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भारत: बदलाव के प्रहरी, रेडियो द्वारा जलवायु कार्रवाई

वर्षा रायकवार, एक रेडियो कार्यक्रम की मेज़बानी करती हैं, जो 200 गाँवों में 5 लाख से अधिक लोगों तक पहुँचने वाले सामुदायिक रेडियो स्टेशन पर एक दैनिक कार्यक्रम है.
UNDP India
वर्षा रायकवार, एक रेडियो कार्यक्रम की मेज़बानी करती हैं, जो 200 गाँवों में 5 लाख से अधिक लोगों तक पहुँचने वाले सामुदायिक रेडियो स्टेशन पर एक दैनिक कार्यक्रम है.

भारत: बदलाव के प्रहरी, रेडियो द्वारा जलवायु कार्रवाई

जलवायु और पर्यावरण

भारतीय राज्य मध्य प्रदेश की एक 27 वर्षीय रेडियो जॉकी वर्षा रायकवार ने, एक गाँव को जैविक खेती की ओर बदलाव करने और 100 से अधिक गाँवों को इसकी शुरूआत करने के लिए प्रेरित किया है. यूएनडीपी की ‘इंस्पायरिंग इंडिया’ पत्रिका में वर्षा जैसी महिलाओं के काम का जश्न मनाया गया है.

सर्दियों की एक धुंधली सुबह, शहर में धीरे-धीरे बेतवा बह रही है.

रेडियो जॉकी वर्षा रायकवार स्टूडियो पहुँचकर, स्टूल पर पर बैठ जाती हैं और अपने कार्यक्रम के नोट्स पर नज़र मारती हैं. जलवायु कार्रवाई, रेडियो खोलने भर दूर है. वह पानी के कुछ घूँट पीकर, अपने हेडफोन लगाती हैं और सूखे से बचाने के लिए जल संचयन समाधानों पर एक एपिसोड रिकॉर्ड करने में जुट जाती हैं.

वर्षा रायकवार, ‘शुभ कल’ नामक रेडियो कार्यक्रम की मेज़बानी करती हैं, जो झाँसी, दतिया, निवाड़ी और टीकमगढ़ के 200 गाँवों में 5 लाख से अधिक लोगों तक पहुँचने वाले सामुदायिक रेडियो स्टेशन - '90.4 एफ़एम रेडियो बुन्देलखंड' पर एक दैनिक कार्यक्रम है.

वर्षा रायकवार, स्थानीय समाचारों, कहानियों और लोक गीतों के ज़रिए, ग्रामीणों को जलवायु परिवर्तन पर जानकारी देती हैं.

वर्षा रायकवार निवाड़ी नामक गाँव के एक किसान परिवार से हैं, जहाँ उन्होंने अपनी आँखों से, जलवायु परिवर्तन की वजह से, परिवार की आजीविका पर प्रभाव पड़ते हुए देखा है.

वो बताती हैं, “जब मैं लगभग 8-9 साल की थी, तब मैं यह समझने लगी थी कि हमारी फ़सल का उत्पादन कैसे घट रहा है. मेरे पिता को गुज़र-बसर के लिए अन्य काम तलाश करने पड़े. हमारे गाँव का लगभग हर एक व्यक्ति इससे प्रभावित था. लेकिन जब मैंने बुज़ुर्गों से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है, तो वो इसे ईश्वर की मर्ज़ी कहकर टाल देते थे. लेकिन मैं इस उत्तर से सन्तुष्ट नहीं हुई.”

इसलिए उन्होंने ख़ुद जाँच करने का फ़ैसला किया और पाया कि समस्या का कारण था - जलवायु परिवर्तन. 

वर्षा कहती हैं, "मुझे आश्चर्य हुआ कि स्थानीय लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में कितना कम जानते थे. [मैंने सोचा] अगर हम उन्हें संवेदनशील व जागरूक बना सकें, तो वे किसी भी संकट से निपटने के लिए बेहतर तरीक़े से तैयार होंगे.”

कौन बनेगा शुभकाल लीडर

2017 में, रायकवार जागरूकता फैलाने के लिए रेडियो बुन्देलखंड में शामिल हुईं और तब से जलवायु सम्बन्धी मुद्दों पर संवाद में, समुदाय के 10 हज़ार से अधिक सदस्यों को शामिल किया है.

उन्होंने, “कौन बनेगा शुभकाल लीडर” नामक एक रियेलिटी शो शुरू किया, जिसमें प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए काम कर रहे, 140 स्थानीय लोगों को शामिल किया गया.

