यूएन चार्टर के मूल्यों पर अभूतपूर्व जोखिम, गुटेरेश की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि 1945 में वजूद में आए इस विश्व संगठन के संस्थापना दस्तावेज़ – यूएन चार्टर में समाहित मानव गरिमा और स्वतंत्रता के मूल्य, अब से पहले कभी इतने जोखिम में नहीं रहे हैं. उन्होंने स्पेन में कार्लोस वी योरोपीय पुरस्कार प्राप्ति करते हुए ये बात कही.
एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र के स्थापना सिद्धान्तों पर हमले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को ख़तरे की घंटी बजाने और उन मूल्यों को फिर से पुष्ट करने की ज़रूरत है.
‘पहुँच से दूर और नाज़ुक’
यूएन प्रमुख ने योरोप में बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने वाले इस इस प्रतिष्ठित पुरस्कार वितरण समारोह में मौजूद लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा, “हम सभी को शान्ति की दरकार है”.
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ, दूसरे विश्व युद्ध की राख के बीच, शान्ति के नाम पर सृजित किए गए थे.
उन्होंने कहा, “शान्ति हमारा चमकदार सितारा है और हमारा सर्वाधिक बहुमूल्य लक्ष्य. इसके बावजूद, शान्ति के लिए संघर्ष, कभी-कभी दूर की कौड़ी नज़र आता है. हम आज एक ऐसी दुनिया में रहते हैं, जिसमें शान्ति पहुँच से दूर और भंगुर है.”
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूक्रेन में रूस के आक्रमण का सन्दर्भ देते हुए कहा कि दुनिया के बहुत ज़्यादा हिस्सों में, हिंसा बहुत व्यापक हो चुकी है, जोकि यूएन चार्टर का एक खुला उल्लंघन है. और ये सब, कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न आर्थिक संकट के दौर में हो रहा है.
“युद्ध और मानवीय संकट बढ़ रहे हैं, कभी-कभी तो हमारी आँखों के सामने ही, मगर अक्सर उन पर हमारा ध्यान नहीं जाता. वो बहुत जटिल हैं और आपस में गुँथे हुए हैं, और उनका प्रभाव हर दिन बढ़ रहा है.”
उन्होंने कहा कि सूडान में अचानक भड़की हिंसा ये याद दिलाने वाली घटना है कि शान्ति कभी भी भंग हो सकती है – रातों-रात नाटकीय तरीक़े से, और शान्ति को कभी भी कम महत्वपूर्ण नहीं समझना चाहिए और उसे कभी भी मामूली नहीं समझना चाहिए.
शान्ति के लिए सक्रियता
यूएन प्रमुख ने कहा, “हमें शान्ति निर्माण और उसे क़ायम करने के लिए काम करना होगा, हर दिन, अथक.”
“एक ऐसी दुनिया में, जो ख़ुद को बिखेर रही है, हमें विभाजनों को भरना होगा, भड़काव को रोकना होगा और शिकायतों को सुनना होगा.”
उन्होंने कहा कि बन्दूक के शासन की जगह राजनय को लेनी होगी, जोकि बातचीत, मध्यस्थता, सुलह-सफाई, और पंच निर्णय पर केन्द्रित हो. ऐसा करने के लिए, महिलाओं को अपनी पूर्ण भूमिका निभानी होगी, और उन्हें राजनय में नेतृत्व भूमिका दी जानी होगी.
उन्होंने प्रकृति के ख़िलाफ़ युद्ध पर भी चिन्ता व्यक्त की और अपना ये रुख़ दोहराया कि अगर जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार को धीमा नहीं किया जाता है तो इनसानियत का पूरा वजूद ही अब ख़तरे में है.
मानवाधिकारों के ज़रिए शान्ति
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि शान्ति को टिकाऊ बनाने के लिए, उसे मानवाधिकारों के सम्मान पर आधारित बनाया जाना होगा, जबकि दुनिया भर में मानवाधिकारों पर हमले बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हेट स्पीट, ध्रुवीकरण, नस्लभेद और ख़ुद से भिन्न लोगों के लिए नफ़रत, बेहद तेज़ रफ़्तार से फैल रहे हैं. हमें अतीत में झाकना होगा और उससे सीखना होगा.”
