टिकाऊ विकास के लिए, निर्णय-निर्धारण में युवजन की अर्थपूर्ण हिस्सेदारी पर बल

रिपोर्ट में सभी स्तरों पर सार्वजनिक नीति-निर्माण और निर्णय-निर्धारण में युवाओं की भागीदारी को मज़बूती प्रदान करने और उसका विस्तार किए जाने पर बल दिया है, ताकि टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा के वादे को पूरा किया जा सके.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया जिन चुनौतियों से जूझ रही है, उनके नए समाधान की तलाश करने में युवजन की अहम भूमिका है.
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UNYouthEnvoy
“सामाजिक लामबन्दी के ज़रिये, युवजन, समाज में परिवर्तन लाने के लिए शक्ति वाहक हैं – वे जलवायु कार्रवाई के लिए प्रयास कर रहे हैं, नस्लीय न्याय चाह रहे हैं, लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रहे हैं और सर्वजन के लिए गरिमा की मांग कर रहे हैं.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि नीति क्षेत्रों में उनके सक्रिय समावेशन की पैरवी के ज़रिये, युवजन से उन विविध परिप्रेक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है, जिनसे अहम मुद्दों पर बेहतर निर्णय लिए जा सकें.
रिपोर्ट बताती है कि विश्व में युवाओं की एक बड़ी आबादी होने के बावजूद, सार्वजनिक नीति-निर्माण और निर्णय-निर्धारण में उनकी भागीदारी लगभग अदृश्य है.
“यह राष्ट्रीय स्तर पर देखा जा सकता है, जहाँ युवजन संसद या युवा परिषद जैसे तंत्र, कैबिनेट की मेज़ पर लिए जाने वाले निर्णयों, घरेलू बजट में मतदान, शान्ति प्रक्रिया में समझौतों या न्यायसंगत ढंग से बदलाव पर सहमति जैसे मुद्दों पर असर डालने में जूझ रहे हैं.”
यही हालात, बहुपक्षीय तंत्रों में बताए गए हैं, जहाँ युवजन के लिए अवसर बढ़े हैं मगर टिकाऊ विकास, शान्ति व सुरक्षा और मानवाधिकारों के मदुद् पर उनका प्रभाव अभी कम ही है.
रिपोर्ट में मौजूदा खाइयों और कमियों को रेखांकित किया गया है और उन्हें दूर करने के लिए उपायों की सिफ़ारिश भी की गई है.
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि यूएन प्रणाली की, सभी स्तरों पर भागीदारी के लिए युवजन को समर्थन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका है.
“यदि बहुपक्षीय प्रणाली को सभी के लिए एक कारगर वर्तमान व भविष्य के लिए तैयार करना है तो युवजन की अर्थपूर्ण हिस्सेदारी को अपवाद के बजाय, एक मानदंड बनाया जाना होगा.”
रिपोर्ट में युवाओं की भागीदारी का विस्तार करने और उसे मज़बूती प्रदान करने के अलावा, निर्णय-निर्धारण में उनकी अर्थपूर्ण हिस्सेदारी के लिए एक वैश्विक मानक को समर्थन देने की बात कही गई है.
पिछले कुछ वर्षों में, सरकारों, युवा संगठनों और यूएन संस्थाओं ने सिलसिलेवार बुनियादी सिद्धान्त विकसित किए हैं, जिनका उद्देश्य अर्थपूर्ण युवा हिस्सेदारी को सुनिश्चित करना है.
बताया गया है कि इस प्रक्रिया को अधिकार-आधारित, पर्याप्त संसाधन प्राप्त, पारदर्शी और सुलभ बनाना होगा, विशेष रूप से युवा विकलांगजन के लिए.
रिपोर्ट की अन्य सिफ़ारिशों में, हर देश में एक राष्ट्रीय युवा सलाहकार निकाय स्थापित किया जाना और यूएन में सभी निर्णय-निर्धारण प्रक्रियाओं में युवाओं की अर्थपूर्ण हिस्सेदारी को आवश्यक शर्त बनाना है.
इसके समानान्तर, यूएन में सभी अन्तर-सरकारी तंत्रों में युवाओं की अर्थपूर्ण हिस्सेदारी को व्यवस्थागत ढंग से एकीकृत किया जाना होगा, और यूएन महासभा के कामकाज में युवाओं की हिस्सेदारी के लिए स्पष्ट तैयारियाँ की जानी होंगी.
साथ ही, यूएन द्वारा अन्य क़दम उठाए जाने का खाका भी पेश किया गया है, जैसेकि युवाओं की हिस्सेदारी के नज़रिये से सुरक्षा परिषद और अन्य प्रासंगिक निकायों में कामकाज के तौर-तरीक़ों की समीक्षा किया जाना, और पहला यूएन युवजन टाउनहॉल गठित करना, ताकि उन्हें प्रतिनिधित्व मिल सके.
अगले वर्ष, भविष्य की शिखर बैठक (Summit of the Future) आयोजित की जानी है, जिससे पहले यूएन महासचिव की ओर से यह रिपोर्ट जारी की गई है.
इस बैठक में देशों द्वारा एक बेहतर विश्व के लिए आवश्यक साझा समाधानों पर चर्चा की जाएगी, ताकि मौजूदा व भावी पीढ़ियों के लिए वैश्विक शासन व्यवस्था को मज़बूती प्रदान की जा सके.
वर्ष 2021 में प्रकाशित ‘हमारा साझा एजेंडा’ नामक रिपोर्ट में उल्लिखित प्रस्तावों के सिलसिले में यह तीसरी रिपोर्ट है.
युवा मामलों के लिए महासचिव की विशेष दूत जयाथमा विक्रमानायके ने अपने एक ट्वीट सन्देश में नीतिपत्र को, युवजन की अर्थपूर्ण हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए एक अहम दस्तावेज़ क़रार दिया है.