बढ़ती हिंसा व तनाव के बीच फ़लस्तीनियों की रक्षा सुनिश्चित किए जाने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने गुरूवार को सचेत किया है कि फ़लस्तीनियों के मानवाधिकारों और उनकी गरिमा की रक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को एक ठोस और सैद्धान्तिक रुख़ अपनाना होगा.
उन्होंने क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में बढ़ती हिंसा और इसराइल द्वारा और नए इलाक़ों का हरण किए जाने की आशंका के बीच अपना यह वक्तव्य जारी किया है.
यूएन की विशेष रैपोर्टेयर फ़्राँसेस्का ऐलबेनीज़ ने गुरूवार को कहा कि इस साल की शुरुआत से ही क़ाबिज़ पश्चीमी तट में, घातक हिंसा की लहर चल रही है.
#Palestine: @FranceskAlbs urges int’l community to take firm & principled action to protect #humanrights & dignity of Palestinians as violence increases in the occupied Palestinian territory & new Israeli gov't threatens further annexation
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UN_SPExperts
उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि यह इसराइल द्वारा पोषित दंडमुक्ति की भावना, क़ानून के राज के अभाव की संस्कृति, और एक दमनकारी क़ब्ज़े का परिणाम है, जिसका कोई अन्त नज़र नहीं आ रहा है.
ग़ौरतलब है कि हाल के महीनों में इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच हिंसा में तेज़ी आई है और क्षेत्र में अशान्ति बढ रही है.
इसराइल में नई सरकार ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए पश्चिमी तट पर बस्तियों का विस्तार करने और क़ाबिज़ इलाक़े का हरण करने का संकल्प लिया है.
फ़्राँसेस्का ऐलबेनीज़, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हैं.
उन्होंने बताया कि इसराइली हिंसा में केवल तीन महीनों के भीतर, 80 से अधिक फ़लस्तीनियों की मौत हुई है और दो हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं.
इसी अवधि में, फ़लस्तीनियों के हाथों 13 इसराइली नागरिक मारे गए हैं.
विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, हर जीवन की हानि, चाहे वो फ़लस्तीनी हो या इसराइली, त्रासदीपूर्ण ढंग से ध्यान दिलाती है कि अन्याय व्याप्त होने की भावना और उसकी बुनियादी वजहों से ना निपटने की लोगों को क्या क़ीमत चुकानी पड़ती है
दमनकारी क़ब्ज़ा
मानवाधिकार विशेषज्ञ ने ध्यान दिलाया कि पिछले कुछ दशकों में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने रिकॉर्ड संख्या में मारे गए फ़लस्तीनियों और घायल हुए लोगों को देखा है.
इस दौरान, फ़लस्तीनियों ने बन्दी बनाए जाने, भूमि ज़ब्त कर लिए जाने, घर ढहाए जाने, भेदभावपूर्ण क़ानून लागू किए जाने, सामूहिक रूप से कारावास भेजे जाने, और अन्य अपमानों को सहा है.
विशेष रैपोर्टेयर ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि किसी अर्थपूर्ण हस्तक्षेप के अभाव में, इसराइल ने अपने दमनात्मक क़ब्ज़े को मज़बूत किया है, जबकि सदस्य देशों ने प्रतीकात्मक निन्दाओं, या मानवीय आधार पर सहायता के अलावा और कुछ नहीं किया है.
पक्षों में समानता नहीं
फ़्राँसेस्का ऐलबेनीज़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को केवल हताहत लोगों की संख्या गिनने से आगे बढ़ना होगा, और यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि इस टकराव को सुलझाया जाना सम्भव नहीं है.
उनके अनुसार, परस्पर विरोधी वृतान्तों के मिथक से बचना होगा, और सम्बद्ध पक्षों से हिंसा व तनाव में कमी लाने और वार्ता फिर से शुरू करने जैसे बयानों से भी.
विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि वास्तव में, ना तो पक्षों में समानता है और ना ही यह एक कोई सही में संघर्ष है, बल्कि यह एक दमनकारी शासन व्यवस्था है, जिससे एक पूर्ण समुदाय के लोगों के अस्तित्व पर ख़तरा है.
उन्होंने आगाह किया कि इलाक़ों के हरण को सहे जाने से, आक्रामकता को क़ानूनी दर्जा मिलेगा, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून लगभग एक सदी पीछे पहुँच जाएगा.
फ़्राँसेस्का ऐलबेनीज़ ने ज़ोर देकर कहा कि यह एक ऐसी वास्तविकता है, जिसे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल रोकना होगा.
मानवाधिकार विशेषज्ञ
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.
उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिए करती है.
ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.