वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

यमन: शान्ति समझौते की दिशा में प्रगति, मगर लम्बित मुद्दे बरक़रार

यमन में तीन-चौथाई से अधिक विस्थापित, महिलाएँ व बच्चे हैं.
Khoailed
यमन में तीन-चौथाई से अधिक विस्थापित, महिलाएँ व बच्चे हैं.

यमन: शान्ति समझौते की दिशा में प्रगति, मगर लम्बित मुद्दे बरक़रार

शान्ति और सुरक्षा

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने कहा है कि देश में पिछले एक दशक से जारी हिंसक टकराव का अन्त करने के लिए, युद्धरत पक्षों की ओर से किए जा रहे प्रयासों में प्रगति हो रही है, मगर कुछ लम्बित मुद्दे अब भी बरक़रार हैं.

विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया कि वह सऊदी नेतृत्व में गठबन्धन का समर्थन प्राप्त अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के प्रतिनिधियों और विपक्षी हूती लड़ाकों के साथ-साथ, अन्य क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय पक्षों के साथ सम्पर्क व बातचीत कर रहे हैं.

उनके अनुसार, सकारात्मक और विस्तार से हुई चर्चा उत्साहजनक है और वार्ता में शामिल सभी पक्षों ने, भावी दिशा में सृजनात्मक रूप से आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की है.

Tweet URL

विशेष दूत ने कहा कि सभी पक्ष, मानवीय और आर्थिक उपायों सहित, एक स्थाई युद्ध विराम और यमनी-नेतृत्व में और यूएन के तत्वाधान में राजनैतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

उन्होंने भरोसा जताया कि लम्बित मुद्दों को सुलझाने में सफलता मिलेगी और सभी पक्ष समझौते के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करने में सक्षम होंगे.

ग़ौरतलब है कि अप्रैल 2022 में हुए महत्वपूर्ण युद्ध विराम समझौते की अवधि सात महीने पहले ही समाप्त हो गई थी, लेकिन उससे यमन के लोगों को आज भी लाभ मिल रहा है.

राजधानी सना में विमानों का आवागमन हो रहा है जबकि हुदायदाह बन्दरगाह से होकर अन्य वाणिज्यिक जहाज़ों की आवाजाही हो रही है.

उन्होंने कहा कि छुटपुट सैन्य घटनाओं की ख़बरें मिलती रही हैं, लेकिन युद्ध विराम से पहले की तुलना में शत्रुता का स्तर बहुत कम है.

विशेष दूत ने ज़ोर देकर कहा कि नाज़ुक सैन्य परिस्थितियाँ, अर्थव्यवस्था की बदहाल स्थिति, और यमनी लोगों द्वारा रोज़मर्रा के जीवन में झेली जाने वाली मुश्किलें दर्शाती है कि सभी पक्षों के बीच व्यापक समझौते पर सहमति होनी कितनी अहम है.

आर्थिक बदहाली

हैंस ग्रुंडबर्ग ने चिन्ता जताई कि यमन में आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और लोगों की आवाजाही की आज़ादी पर भी पाबन्दियाँ बढ़ी हैं.

यमन सरकार, स्थानीय नागरिकों के प्रति अपने दायित्व को निभाने में चुनौतियों का सामना कर रही है, और असंगत वित्तीय व आर्थिक नीतियों का देश के आमजन व व्यवसायों पर नकारात्मक असर हुआ है.

उन्होंने आगाह किया कि महत्वपूर्ण मौद्रिक व वित्तीय मुद्दों पर सहयोग के अभाव से ये चुनौतियाँ औरअधिक गहरी होने की आशंका है.

हालाँकि, विशेष दूत ने आशा जताई कि इन चुनौतियों के बावजूद, सतर्क ढंग से आशावाद का दामन थामा जा सकता है.

इस क्रम में, उन्होंने दोनों पक्षों द्वारा उठाए गए सकारात्मक क़दमों के बारे में जानकारी दी, जिसके तहत, सैकड़ों बन्दी रिहा किए गए हैं. उन्होंने ऐसे प्रयास जारी रखने का आग्रह किया है.

विशेष दूत ने कहा कि यमन में मौजूद विविध चुनौतियों को आंशिक या अस्थाई समाधानों के ज़रिए हल नहीं किया जा सकता है और इसके लिए यूएन के तत्वाधान में यमनी लोगों के नेतृत्व में एक समावेशी राजनैतिक प्रक्रिया की आवश्यकता होगी.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि केवल एक समावेशी और व्यापक राजनैतिक प्रक्रिया से ही, एक सतत, राजनैतिक साझेदारी पनप सकती है.

साथ ही, एक सुरक्षित व आर्थिक रूप से स्थिर भविष्य का वादा साकार किया जा सकता है, जहाँ राजसत्ता संस्थाएँ कारगर ढंग से काम करें और यमन अपने पड़ोसी देशों के साथ शान्तिपूर्ण सम्बन्धों की दिशा में वापिस लौट सके.