25 करोड़ से अधिक लोगों को आपात खाद्य सहायता की आवश्यकता: यूएन-समर्थित रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों की एक नई रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वर्ष 2022 लगातार चौथा ऐसा साल रहा है, जिसमें भोजन, पोषण और आजीविका सम्बन्धी सहायता के ज़रूरतमन्द लोगों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है. बुधवार को प्रकाशित इस अध्ययन में, इस बढ़ोत्तरी के लिए, हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी के प्रभावों को कारण बताया गया है.
खाद्य संकटों पर नवीनतम वैश्विक रिपोर्ट (GRFC) बताती है कि विश्व भर में 25 करोड़ 80 लाख लोग, संकट स्तर पर या उससे बदतर खाद्य-असुरक्षा हालात का सामना कर रहे हैं.
सात देशों में भुखमरी जैसे हालात उपजने की आशंका व्यक्त की गई है. इस रिपोर्ट के सात वर्ष के इतिहास में यह अब तक पीड़ितों की सबसे बड़ी संख्या बताई गई है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में सचेत किया कि 25 करोड़ लोग, गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं और उनमें से कुछ लोग भुखमरी के कगार पर हैं.
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट का नवीनतम संस्करण, टिकाऊ विकास के दूसरे लक्ष्य को हासिल करने में मानवता की विफलता को दर्शाता है, जोकि सर्वजन के लिए भूख का अन्त करने, खाद्य सुरक्षा हासिल करने और बेहतर पोषण पर लक्षित है.
संकट या उससे ख़राब हालात से जूझ रहे प्रभावितों में 40 फ़ीसदी से अधिक आबादी, अफ़ग़ानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, नाइजीरिया के कुछ हिस्सों और यमन में है.
युवा ज़िन्दगियों पर जोखिम
रिपोर्ट बताती है कि पिछले वर्ष, सात देशों में लोगों को किसी ना किसी समय भुखमरी और निराश्रयता का सामना करना पड़ा. इनमें से 57 प्रतिशत लोग सोमालिया में हैं.
इसके अलावा, अफ़ग़ानिस्तान, बुरकिना फ़ासो, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान, यमन और हेती में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित है.
रिपोर्ट में 42 बड़े खाद्य संकटों का अध्ययन किया गया है, जिनमें से 30 सन्दर्भों में, पाँच वर्ष से कम उम्र के साढ़े तीन करोड़ से अधिक बच्चे नाटेपन या कुपोषण के शिकार है.
लगभग 92 लाख बच्चे नाटेपन के गम्भीर रूप से प्रभावित हैं, जोकि अल्पपोषण की एक ऐसी अवस्था है जिससे जीवन के लिए ख़तरा हो सकता है और जो बाल मृत्यु में वृद्धि के लिए ज़िम्मेदार है.
नवाचार व समन्वय
खाद्य असुरक्षा और कुपोषण की बढ़ती चुनौतियों के लिए मुख्यत: हिंसक संघर्षों, कोविड-19 महामारी, यूक्रेन युद्ध के प्रभावों और चरम मौसम घटनाओं को ज़िम्मेदार माना गया है.
अध्ययन के अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, खाद्य संकटों की बुनियादी वजहों से निपटने के लिए व्यापक बदलाव लाने की आवश्यकता है, ताकि उनके घटित होने से पहले ही रोकथाम उपाय अपनाए जा सकें.
इस क्रम में, नवाचारी दृष्टिकोण और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, सरकारों, निजी सैक्टर, क्षेत्रीय संगठनों, नागरिक समाज और समुदायों के साथ समन्वय की आवश्यकता होगी.
यह वार्षिक रिपोर्ट, खाद्य सुरक्षा सूचना नैटवर्क ने तैयार की है, जिसे बुधवार को, खाद्य संकटों के विरुद्ध वैश्विक नैटवर्क ने जारी किया है.
इस अन्तरराष्ट्रीय गठबन्धन में संयुक्त राष्ट्र, योरोपीय संघ, सरकारी और ग़ैर-सरकारी एजेंसियाँ शामिल हैं.