वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्ति में वित्तीय समावेश की भूमिका पर संगोष्ठि

17 टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्ति को, 2030 के विकास एजेंडा प्राप्ति के लिए अति अहम समझा जाता है.
UN News
17 टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्ति को, 2030 के विकास एजेंडा प्राप्ति के लिए अति अहम समझा जाता है.

टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्ति में वित्तीय समावेश की भूमिका पर संगोष्ठि

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में वित्तीय समावेशन की भूमिका पर, गुरूवार को यूएन मुख्यालय में एक संगोष्ठि का आयोजन किया है. संगोष्ठि में करोड़ों लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव लाने और व्यवसायों को वित्तीय व सामाजिक समावेशन के लिए प्रोत्साहित करने में भारत की यात्रा और उसके अनुभव को उजागर करने पर ख़ास ज़ोर रहा.

इस संगोष्ठि का एक उद्देश्य – सदस्य देशों के साथ वास्तविक अनुभव साझा करने और ये चर्चा करना भी था कि इन अनुभवों को अन्यत्र किस तरह, और ज़्यादा रफ़्तार के साथ व किफ़ायती रूप में लागू किया जा सकता है.

इस संगोष्ठि की वीडियो रिकॉर्डिंग यहाँ देखी जा सकती है...

Tweet URL

प्रौद्योगिकी मामलों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि अमनदीप सिंह गिल ने संगोष्ठि में कहा कि वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट न केवल विश्वास के दृष्टिकोण से सीमा पार सुलभ डिजिटल, डेटा सुरक्षा, डेटा गोपनीयता आदि के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि विश्व भर में डिजिटल तकनीक इस्तेमाल करने वाले व्यवसायों की निरन्तरता भी सुनिश्चित करता है.

अमनदीप सिंह गिल ने जलवायु और वित्तीय समावेशन के बारे में बात करते हुए कहा कि डिजिटल मार्ग पर चलने से आप बहुत सारी अक्षमताओं और टकराव को समाप्त कर सकते हैं जोकि ऊर्जा के लिए एक बड़ी राहत है.

संगोष्ठि में करोड़ों लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव लाने और व्यवसायों को वित्तीय व सामाजिक समावेशन के लिए प्रोत्साहित करने में भारत की यात्रा और उसके अनुभव को उजागर करने पर ख़ास ज़ोर रहा.

इस संगोष्ठि में विशेष रूप से इन मुद्दों पर भी चर्चा हुई:

  • वित्तीय समावेशन क्या है और 2023 में आम लोगों की आजीविकाओं पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
  • वित्तीय समावेशन प्राप्त करने में क्या बाधाएँ हैं?
  • इन बाधाओं से निपटने के लिए क्या समाधान हो सकते हैं?

प्रौद्योगिकी और नवाचार

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की सहायक प्रबन्धक उमा राव मोनारी ने संगोष्ठि में कहा कि डिजिटल मंचों में समाहित वित्तीय सेवाएँ वास्तव में अन्य सेवाएँ भी प्रदान करती हैं जिमें जलवायु, लघु किसानों के लिए कृषि सलाहकार सेवाएँ, मौसम, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्र में जानकारी देना शामिल है. लेकिन अब भी चुनौतियाँ बरक़रार हैं, मसलन वैश्विक स्तर पर महिलाओं के पास, पुरुषों की तुलना में 28% कम मोबाइल धन खाते होने की सम्भावना है.

इस संगोष्ठि में सदस्य देशों के साथ वास्तविक अनुभव साझा किए गए और इस बात पर चर्चा की गई कि इन अनुभवों को अन्यत्र किस तरह, और ज़्यादा रफ़्तार के साथ व किफ़ायती रूप में लागू किया जा सकता है.

टिकाऊ विकास लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने इस संगोष्ठि में कहा कि वर्ष 2023 तक टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति के लिए आधा समय निकल चुका है और यूएन महासचिव के शब्दों में, “हम आधे विश्व को पीछे छोड़ रहे हैं” और विशेष रूप से इस सन्दर्भ में वित्तीय समावेशन अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है.

राजदूत रुचिरा काम्बोज ने भारत का सन्दर्भ देते हुए कहा कि वर्ष 2009 में, देश में केवल 17% वयस्कों के पास बैंक में खाता था, 15% लोग डिजिटल भुगतान का उपयोग करते थे, 25 में से 1 जन के पास एक विशिष्ट पहचान दस्तावेज़ था, और लगभग 37% लोगों के पास मोबाइल फोन थे. लेकिन इन आँकड़ो में अब काफ़ी वृद्धि दर्ज की गई है.

वित्तीय समावेशन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक संगोष्ठि का आयोजन किया गया.
Permanent Mission of India to the UN

उन्होंने कहा कि आज भारत में एक अरब से अधिक लोगों के पास डिजिटल आईडी (पहचान) दस्तावेज़ हैं, 80% से ज़्यादा लोगों के पास बैंकों  में खाते हैं, और वर्ष 2022 तक प्रति माह 600 करोड़ से अधिक डिजिटल भुगतान पूरे किए जा रहे थे. सरकार द्वारा अनेक वित्तीय समावेशन उपाय शुरू किए जाने की वजह से ये सब मुमकिन हुआ है.

‘फ़ोर्स फ़ॉर गुड’ के अध्यक्ष और ‘ग्रेटर पैसिफ़िक कैपिटल’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी केतन पटेल ने इस अवसर पर कहा कि चुनौतियाँ अब भी दरपेश हैं मगर भारत द्वारा बनाई गई तकनीक से वित्तीय समावेशन और सामाजिक भलाई के समागम पर दुनिया की सहायता की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि अब समय है जब भारत G20 के अध्यक्ष के रूप में, इस तकनीक को दुनिया के साथ साझा कर सकता है.