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ग़ैर-शक्कर मिठास से परहेज़ करने पर बल, WHO के नए दिशानिर्देश

चाय और कॉफ़ी में मीठे के लिए अक्सर कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल किया जाता है.
© Unsplash/Towfiqu barbhuiya
चाय और कॉफ़ी में मीठे के लिए अक्सर कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल किया जाता है.

ग़ैर-शक्कर मिठास से परहेज़ करने पर बल, WHO के नए दिशानिर्देश

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सचेत किया है कि वज़न पर नियंत्रण रखने या ग़ैर-संचारी रोगों का जोखिम घटाने के लिए शक्कर (चीनी) के बजाय मिठास के अन्य कृत्रिम या प्राकृतिक विकल्पों के सेवन (non-sugar sweeteners) से बचा जाना होगा. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सोमवार को जारी अपने नए दिशानिर्देशों में इनका इस्तेमाल ना किए जाने की अनुशंसा की है.

मीठे या शक्कर के अत्यधिक सेवन को अक्सर मोटापे, ज़्यादा वज़न या फिर हृदय रोग, डायबिटीज़ और कैंसर जैसे ग़ैर-संचारी रोगों से जोड़कर देखा जाता है.

इसके मद्देनज़र, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा शक्कर और मीठे के सेवन में कमी लाने के लिए सिफ़ारिशें जारी की जाती रही हैं. इस पृष्ठभूमि में, ग़ैर-शक्कर मिठास (non-sugar sweeteners/NSS) का इस्तेमाल एक विकल्प के रूप में उभरा है.

ग़ैर-शक्कर मीठा (NSS) रसायनों और प्राकृतिक निचोड़ से बनी हुई, शून्य कैलोरी या फिर बहुत कम कैलोरी की ऐसी कृत्रिम या प्राकृतिक मिठास (sweetener) है, जिसे शुगर के विकल्प के रूप में विकसित किया गया हो.

यह अक्सर डिब्बा-बन्द खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में इस्तेमाल की जाती है और उपभोक्ता भी अपने खाने-पीने की वस्तुओं में इन्हें मिला सकते हैं, जैसे कि चाय में 'शुगर-फ़्री' का सेवन.

NSS में मुख्यत: ऐस्पार्टेम, एडवेंटेम, साइक्लामेट्स, नियोटेम, सैक्रीन, सुक्रालोज़, स्टेविया और उसके ही अन्य रूपों के अलावा अन्य उत्पाद आते हैं.

इनसे बिना किसी कैलोरी के ही मीठे का स्वाद लिया जा सकता है, तो अक्सर इनसे वज़न कम होने या मोटापे में कमी आने जैसे तर्क भी दिए जाते हैं.

मगर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए दिशा-निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि ग़ैर-शकर मिठास (non-sugar sweeteners/NSS) का इस्तेमाल करने से, वयस्कों और बच्चों में शरीर की चर्बी घटाने में कोई दीर्घकालिक लाभ नहीं हुआ.

सेवन से जोखिम

समीक्षा के नतीजे दर्शाते हैं कि NSS का लम्बे समय तक सेवन किए जाने से अनचाहा असर होने की आशंका बढ़ जाती है, जैसेकि टाइप टू डायबिटीज़, हृदयवाहिका रोग (cardiovascular) समेत अन्य बीमारियाँ, और समय से पहले मौत भी हो सकती है.

पोषण एवं खाद्य सुरक्षा के लिए यूएन एजेंसी में निदेशक, फ़्रांसेस्का ब्रांका ने बताया कि शक्कर के बजाय, कृत्रिम मिठास का सेवन करने से, दीर्घकाल में वज़न नियंत्रण में कोई मदद नहीं मिलती है.

उनका सुझाव है कि लोगों को शुगर के सेवन में कमी लाने के लिए अन्य रास्ते तलाश करने होंगे, और प्राकृतिक मीठे के स्रोत, जैसेकि फल, या बिना मीठे वाले (unsweetened) भोजन व पेय पदार्थों का इस्तेमाल करना होगा.

स्वास्थ्य संगठन की विशेषज्ञ के अनुसार, ग़ैर-शुगर मिठास की आहार के लिए आवश्यकता नहीं है और उनमें कोई पोषण नहीं होता है. इसके मद्देनज़र, लोगों को अपने आहार में मीठा कम करना चाहिए, और स्वास्थ्य में बेहतरी के लिए इसकी शुरुआत जीवन में बहुत शुरू से हो जानी चाहिए.

ये नए दिशानिर्देश, पहले से ही डायबिटीज़ के साथ जीवन गुज़ार रहे लोगों के अलावा हर किसी पर लागू होते हैं.

संगठन के दिशानिर्देश निजी देखभाल और स्वच्छता उत्पादों में इस्तेमाल किए जाने वाले NSS के लिए नहीं है, जैसेकि टूथपेस्ट, त्वचा क्रीम, दवाएँ, या कम कैलोरी की शुगर या शुगर ऐल्कॉहोल.

ये शुगर या उससे ही तैयार अन्य उत्पाद हैं, जिनमें कैलोरी होती है और इसलिए उन्हें NSS नहीं माना जाता है.