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ख़तरों से भरी एक दुनिया में, आपदाओं से बचाव

मलावी में एक चक्रवाती तूफ़ान फ़्रैडी से बचने के लिए अपने घरों से पलायन करते हुए लोग.
© UNICEF
मलावी में एक चक्रवाती तूफ़ान फ़्रैडी से बचने के लिए अपने घरों से पलायन करते हुए लोग.

ख़तरों से भरी एक दुनिया में, आपदाओं से बचाव

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से वर्ष 2015 में एक अन्तरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण समझौता वजूद में आने के बावजूद, दुनिया भर में पहले से कहीं अधिक संख्या में लोग आपदाओं से प्रभावित हो रहे हैं. दुनिया को अधिक सुरक्षित बनाने वाले उस समझौते को पूर्ण रूप से लागू करने के प्रयासों को गति देने के इरादे से, दुनिया भर से विशेषज्ञ, इस सप्ताह 18 और 19 मई को यूएन मुख्यालय में एकत्र हो रहे हैं.

मलावी के लोगों के लिए, चक्रवाती तूफ़ान फ़्रैडी एक ऐसी आपदा थी जिसका प्रभाव कम नहीं किया जा सका. मार्च 2023 में, इस तूफ़ान ने इस अफ़्रीकी देश को दो बार झकझोर कर रख दिया, जब उसने एक महीने तक अफ़्रीका के दक्षिणी  क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ तबाही मचाई थी.  

मौसम की इस अत्यन्त चरम घटना की मार की असाधारण अवधि का सामना करना, किसी भी देश के लिए कठिन होगा, मगर दुनिया में सर्वाधिक कमज़ोर विकासशील देशों में शामिल मलावी के लिए यह अत्यन्त विनाशकारी था.

सैकड़ों लोगों की मौत हो गई, पाँच लाख से ज़्यादा लोगों को विस्थापित होना पड़ा, और हज़ारों हैक्टेयर भूमि में फैली फ़सलें, तूफ़ान में बह गईं.

अप्रैल के आरम्भ तक के आँकड़ों के अनुसार, सैकड़ों लोग लापता थे, और लगभग 11 लाख लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता थी.

फ़्रैडी तूफ़ान ने मलावी में ऐसे समय विनाशकारी दस्तक दी जब देश दो दशकों में सबसे भीषण हैज़ा-फैलाव से जूझ रहा था, जिससे पहले से ही अत्यधिक दबाव का सामना कर रही, देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ और बढ़ गया था.

अप्रैल 2023 में ही, संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने और अधिक मानवीय सहायता की पुकार लगाई थी, मगर साथ ही, मलावी में जलवायु अनुकूलन उपायों, तैयारियों और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के ज़रिए, आपदा सम्बन्धी विस्थापन को टालने, कम करने और उससे निपटने के लिए टिकाऊ समाधान विकसित करने की भी पुकार लगाई थी.

ज़्यादा गम्भीर और घातक आपदाएँ

चक्रवाती तूफ़ान फ़्रैडी का प्रभाव, ऐसी जटिल और भारी नुक़सान वाली आपदाओं की बढ़ती संख्या का केवल एक उदाहरण है, जिनसे प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है. इसी चिन्ता ने, 187 देशों ने वर्ष 2015 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया.

इस समझौते को सेडाई फ़्रेमवर्क नाम दिया गया जो, जापान के उस शहर के नाम पर है जहाँ इस समझौते पर दस्तख़त हुए थे.

ये समझौता आपदा से होने वाले नुक़सान को कम करने के इरादे से किया गया है. इसमें आपदाओं से होने वाली मौतों को कम करने, बुनियादी ढाँचे को होने वाले नुक़सान को कम करने और सभी देशों में वर्ष 2030 तक बेहतर पूर्व - चेतावनी प्रणालियाँ स्थापित करने के लक्ष्य भी शामिल हैं.

अलबत्ता, इस समझौते को वजूद में आए आठ वर्ष बीत चुके हैं, इस अवधि के दौरान बहुत कम प्रगति हुई है: संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण (UNDRR) कार्यालय के अनुसार, वर्ष 2015 के बाद से आपदाओं के प्रभावितों की संख्या में 80 प्रतिशत, वृद्धि हुई है.

