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संकटों के समय में आम लोगों की सुरक्षा की अनिवार्यता

16 वर्षीय मोहम्मद, लीबिया के बेनग़ाज़ी में, अल सबेरी इलाक़े में रहते हैं. उनके परिवार को 2015 में अपने घर पर बमबारी के बाद वहाँ से जाना पड़ा था.
Credit: UNOCHA/Giles Clarke
16 वर्षीय मोहम्मद, लीबिया के बेनग़ाज़ी में, अल सबेरी इलाक़े में रहते हैं. उनके परिवार को 2015 में अपने घर पर बमबारी के बाद वहाँ से जाना पड़ा था.

संकटों के समय में आम लोगों की सुरक्षा की अनिवार्यता

शान्ति और सुरक्षा

साधारण जन, संघर्ष-सम्बन्धित हिंसा और तबाही का सबसे ज़्यादा नुक़सान उठा रहे हैं, और संयुक्त राष्ट्र व उसके साझीदार संगठन, 22 से 25 मई तक मनाए जाने वाले साधारण-जन सुरक्षा सप्ताह के दौरान, उनकी सुरक्षा की ख़ातिर सर्वश्रेष्ठ उपाय तलाश करने पर काम कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2022 के दौरान, सूडान से लेकर यूक्रेन तक फैले, 12 सशस्त्र संघर्षों में आम लोगों की मृत्यु संख्या में, 53 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी.

आम लोगों की सुरक्षा को मज़बूत करने की अनिवार्यता के पाँच मुख्य कारण -

1. आम लोगों को पहुँचने वाली क्षति को कम करना होगा:

नागरिक नुक़सान कम करें: सशस्त्र टकरावों के घातक परिणाम, आम लोगों की मौत, उनके घायल होने और मनोवैज्ञानिक घावों के रूप में सामने आते हैं. वर्ष 2022 में, टकराव प्रभावित 17 देशों और क्षेत्रों में, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक हथियारों के पीड़ितों में, लगभग 94 फ़ीसदी जन, निर्दोष नागरिक थे.

इन संघर्षों के परिणामस्वरूप घर, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएँ, जल संस्थान, और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान क्षतिग्रस्त होते हैं. जब महत्वपूर्ण ढाँचा क्षतिग्रस्त या ध्वस्त होता है तो इससे पानी, बिजली, और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी आवश्यक सेवाएँ बाधित होती हैं, और परिणामस्वरूप लोगों के लिए ज़्यादा तकलीफ़ें उत्पन्न होती हैं. ऐसे हालात में आम आबादी पलायन कर जाती है और और वे वर्षों तक वापस लौट नहीं पाते हैं.

16 वर्षीय मोहम्मद, लीबिया के बेनग़ाज़ी तब पलायन करना पड़ा जब, वर्ष 2015 उनका घर बमबारी की चपेट में आ गया और वो फिर वर्ष 2016 में वापिस लौटे. अलबत्ता, अभी भी ये क्षेत्र युद्ध की अवशेष विस्फोटक सामग्री से दूषित है.

2. भूख और अकाल की रोकथाम और समाधान:

वर्ष 2022 में 19 देशों और क्षेत्रों में टकराव व असुरक्षा, लगभग 11 करोड़ 70 लाख लोगों के लिए, गम्भीर खाद्य असुरक्षा के उच्च स्तर के लिए सर्वाधिक प्रमुख कारक थे.

इन स्थितियों परिणामस्वरूप फ़सलों को नुक़सान पहुँचा, मवेशियों की चोरी हुईं, भूमि का क्षरण हुआ, परिवहन मार्ग बाधित हुए और किसानों को उनकी ज़मीनें छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. खाद्य मूल्यों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी के बीच, आम लोगों की आजीविकाएँ छिन गईं. 

