घंटों की सड़क यात्रा करनी पड़ती है. चूँकि उनके लिए कोई सार्वजनिक परिवहन सुविधा नहीं है, इसलिए हम पहुँच योजनाओं के ज़रिए उनकी मदद करने का प्रयास करते हैं."
"आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्य और टीकाकरण कार्यक्रम पर नज़र रखती हैं और विभिन्न गाँवों में चिकित्साकर्मियों के लिए स्थान का दौरा आयोजित करती हैं. ये चिकित्साकर्मी निर्धारित दिन गाँवों में बच्चों का टीकाकरण करने के लिए उपकरण, टीके व दवाएँ लेकर जाते हैं और गैर-संचारी एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए समुदाय की जाँच करके, आवश्यकतानुसार कार्रवाई करते हैं."
रिमेम्बर नामक एक आशा कार्यकर्ता, 670 की आबादी वाले कुमरन (नगाप्रम) गाँव में स्थित हर एक घर का नियमित रूप से दौरा करती हैं. कुमरन के मुखिया, इसाक निंगशेन ने बताया, "हम समुदाय की स्वास्थ्य बैठकों के लिए ग्राम के सामुदायिक सभागार का उपयोग करते हैं, ताकि रिमेम्बर के पास मौजूद आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ, ग्रामवासियों को सुलभ कराई जा सकें."
WHO का राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य समर्थन नैटवर्क, मणिपुर सरकार को नियमित टीकाकरण और टीके से रोकथाम योग्य रोगों के लिए, तकनीकी एवं निगरानी सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें सेवाओं से वंचित लोगों व दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
भारत में WHO के प्रतिनिधि डॉक्टर रॉड्रिको एच ऑफ़्रिन का कहना है, “विश्व स्वास्थ्य संगठन - भारत का राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य समर्थन नैटवर्क (NPHSN), नियमित टीकाकरण कार्यक्रम मज़बूत करने के लिए विभिन्न तरीक़ों से, राष्ट्रीय और प्रदेश सरकारों को तकनीकी एवं परिचालन सहायता मुहैया करवाता है, इसमें, दूर-दराज़ के इलाक़ों तक पहुँचने के लिए, राज्य एवं ज़िला स्तरों की कार्य योजनाओं का विकास करना, राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर पैरोकारी, तथा कार्यदलों के ज़रिए, जवाबदेही मज़बूत करने में मदद करना शामिल है.
उन्होंने बताया कि इस नेटवर्क के ज़रिए, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का क्षमता निर्माण और निगरानी के माध्यम से, ज़िला उप-मंडल स्तर तक साक्ष्य निर्माण में भी मदद की जाती है, जिससे बाधाओं को दूर कर, सुधार लाए जा सकें और हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके."
भारत सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, लगभग दो करोड़ 67 लाख बच्चों और 2 करोड़ 90 लाख गर्भवती महिलाओं को प्रति वर्ष, 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के ख़िलाफ़ बिना शुल्क प्रतिरक्षित किया जाता है.
राष्ट्रीय स्तर पर, नौ बीमारियों से बचाव के लिए टीके दिए जाते हैं - डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनस, पोलियो, ख़सरा, रुबैला, बचपन की तपेदिक के गम्भीर रूप, हैपेटाइटिस बी, और मैनिनज़ाइटिस एवं हीमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप बी के कारण होने वाला निमोनिया.
कुछ राज्यों में, रोटावायरस डायरिया और न्यूमोकोकल निमोनिया के ख़िलाफ़ टीकाकरण किया जाता है और वर्तमान में पूरे देश में इसका विस्तार किया जा रहा है. वहीं स्थानिक ज़िलों में बच्चों को जापानी एन्सिफ़ैलाइटिस से बचाव के लिए टीका दिया जाता है.