अक्सर सामुदायिक जुड़ाव कार्यक्रमों को बनाए रखना मुश्किल होता है, लेकिन वर्षा और उनके सहयोगियों ने, क्षेत्रीय जलवायु चैम्पियन की पहचान करके और उन्हें परिवर्तन के एजेंट बनने के लिए सलाह देकर, यह सुनिश्चित किया है कि जलवायु परिवर्तन पर बातचीत जारी रहे.

वर्षा रायकवार, स्थानीय समाचारों, कहानियों और लोक गीतों के ज़रिए ग्रामीणों को जलवायु परिवर्तन पर जानकारी देती हैं.
UNDP India/Srishti Bhardwaj

उनके समुदाय में, एक युवा महिला का अपने परिवार से दूर जाकर रहना सामान्य बात नहीं है. “मैं अपने परिवार की पहली महिला थी जो गाँव से बाहर गई थी. चुनौतियाँ अनेक थीं. हालाँकि उनके माता-पिता आशंकित थे, लेकिन उन्होंने वर्षा के फ़ैसले का समर्थन किया.

वर्षा बताती हैं, “लेकिन, समुदाय के अन्य लोगों ने इस बारे में बात करना शुरू कर दिया कि कैसे एक युवा महिला के लिए बाहर जाकर, देर तक काम करना उचित नहीं है. काम पर अकेले सफ़र करने पर, मेरे साथ छेड़खानी हो सकती है.”

लेकिन कुछ ख़ास कर गुज़रने की भावना से वो आगे बढ़ती रहीं.

धरती माता का ख़याल

वर्षा कहती हैं, "मैं अपने आप से कहती रही कि मुझे बहादुर होना होगा. मैं कुछ ऐसा कर रही थी जो मेरे लोगों के लिए अच्छा था, और धरती माता के लिए अच्छा था.”

2008 में, क्षेत्र में विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में रेडियो बुन्देलखंड शुरू किया गया था. इस रेडियो स्टेशन पर विभिन्न, दिलचस्प तरीक़ों से पर्यावरण के मुद्दों पर कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं.

वर्षा बताती हैं, “हमने देखा कि गाँवों की महिलाएँ, महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में मुखर होने लगीं है, और ये बदलाव लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. इसलिए हमने ‘बैरो भौजी’ नामक एक युवा महिला का किरदार विकसित किया, जो जलवायु के मुद्दों पर अपने समुदाय के लोगों के साथ जुड़ती है. वो स्थानीय बोली में, हल्के-फुल्के तरीक़े से बातचीत करती है, जिससे लोग उस किरदार जुड़ सकें.”

वर्षा, बदलाव की एक युवा कारक के रूप में, प्रमुख मुद्दों की पहचान करने और समुदायों को शामिल करने के लिए नए विचार उठाती हैं. उनके कामकाज का का पसन्दीदा हिस्सा रिपोर्टिंग है.

ज़मीनी स्तर पर जलवायु परिवर्तन से किसान कैसे निपट रहे हैं, इसका प्रत्यक्ष लेखा-जोखा लेने के लिए, उन्हें गाँवों में जाने में सबसे ज़्यादा मज़ा आता है. वो कहती हैं, “हमारे किसानों की कभी हार न मानने की प्रवृत्ति बहुत प्रेरणादायक है. वे हमेशा चुनौतियों से निपटने के लिए नए समाधान खोजते रहते हैं.”

जलवायु परिवर्तन केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है. यह एक लैंगिक मुद्दा भी है. “हमारे गाँवों में महिलाएँ, प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक निर्भर हैं, इसलिए जब जलवायु परिवर्तन हमारे जंगलों और खेतों को प्रभावित करता है, तो सबसे अधिक महिलाओं पर ही असर पड़ता है. सूखे के दौरान, पुरुष काम के लिए शहरों में चले जाते हैं, और महिलाओं को बच्चों का ध्यान रखने के लिए अकेले छोड़ दिया जाता है.”

वर्षा कहती हैं. उनका मानना ​​है कि जलवायु कार्रवाई के नेतृत्व में, महिलाओं और लड़कियों को सबसे आगे रहना चाहिए.

वर्षा कक्षा 8 में थी, जब उनकी मुलाक़ात रेडियों में काम करने वाले एक व्यक्ति से हुई थी. उनका काम देखकर वो अचम्भित हो गईं. उन्हें रेडियो सुनना ज़रूर पसन्द था, लेकिन उन्होंने वहाँ काम करने के बारे में कभी नहीं सोचा था.

आज वह रेडियो बुन्देलखंड की एकमात्र महिला रेडियो जॉकी हैं. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उनकी ही तरह, अन्य युवतियाँ भी इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित होंगी.

वर्षा कहती हैं, “अगर मैं इस आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए अन्य महिला रेडियो जॉकी बना सकूँ, तो यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.”