उससे भी ज़्यादा, इस कार्यालय ने पाया है कि अतीत की आपदाओं के अनुभव और सबक भुला दिए गए लगते हैं.

मध्यावधि प्रगति रिपोर्ट

यूएन मुख्यालय में 18-19 मई को होने वाली उच्च-स्तरीय बैठक में उन चुनौतियों पर विचार करने का एक मौक़ा मिलेगा जिनके कारण प्रगति अवरुद्ध हुई है, और एक बेहतर दुनिया के रास्ते पर आगे बढ़ने के कुछ उपायों पर भी चर्चा होगी.

इस बैठक में शिरकत करने वाले प्रतिनिधि, सेंडाई फ़्रेमवर्क के कार्यान्वयन की मध्यावधि रिपोर्ट में शामिल किए गए बिन्दुओं को प्रमुखता देंगे, जिन्होंने समस्या की विशालता को उजागर किया है. अप्रैल में जारी की गई इस रिपोर्ट में काफ़ी विवादास्पद मुद्दे उठाए गए हैं.

रिपोर्ट में वर्ष 2015 के बाद से जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों पर ख़ास ज़ोर दिया गया है, जो अपने प्रभावों में क्रूर रूप से असमान हैं, और जिन्होंने विकासशील देशों में ज़्यादा तबाही मचाई है; इस सन्दर्भ में पाकिस्तान में 2022 में आई बाढ़ का ज़िक्र भी किया गया है, जिसने तीन करोड़ 30 लाख से भी ज़्यादा लोगों को प्रभावित किया, और लाखों एकड़ कृषि भूमि को नुक़सान पहुँचाया, जिससे बड़े पैमाने पर खाद्य असुरक्षा उत्पन्न हो गई.

विश्व समाजों के बढ़ते अन्तर-सम्बन्ध, पर्यावरणों, और प्रौद्योगिकियों का मतलब है कि आपदाएँ अत्यन्त तेज़ी से फैल सकती हैं.

रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी को एक प्रमुख उदाहरण के रूप में पेश किया गया है, जो वर्ष 2019 में चीन से शुरू होकर, बहुत तेज़ी से दुनिया भर में फैल गई और उसने वर्ष 2022 के अन्त तक, लगभग 65 लाख लोगों की ज़िन्दगी ख़त्म कर दी थी.

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए महासचिव के विशेष प्रतिनिधि और UNDRR के मुखिया मामी मिज़ूतोरी का कहना है, “आपदाएँ किस तरह ज़्यादा से ज़्यादा विनाशकारी हो रही हैं, उसके उदाहरण तलाश करने के लिए कोई बहुत ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है. खेदजनक तथ्य ये है कि इनमें से अधिकतर आपदाएँ रोकथाम योग्य हैं क्योंकि वो मानव निर्णयों के कारण ही होती हैं.”

“मध्यावधि समीक्षा की कार्रवाई पुकार ये है कि देशों को अपने हर निर्णय, कार्रवाई और निवेश में, जोखिम को कम करना होगा.”

बढ़त लेने वाले देश

स्पष्ट है कि समुचित कार्रवाई नहीं की जा रही है: आपदाओं से होने वाले नुक़सान का दायरा निरन्तर बढ़ रहा है, मगर आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए, धन की उपलब्धता उस दर से कहीं नहीं भी बढ़ रही है, जो उनका सामना करने के लिए चाहिए.

हालाँकि, रिपोर्ट में ये भी दिखाया गया है कि ऐसे अनेक देशों के उदाहरण उपलब्ध हैं, जो अपने नागरिकों को आपदाओं के जोखिम से बचाने की ख़ातिर, राष्ट्रीय स्तर पर योनजाएँ बना रहे हैं.

अभी तक, 125 देशों में आपदा-रोधी तैयारी योजनाएँ, अपनाई जा चुकी हैं.

इस उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा, मध्यावधि रिपोर्ट में सिफ़ारिशें, और देशों में राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे उपायों पर केन्द्रित रहेगी: इनमें ये सबूत भी शामिल हैं कि अगर अब से लेकर 2023 तक, जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में आवश्यक संसाधन निवेश किया जाए तो, एक ज़्यादा सुरक्षित विश्व की प्राप्ति सम्भव है.