अहमद मोहम्मद, एक, सोमालिया के जुबालैंड राज्य में एलनले, किसमायो में मानवीय भागीदारों द्वारा समर्थित एक आउटपेशेंट थेराप्यूटिक फीडिंग प्रोग्राम (OTP) साइट पर कुपोषण की जाँच से गुजरता है।
© OCHA/Adedeji Ademigbuji

3. निर्बल समुदायों की सुरक्षा:

महिलाएँ, बच्चे और विकलांग जन, टकराव स्थितियों से भिन्न रूप में प्रभावित होते हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना अति महत्वपूर्ण है. वर्ष 2022 में यौन हिंसा के दर्ज मामलों में, लगभग 95 प्रतिशत पीड़ित महिलाएँ और लड़कियाँ थीं. वहीं बच्चों का अपहरण किया गया, उन्हें जबरन हथियारबन्द गुटों में भर्ती किया गया और युद्धक गतिविधियों में उनका प्रयोग किया गया, साथ ही शिक्षा से वंचित किया गया. विकलांगजन संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में फँस गए और भोजन, पानी, स्वास्थ्य देखभाल, या फिर मानवीय सहायता पाने से वंचित हो गए.

4. मानवीय सहायताकर्मियों के लिए सुरक्षित पहुँच:

मानवीय राहतकर्मियों को ज़रूरतमन्द लोगों तक मदद पहुँचाने के मार्ग में, एक दूसरे में गुँथी हुई अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें सक्रिय शत्रुताएँ, विस्फोटक सामग्री, प्रशासनिक बाधाएँ, देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से धीमी या अवरुद्ध हुईं मानवीय सहायता गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनके कारण लोगों को अपनी ज़रूरत की चीज़ों के भारी अभाव का सामना करना पड़ा.

इनके अलावा, मानवीय सहायता कर्मियों को हमलों का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट में दिखाया गया है कि मानवीय सहायता कर्मी उनके कार्यों के दौरान हताहत हुए हैं, उन्हें अन्य तरह के ख़तरों का सामना करना पड़ा, जिनमें लूटपाट और अपहरण शामिल हैं.

दुष्प्रचार और झूठ के प्रचार ने भी मानवीय सहायता कर्मियों की साख़ के कमज़ोर किया है और और उनके लिए सुरक्षा ख़तरों को जन्म दिया है. 

5. जबरन विस्थापन की रोकथाम और स्थाई समाधान की तलाश:

वर्ष 2022 में संघर्षों, हिंसा, मानवाधिकार हनन और उत्पीड़न के परिणामस्वरूप, जबरन विस्थापित हुए लोगों की संख्या 10 करोड़ की चौंका देने वाली संख्या से भी अधिक हो गई.

स्थिति ये थी कि लोग, हिंसा से बचकर भागने के बाद भी सुरक्षित नहीं थे. इन लोगों को और ज़्यादा हिंसा, विस्फोटक ख़तरों और अनिवार्य सेवाओं तक सीमित पहुँच जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. विस्थापित लोगों को भोजन प्राप्त करने में और ज़्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. ये एक ऐसी कठिनाई थी जिसमें, उनके बार-बार विस्थापित होने के कारण और बढ़ोत्तरी हुई.

पश्चिमोत्तर सीरिया के इदलिब प्रान्त में युद्ध से तबाह हुए एक इलाक़े में एक लड़की अपनी बहन को व्हील चेयर पर लेकर जा रही है.
© UNOCHA/Ali Haji Suleiman

क्या करने की ज़रूरत है?

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय आपदा राहत समन्वय कार्यालय (OCHA) का कहना है कि सुरक्षा उपायों को बेहतर बनाना होगा. एजेंसी ने टकरावों से सम्बद्ध तमाम देशों और पक्षों से, अपने क़ानूनों, सैन्य कार्यप्रणालियों और प्रशिक्षण में,, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून को शामिल किए जाने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया.

OCHA ने, तमाम देशों से मानवीय सहायता की निर्बाध पहुँच और सभी सहायता कर्मियों व सहायता सामग्रियों सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की पुकार लगाते हुए कहा कि देशों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्रतिबन्ध और आतंकवाद-निरोधक कार्रवाई, मानवीय सहायता की आपूर्ति को नकारात्मक रूप में प्रभावित नहीं करे.

आम लोगों की सुरक्षा की अनिवार्यता के लिए मनाया जाने वाला ये सप्ताह, सशस्त्र संघर्ष के पीड़ितों की आवाज़ें, न्यूयॉर्क तक पहुँचाने का एक मंच है. ये सप्ताह साथ ही, उनका बात को सक्रिय रूप से सुनने, उनकी ज़रूरतों को समझने, नए सम्बन्ध बनाने और जानकारी व समाधान साझा करने का भी है.